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तो इस वजह से दीवाली से पहले होती है धनतेरस की पूजा

धनतेरस की पूजा

धनतेरस की पूजा – दीपावली से पहले हर साल धनतेरस मनाया जाता है.

इस दिन लोग नए सामान से लेकर सोना-चांदी तक खरीदते हैं. कहा जाता है कि ऐसा करना शुभ होता है. इस बार 5 नवंबर को धनतेरस है.

चलिए आपको बताते हैं कि आखिर दीवाली से पहले धनतेरस की पूजा क्यों की जाती है.

धनतेरस की पूजा कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को होती है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन धनवंतरी का जन्म हुआ था इसलिए इसे धनतेरस कहते हैं. धनवंतरी के जन्म के अलावा इस दिन माता लक्ष्मी और कुबेर की भी पूजा होती है.

शास्त्रों के अनुसार धनतेरस के दिन ही भगवान धनवंतरी हाथों में स्वर्ण कलश लेकर समुद्र मंथन से प्रकट हुए. धनवंतरी ने कलश में भरा अमृत देवताओं को पिलाकर अमर बना दिया था. धनवंतरी के जन्म के दो दिनों बाद देवी लक्ष्मी प्रकट हुई इसलिए दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है.

धनतेरस की पूजा

शास्त्रों के अनुसार भगवान धनवंतरी देवताओं के वैद्य भी हैं. इनकी भक्ति और पूजा से आरोग्य सुख यानी स्वास्थ्य लाभ मिलता है. मान्यता है कि भगवान धनवंतरी विष्णु के अंशावतार हैं. संसार में चिकित्सा विज्ञान को बढ़ावा देने लिए ही भगवान विष्णु ने धनवंतरी का अवतार लिया था.

धनतेरस से जुड़ी एक दूसरी कथा के मुताबिक, कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन देवताओं के शुभ कार्य में बाधा डालने पर भगवान विष्णु ने असुरों के गुरू शुक्राचार्य की एक आंख फोड़ दी थी. कथा के अनुसार, देवताओं को राजा बलि के आतंक से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था. वामन भगवान द्वारा मांगी गयी तीन पग भूमि, दान करने के लिए कमण्डल से जल लेकर संकल्प लेने लगे. बलि को दान करने से रोकने के लिए शुक्राचार्य राजा बलि के कमण्डल में छोटा रूप धारण करके प्रवेश कर गये. तब भगवान वामन ने अपने हाथ में रखे हुए कुशा को कमण्डल में ऐसे रखा कि शुक्राचार्य की एक आंख फूट गयी. इसके बाद राजा बलि ने संकल्प लेकर तीन पग भूमि दान कर दी. इस तरह बलि के भय से देवताओं को मुक्ति मिल गई और बलि ने जो धन-संपत्ति देवताओं से छीन ली थी उससे कई गुणा धन-संपत्ति देवताओं को फिर से मिल गई, इस इस कारण से भी धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है.

हमारे देश में जितने त्योहार हैं उससे जुड़ी ढेरों कथाएं हैं. धनतेरस को लेकर भी कई कहानियां है. फिलहला तो लोग सदियों से चली आ रही परंपरा को निभा रहे हैं। आप भी धनतेरस के दिन कोई बर्तन या सोने-चांदी की चीज़ें खरीदकर धन दी देवी लक्ष्मी का स्वागत करिए.