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5 कारण आखिर क्यों भारतीय नहीं प्रयोग करते हैं टॉयलेट पेपर – ‘अपना हाथ ही काफी है’

अचानक से ही इंटरनेट पर यह एक सवाल घुमने लगता है कि आखिर क्यों भारतीय लोग टॉयलेट पेपर का प्रयोग नहीं करते हैं.

क्या आखिर इस तरह से भारतीय एक ही बार में कई लीटर पानी बर्बाद नहीं कर देते हैं?

बात अगर यहीं रूकती तो भी ठीक था लेकिन बात आगे निकली और कहा गया कि जिस हाथ से भारतीय पिछवाड़ा साफ़ करते हैं उसी साथ से वह आखिर कैसे खाना खाते हैं. बात तो हकीकत है. लेकिन यह जानना बहुत जरुरी हो जाता है कि आखिर भारतीय क्यों टॉयलेट पेपर प्रयोग नहीं करते हैं.

5 कारण आखिर क्यों भारतीय नहीं प्रयोग करते हैं टॉयलेट पेपर

1.  पूरी-सफाई पसंद है हमको

भारतीयों को शुरू से ही पूरी सफाई पसंद है. पेपर से साफ़ होने पर यह पूरी सफाई नहीं बोली जा सकती है. इंसान पानी से नहाता है क्योकि वह साफ़ होना चाहता है. अगर आप पेपर से साफ़ हो सकते हो तो नहाते वक़्त भी पेपर भी इस्तेमाल क्यों नहीं करते हो.

2.  क्योकि भारतीय धार्मिक हैं

हिन्दू-मुस्लिम दोनों ही शास्त्रों में सफाई पर जोर दिया गया है.  दोनों ही धर्मों के शास्त्र बताते हैं कि जब भी आप पूजा-नमाज अदा करने आयें तो साफ़ हों. अब कई बार भारतीय को मंदिर-मस्जिद में जाना होता है और हर बार नहाना संभव भी नहीं होता है. इसलिए पानी सी की गयी सफाई जरुरी हो जाती है.

3.  इतिहास में भी पानी था, जब हम खुले खेत में जाते थे

देखिये अब पूर्वजों से सीखी हुई बातों का ही हम अनुसरण करते आते हैं. बेशक अब आपको लगता होगा कि भारतीय लोग पानी की बर्बादी करते हैं. लेकिन पहले क्या होता था जब भारतीय खुले में शौच करते थे? तब वही पानी धरती में चला जाता था. तो तब की आदत आज भी बनी हुई है.

4.  भारतीय खाते हैं मसालेदार खाना

अब विदेशी लोग तो उबली सब्जियां या ब्रेड, इन चीजों पर जीते हैं. लेकिन भारतीय खाते हैं खूब मसालेदार खाना. लाल मिर्च और बिना गरम मसाले के तो बात ही नहीं बनती है. तो अब आप ही सोचिये खाते में भी मिर्च लगती है और तब भी लगती है. तब क्या पेपर काम आ सकता है?

5.  पेपर कुछ वजहों से अधिक उपयोगी है

भारतियों के लिए पेपर, जल से अधिक उपयोगी है. पेपर बनने के लिए पेड़ काटे जाते हैं. पेड़ प्राकृतिक चीज है. लेकिन पेपर बनाने में प्राकृतिक चीज को मारा जाता है. जबकि जल एक पूरी तरह से प्राकृतिक है. जल जो बाद में फिर से किसी न किसी रूप में वापस धरती पर ही रहता है. लेकिन पेड़ कटता है तो फिर वापिस नहीं आता है.

तो अब आप ही बतायें कि भारतीय लोगों की सोच, पश्चिमी लोगों से ज्यादा अच्छी और तेज है या नहीं. फिर भी ना जाने क्यों पश्चिमी लोग इस भारतीय आदत की बुराई कर रहे हैं.

तो अब यह आपका फर्ज है कि जन-जन तक जानकारी पहुंचाए कि आखिर क्यों पिछवाड़ा साफ़ करते वक़्त, भारतीयों को अपना हाथ ही ज्यादा उपयोगी लगता है.

Chandra Kant S

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Chandra Kant S

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