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लेकिन कोई यह बताये कि हम पैसे कमाते क्यों हैं?

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मुकेश अम्बानी भी पैसे कमाता है और आपके घर की गली के कोने में ठेले पर चाट बेचने वाला भी!

भिखारी की भी कमाई होती है और सेठ की भी!

लेकिन कोई यह बताये कि हम पैसे कमाते क्यों हैं?

और क्या हम जितना कमाते हैं, वही हमारी कमाई है या उस में भी कोई झोल है?

सबसे पहले तो यह जान लें कि पैसे कमाना ज़रूरी है ज़िंदा रहने के लिए, अपने सपने पूरे करने के लिए और दुनिया को यह बताने के लिए कि आप एक सफल ज़िन्दगी जी रहे हैं! यह आख़री कारण वैसे तो फ़ालतू है लेकिन ज़्यादातर लोगों के लिए पैसे कमाने का मतलब सिर्फ़ दिखावा ही होता है जिसे बदल पाना बेहद मुश्किल है|

अब जब यह सिद्ध हो गया कि पैसे कमाने क्यों हैं तो अब यह भी जान लीजिये कि आखिर आप कमाते कितना हैं? कोई अपनी तनख़्वाह बताएगा तो कोई व्यापर का बही-खता खोल के बैठ जाएगा! दोस्तों, आपकी कमाई का यह सही माप-दंड है ही नहीं| असल में जो आपको नज़र आता है, वैसा है नहीं, बहुत सारे गोरख-धंधे चल रहे हैं और आम आदमी की फिरकी ली जा रही है| आईये बताएँ कैसे!

समझ लीजिये कि आप 10 रुपये कमाते हैं|

अब उसमें से करीब 1-2 रुपये सरकार ले जाती है टैक्स में| चलिए, आप एक ईमानदार नागरिक हैं और समय पर अपना टैक्स भरते हैं| उसके बाद आप बाज़ार जाते हैं शॉपिंग करने या किसी रेस्टोरेंट में खाना खाने| वहाँ पर आजकल खाने के ऊपर सर्विस टैक्स, सर्विस चार्ज, वैट और ना जाने कौन-कौन से टैक्स लगाए जाते हैं| अंदाजा लगाएँ तो ऐसी शॉपिंग और बाहर खाने-पीने में आप करीब 1.5-2 रुपये और खर्च हो जाते हैं और वह भी सिर्फ़ टैक्स में! देखा आपने, आपकी कमाई का करीब 40-45% तो अलग-अलग किस्म के टैक्स में ही चला जाता है और वो भी सिर्फ़ इसलिए क्योंकि हमारे देश में टैक्स के क़ानून हर राज्य में एक सामान नहीं हैं और बहुत से ऐसे तरीके हैं जिनका इस्तेमाल कर सरकार आम आदमी का ख़ून चूसती रहती है|

तो आप शराफ़त से कमा रहे हैं, टैक्स भर रहे हैं, ईमानदारी की ज़िन्दगी जी रहे हैं तो सरकार आपको और भी उल्लू बना रही है|

और जो बड़े व्यापारी, नेता, अभिनेता हर तरह का झोल करके पैसा कमाते हैं, उनपर किसी की नज़र ही नहीं है| चलिए, उन के खिलाफ कोई क़दम मत उठाईये, लेकिन आम आदमी को तो इस पेचीदा और घिसी-पिटी टैक्स की मार से बचाईये!

आखिर दिन-रात ख़ून जलाके पैसे कमाते हैं, ज़िंदा रहने के लिए या केवल टैक्स भरने के लिए जिसके बदले ना तो हमें ठीक सड़कें मिलती हैं, ना अस्पताल, ना स्कूल, ना ही कोई और ऐसी सहूलियत जिस से की लगे कि हमारा टैक्स हमारे काम आया!

वक़्त है सरकार का अपनी नीतियाँ ठीक करने का! अभी नहीं तो अगली बार जनता लात मार के बाहर करेगी!

कमाओ और कमाने दो! जियो और जीने भी दो!