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कृष्ण ने नहीं तो फिर किसने बचाई थी द्रौपदी की लाज !

द्रौपदी का चीरहरण

महाभारत की कहानी में बहुत सी ऐसी घटनाओं का ज़िक्र मिलता है जो हमारी कल्पना से परे है.

एक ओर जहां महाभारत हमें कौरवों और पांडवों के बीच हुए घमासान युद्ध की याद दिलाता है, तो वहीं पांचाली यानि पांच पतियों वाली द्रौपदी का चीरहरण एक हैरान कर देने वाली दास्तान है.

महाभारत की एक घटना के मुताबिक पांचों पांडव अपनी पत्नी द्रौपदी को जुए में हार गए थे. जिसके बाद भरी सभा में दुःशासन ने अपने अपमान का बदला लेने के लिए द्रौपदी का चीरहरण करवाया था.

चीरहरण के वक्त द्रौपदी ने श्रीकृष्ण से अपनी लाज बचाने के लिए गुहार लगाई. द्रौपदी की पुकार सुनकर  श्रीकृष्ण ने स्वयं प्रकट होकर द्रौपदी के सम्मान की रक्षा की.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि असल में श्रीकृष्ण की वजह से नहीं, बल्कि किसी और के वरदान से भरी सभा में द्रौपदी की लाज बची थी.

तो आइए हम आपको बताते हैं कि किसके वरदान से द्रौपदी का चीरहरण होने से बचा था.

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