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अगर आपको पहाड़ों पर घूमने का है शौक तो पहले अपने दिल की भी सुन लें

घूमने का शौक हर किसी को होता है। खासकर पहाड़ों पर घूमने जाने का शौक तो हर किसी को होता है।

यह शौक गर्मी में जरूरत बन जाता है क्योंकि काम के तनाव के कारण गर्मी में शरीर और दिमाग दोनों एक्जॉस्ट हो जाते हैं। शरीर और दिमाग को इसी एक्जॉशन से बचाने के लिए ही लोग गर्मी में ट्रैकिंग या टूर पर जाते हैं।

इसी ट्रैकिंग और टूर के लिए अक्सर लोग पहाड़ों पर जाना पसंद करते हैं। लेकिन पहाड़ों पर घूमने जाने का शौक कई बार लोगों के दिल पर भारी पड़ जाता है। इसलिए आपको भी पहाड़ों पर जाने का शौक है तो आप अपने दिल के प्रति सावधान हों जाएं। क्योंकि पहाड़ों पर चढ़ने और घूमने के दौरान सामान्य दिनों की तुलना में आपके दिल पर ज्यादा दबाव पड़ता है जो एक खतरे की अनुभूति दे देता है। यह बात हम यूं ही नहीं कह रहे हैं। यह बात नई रिसर्च में सामने आई है।

पहाड़ों पर घूमने जाने का शौक –

पहाड़ों पर घूमने जाने का शौक

नई रिसर्च से पता चला है कि ज्‍यादा ऊंचाई पर जाने पर आपका दिल कम काम करता है।

इसलिए दिल के मरीजों और कमजोर दिल वालों को पहाड़ों पर जाने से पहले सतर्क हो जाना चाहिए। साइकोलॉजिकल सोसाइटी के शोधकर्त्ताओं की एक टीम ने इसके पीछे के कारणों का पता लगाने का निर्णय किया कि क्‍यों ज्‍यादा ऊंचाई पर जाने पर दिल काम करना कम कर देता है।

उन्होंने कुछ तथ्यों का पता लगाया जो ज्‍यादा ऊंचाई पर रहने, ट्रेवल करने और एक्‍सरसाइज करने वाले लोगों के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं।

पहाड़ों पर घूमने जाने का शौक

ऊंचाई पर कम हो जाती है ब्‍लड की मात्रा

काफी ऊंचाई से कई लोगों को डर लगता है। इसी तरह से काफी ऊंचाई पर कुछ लोगों के दिल में बल्ड का सर्कुलेसन कम हो जाता है। दरअसल ज्‍यादा ऊंचाई पर जाने से ब्‍लड की मात्रा कम हो जाती है जो प्रत्येक बीट के साथ दिल के चारों ओर पम्प होती है। कई वर्षों से, हार्ट को पंप करने वाले ब्‍लड की मात्रा में कमी की व्याख्या करने के लिए कई सिद्धांत प्रस्तावित किए गए हैं; यह 1950 के दशक में माउंट एवरेस्ट के पहले शिखर सम्मेलन में शामिल वैज्ञानिकों के लिए भी रुचि का था।

पहाड़ों पर घूमने जाने का शौक

3000 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर हवा में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। जिससे दिल पर जोर पड़ता है और कुछ लोगों की दिल में ब्लड कम मात्रा में पम्प करने लगता है। जिससे शरीर के चारों ओर ब्‍लड सर्कुलेशन की मात्रा में कमी हो जाती है, और फेफड़ों में ब्‍लडप्रेशर बढ़ता है। वर्तमान अध्ययन के शोधकर्ताओं ने पाया कि इन दोनों कारकों में ब्‍लड की मात्रा में कमी के कारण हार्ट प्रत्येक बीट के साथ पंप कर सकता है, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि इन कारकों में से हमारी अधिकतम एक्‍सरसाइज करने की क्षमता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

ये कहती है रिसर्च

यह रिसर्च दिल के मरीजों के अलावा हमारे लिए भी महत्वपूर्ण है। क्योंकि इससे हमारी समझ बेहतर होती है कि किस तरह से ऊंचाई पर हमारा मानव काम करता है और कितनी ऊंचाई दिल के मरीजों के लिए व सामान्य इंसानों के अनुकूल है। इससे लोगों को पृथ्वी के पर्वतीय क्षेत्रों की खोज और पर्यटन को सुरक्षित बनाने में मदद मिलेगी और अधिक ऊंचाई पर होने वाली खेल की घटनाओं की विस्तृत रेंज में एक्‍सरसाइज प्रदर्शन की सुविधा भी मिल सकती है।

पहाड़ों पर घूमने जाने का शौक

पल्मोनरी ब्‍लड वेसल्‍स

इस रिसर्च में शामिल है कि कैसे दिल और पल्मोनरी ब्‍लड वेसल्‍स कम ऑक्‍सीजन के साथ लाइफ को अनुकूल बनाते हैं। इस रिसर्च का संचालन दो हफ्ते के दौरान रिमोट रिसर्च फैसिलिटी जिसे व्‍हाइट माउंटेन में बारकॉफ़्ट प्रयोगशाला के नाम से जाना जाता है, कैलीफोर्निया में किया गया।

यह ध्यान रखना जरूरी था कि इस अध्ययन का सैंपल साइज छोटा था और इन उपायों का प्रभाव केवल यूरोपियन देशों के व्यक्तियों की तुलना में किए गए थे। इसके अलावा, इकोकार्डियोग्राफी का उपयोग हार्ट और पल्मोनरी ब्‍लड फंग्‍शन का मूल्यांकन करने के लिए किया गया था जो गैर-आक्रामक और अप्रत्यक्ष है। स्‍टडी जर्नल ऑफ साइकोलॉजी में प्रकाशित किया जाता है।

पहाड़ों पर घूमने जाने का शौक – तो ज्यादा ऊंचाई पर जाने से पहले अपने दिल की जांच करा लें और फिर जाएं। जिससे की आपके घमूने का मजा कम ना हो।