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5 बातें जिनके कारण कहा जाता है मत पढ़ाओ बच्चों को कान्वेंट स्कूल में ?

convent school

भारत में पश्चिमी संस्कृति का प्रचार बड़े स्तर पर हो रहा है. पश्चिम की हर चीज बेहतर है और हमारी अपनी हर बात पिछड़ी हुई होती जा रही है. हमारी संस्कृति आज कुछ एक ख़ास लोगों के लिए पिछड़ी है, हमारे संस्कार इनके लिए पिछड़े हैं.

अभी हाल ही में शिक्षा के क्षेत्र में भी एक नई बहस शुरू हो चुकी है कि भारत में ‘कान्वेंट स्कूल’ जिस मानसिकता के साथ यहाँ शिक्षा का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं वह देश की अखंडता और एकता के लिए सही नहीं है. आपको जानकर हैरानी होगी कि वो स्कूल सीबीएसई बोर्ड के भारत से बाहर हैं, वहां भारतीय संस्कृति का प्रचार नहीं होता है, वहां गीता नहीं पढाई जा रही है.

आइये जानते हैं वो 5 बातें जिनके कारण करना चाहिए कान्वेंट स्कूलों का बहिष्कार

  1. भारतीय संस्कृति का गलत होता है प्रचार

इन कान्वेंट स्कूल में भारतीय संस्कृति के खिलाफ बातें होती हैं. हमारी अपनी संस्कृति को नीचा दिखाया जाता है. बेशक किताबों में नहीं परन्तु आपको यह सच मानना ही होगा कि वहां के वातावरण में भारत की संस्कृति को तुच्छ दिखाया जाता है. हमारे देश के वातावरण को विकास के खिलाफ दिखाया जाता है.

Indian culture

 

  1. संस्कार जैसी कोई बात नहीं होती

भारतीय संस्कारों में माता-पिता, भाई, बहन और अन्य रिश्तों को बड़ा महत्त्व दिया जाता है. संस्कार ही हमारी असली धरोहर हैं. कान्वेंट स्कूल में भारतीय संस्कारों को बच्चों से दूर कर दिया जा रहा है. इस तरह का प्रचार वहां ज्यादा होता है जिसमें पश्चिम संस्कारों की झलक रहती है.

Foreign culture

 

  1. विपरीत धार्मिक विचारों का प्रचार

यह बेशक आपको सुनने में गलत लगे, लेकिन यह बात आप किसी कान्वेंट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे से पता कर सकते हैं कि यहाँ के वातावरण में एक ख़ास धार्मिक विचारों और ख़ास धर्म को महत्व दिया जाता है.

जहाँ अभी मांग की जा रही है कि अपने भारतीय स्कूल में सूर्य नमस्कार पर रोक लगे, तो क्या अन्य शिक्षण संस्थानों में इस पर रोक नहीं लगनी चाहिए?

culture

 

  1. इतिहास के साथ खिलवाड़

हमारे अपने देश के इतिहास के साथ यहाँ न्याय नहीं हो पा रहा है. विकसित होने के लिए जो परिभाषा यहाँ लिखी जा रही है, वह मानव और प्रकृति केन्द्रित नहीं होती है. हमारे इतिहास को जीवित रखने का कोई भी प्रयत्न यहाँ नहीं होता है.

tempering with history

 

  1. गैर इसाई बच्चों के साथ भेदभाव

यदि कान्वेंट स्कूल अपने आप को साफ़ विचारों के बोलते हैं तो कई बार क्यों खबर आती हैं कि जब एक धर्म का  बच्चा को टिके और अन्य धार्मिक चीजों को देखकर, यहाँ उनके साथ कई बार बेहद खराब व्यवहार किया जाता है.

Hindu kids

 

  1. धार्मिक सद्भावना

सूत्रों से मिली ख़बरों के अनुसार कान्वेंट में कुछ मौकों पर गैर इसाई लोगों के साथ, धार्मिक सद्भावना को तार-तार कर दिया जाता है. जब भारत में स्कूल के अन्दर गीता नहीं पढाई जा सकती तो कान्वेंट में बाइबिल का पाढ़ किस आधार पर होता है?

Religious sentiments

 

भारत में पहला कान्वेंट स्कूल कलकत्ता में सन 1842 में खोला गया था परंतु तब हम गुलाम थे और गुलामी से मुक्ति के बाद भी इनकी मानसिकता नहीं बदली है.

यही मुख्य कारण हैं जिनके कारण रह-रहकर इस तरह की बातें होती रहती हैं.कभी कुछ हिन्दू संगठन से ब्यान आता है और गोवा सरकार के मंत्री दीपक धवलिकर की पत्नी ने साफ़ तौर पर कान्वेंट स्कूल का बहिष्कार करने को कहा है.

अब इन कान्वेंट स्कूल को भी समझना होगा कि यदि इस तरह की बातें समाज में हो रही हैं तो इनको अपनी छवि को सुधारने की कोशिश करनी चाहिये. सामने निकलकर अपनी बातें रखनी होंगी. और यदि कान्वेंट स्कूल में ऐसा कुछ नहीं हो रहा है तो इसके सबूत रखने चाहिए.

( हमारा उद्देश्य समाज में बन रही सांप्रदायिकता को रोकना है ना कि किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाना. )