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जानिए क्यों नहीं छापती सरकार खूब सारे पैसे और क्यों नहीं बना देती सबको अमीर!

अनलिमिटेड पैसा

अनलिमिटेड पैसा – दोेस्तों, क्या कभी सोचा है आपने या दिमाग लगाया है कि भारत सरकार के पास नोट छापने की मशीन है, तो ढेर सारा पैसा छाप सबको अमीर क्यों नहीं बना देती।

सोचो अगर सबके पास अनलिमिटेड पैसा हो तो क्या होगा?

आरे भाई सब अमीर होंगे और क्या होगा सबके सब अंबानी बन जाएंगे। फिर ना कोई अमीर रहेगा ना कोई गरीब रहेगा।गरीबी मिट जाएगी और किसी को काम करने की भी जरुरत नहीं बस सुबह उठो पैसे उड़ाओ और क्या। फिर तो कोई भूखे पेट भी नहीं सोएगा। ना कोई किसान मरेगा ना  किसी को मोदी सरकार से शिकायत होगी। तब तो कोई भीख भी मांगते नजर नहीं आएगा,हर तरफ खुशियां ही खुशियां होगी।

लेकिन जरा ठहरो अपने सपने पर ब्रेक लगाओ… अनलिमिटेड पैसा छप गया तो हर तरफ हाहाकार मच जाएगा।

अनलिमिटेड पैसा

आज हम इसी सवाल से पर्दा उठाकर इसे सुलझाएगें और इस सवाल को समझने के लिए आपके दिमाग में ये फॉर्मूला धूसना जरुरी है।

किसी देश में उत्पन्न होने वाली गुड्स एंड सर्विसेज की कीमत = देश की मौजूदा मुद्रा

अब हम इस बात को उदाहरण के जरिए समझाते है…मान लो किसी देश में सिर्फ 5 लोग रहते है और सबके पास 100-₹100 है और उस देश में 50 किलो चावल पैदा होता है । तो उन 50 किलो चावल का टोटल कीमत होगी – Rs 100×5 = Rs 500

अब मान लो उस देश के पास नोट छापने की मशीन है और खूब सारे नोट वो देश छाप रहा है तो अब सबके पास Rs 1000- Rs 1000 रू है तो अब उन 50 किलो चावल का टोटल मूल्य हुआ – Rs 1000×5 = Rs 5000. अब उन्ही 50 किलो चावलो की कीमत Rs 500 से Rs 5000 हो गई ।

मतलब तो अब आप समझ ही गए होगें नहीं तो चलिए थोड़ा और विस्तार से आपको समझाते है। सरकार जितना ज्यादा नोट छापेगी उतनी ज्यादा महंगाई बढ़ेगी और इसी को हम मुद्रा-स्फीति भी कहते है।

अनलिमिटेड पैसा – चलो इसे हम आपको दूसरे तरीके से भी समझाते है…

अनलिमिटेड पैसा

मान लों कि सरकार ने बहुत सारे पैसे छाप दिए और सब मालामाल हो गए। सबके पास लाखों करोड़ो आ गए तो जब हम मार्केट में साबुन खरीदने जाएगें तो उसकी कीमत Rs 50 होगी दुकानदार भला आपको कम पैसे में क्यों देगा आपके पास तो बहुत पैसा है। अरे भाई दुकानदार की भी तो लालच बढ़ेगी।धीरे धीरे सबकी कीमत आसमान छूने लगेगी। साबुन से लेकर हर जरुरी चीज के दाम आसमान पर होेंगे। कच्चेमाल से लेकर तैयार माल तक सभी वस्तुएं मिलेंगी लेकिन दाम ज्यादा चुकाने पड़ेगें।लेकिन सब जानते हुए इतिहास गवाह है कि दो देशों ने ये भारी गतली की थी।

जर्मनी 

प्रथम विश्व युद्ध के बाद जर्मनी की अर्थव्यवस्था चरमरा गई। युद्ध की जरूरतें पूरा करने के लिए जर्मनी ने बहुत से देशों से कर्ज ले लिया था। मगर युद्ध में हुई हार के बाद वह कर्ज नहीं चुका पाएं। जर्मनी ने सोचा कि हम खूब सारा पैसा छाप कर अपना कर्जा उतार देगें । बस फिर क्या था जर्मनी ने यही किया और उन्होंने अनलिमिटेड अमाउंट में पैसा छापा और फिर नतीजा ये हुआ कि वहां की मुद्रा का अवमूल्यन हो गई और वहां की महंगाई आसमान छूने लगी।

जिंबाब्वे

बहुत साल पहले जिंबाब्वे ने भी जर्मनी जैसी गलती की और बहुत सारी करेंसी छाप दी। जिसका नतीजा  हुआ कि वहां मुद्रा का अवमूल्यन हजारों गुना बढ़ गया और अब लोगों को ब्रेड और अंडे जैसी बेसिक चीजें खरीदने के लिए भी बैग भर-भरकर पैसे देने पड़े। क्योंकि करेंसी ज्यादा छापने से वहां की करेंसी का अवमूल्यन इतना हो गया की एक यूएस डॉलर की कीमत 25 मिलियन जिंबाब्वे डॉलर के बराबर हो गई। इतिहास में इस घटना को जिंबाब्वे की अति मुद्रा स्फीति के नाम से जाना जाता है।

तो क्या आप समझ गए,कि आप जितने नोट छापेंगे उतना ही आपको महंगाई का सामना करना पड़ेगा और ऐसा करने से उस देश का आसमान छूता हुआ स्टॉक मार्केट भी जमीन पर आ जाएगा। करेंसी नोट जो हम यूज करते हैं उनका अपना कोई कीमत नहीं होता। उनकी सिर्फ एक्सचेंज वैल्यू होती है कि कितने सामान के बदले आप उस नोट को देते हैं। और इसीलिए इसे लीगल टेंडर भी कहा जाता है।

जैसा आप कानून द्वारा ऑथराइज्ड हैं कि आप किसी भी गुड या सर्व इसके बदले उस नोट को एक्सचेंज कर सकते हैं। किसी भी देश में कितनी करेंसी प्रिंट करनी है ये तो खुद देश की सेंट्रल बैंक उस देश की जीडीपी, राजकोषीय घनत्व, विकास दर जैसे कई कारकों को ध्यान में रखकर तय की जाती है।

इस तरह से अनलिमिटेड पैसा नहीं छापा नहीं जा सकता  – भारत में RBI तय करती है कि कब और कितनी करेंसी प्रिंट करनी है।

भारत सरकार पहले का Rs 1 का नोट छापती थी लेकिन अब सभी नोट आरबीआई छापती है। तो अब मत सोचना की सरकार सबको पैसे देकर मालामाल क्यों नहीं कर देती, ऐसा हुआ तो सबको लेने के देने पड़ जाएंगे।