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जानिए क्या होगा अगर 1 रुपया 1 डॉलर के बराबर हो जाए, इतिहास में एक बार ऐसा हुआ है

1 रुपया 1 डॉलर के बराबर – हम सभी ने देखा है कि आजादी से लेकर आज तक भारतीय मुद्रा और अमेरिकी डॉलर के बीच एक बड़ा फासला रहा है जो कि हर साल बढ़ता ही चला आया है. जिसके साथ भारत में महंगाई आसमान चूम रही है जिसके कारण भारतीय अर्थव्यवस्था पर खासा असर पड़ा है.

लेकिन भारतीय करेंसी के गिरने से बहार रहने वाले लोगों को फिलहाल फायदा हो रहा है क्योंकि एक डॉलर को जब रुपये में बदला जाता है तो उसकी मात्रा काफी बढ़ जाती है.

लेकिन एक पल को सोचिए अगर ऐसा हो जाए कि भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर पर राज करें तो देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पढ़ेगा और उसके साथ ही हमारे जीवन पर भी. इसका असर हम सभी को लगता है के बेहद अच्छा रहेगा लेकिन आपको बता दे कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी पड़ता है. तो आइए जानते हैं ऐसा होने पर हम क्या पाएंगे और क्या खोएंगे –

1 रुपया 1 डॉलर के बराबर

१ – यह सब हो जाएगा सस्ता

आज भारत में ना जाने कितना सामान अमेरिका से इम्पोर्ट होता है जिसके लिए भारतीय सरकार को ना जाने कितने हजारों, लाखों, करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ते हैं और यह सब केवल रुपय के कमजोर होने के कारण होता है. अगर भारतीय मुद्रा अमेरिकी डॉलर से ज्यादा ताकतवर हो जाए तो हमे टीवी, मोबाइल, महंगी गाड़ियाँ, गैजेट्स, महंगी तकनीके, उच्च सॉफ्टवेयर और वो सभी चीजे जो आज हमे आग के भाव मिलती हैं इतनी सस्ती हो जाएंगी जितना हमने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा.

२ – फिर क्या होगा एन.आर.आई मज़दूरों का?

इस समय विदेशों में सबसे अधिक भारतीय मजदूर ही काम कर रहे हैं जो कि अपनी कमाई का कुछ हिस्सा भारत में अपने रिश्तेदारों को भेजते हैं. जो कि उनके पास आते ही 60 गुना बढ़ जाता है लेकिन अगर भारतीय मुद्रा उस करेंसी से ज्यादा हो गई तो भेजा हुआ पैसा गुना हो कि बजाए विभाजित हो जाएगा. 

३ – फिर यह भी हो सकता है

विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि यदि रुपया महंगा हो गया तो ना केवल भारतीय मजदूर वापिस आएंगे बल्कि भारत खुद अमेरिकी मज़दूरों को काम देगा. ऐसा इसलिए होगा क्योंकि वे लोग कम वेतन पर भी काम करने को तैयार हो जाएंगे जैसा कि अभी भारतीय मजदूर विदेश में कर रहे हैं.

४ – भारत को भी पहुँचेगा नुकसान

भारतीय मुद्रा के बढ़ते ही ना केवल अमेरिका को बल्कि भारत को भी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय मार्केट में भारतीय चीजे महंगी हो जाएंगी जिन्हें अन्य देश खरीदना नहीं चाहेंगे. इस से भारत के व्यापार को भारी नुकसान झेलना पड़ेगा.

५ – यह पहले भी हुआ है

यह सभी बातें केवल अंदाजा या हमारे दिमाग की मान्यता नहीं है बल्कि इसका साक्षात उदाहरण खुद जापान है. सन 1986 में रातों-रात अमेरिकी डॉलर 280 येन से गिर कर 140 येन पर पहुंच गया. और इतने बड़े बदलाव से जापान की अर्थव्यवस्था पर इतना बड़ा धक्का लगा जिसका नुकसान आजतक यह देश सह रहा है.

1 रुपया 1 डॉलर के बराबर – यही कारण है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने कुछ मान्यताएँ बना रखी हैं जिनके कारण ना रुपये को ज्यादा गिरने दिया जात है और ना ही ज्यादा बढ़ने क्योंकि इन दोनों ही विषयों में कही ना कही नुकसान भारत को भी झेलना पड सकता है.

Shivam Rohatgi

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