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गंगा की खोज का सनसनीखेज इतिहास ! अंग्रेजों ने गंगा के इतिहास से खेला है गन्दा खेल

who brought ganga to earth

अंग्रेज कहते हैं कि गंगा एक नदी है और नदी की उत्पत्ति का विज्ञान होता है ना कि शास्त्रानुसार इसको कोई धरती पर आने की कहानी होती है.

वैसे अगर आप विज्ञान को आँख बंदकर मानते हैं तो यह बात आपको भी सत्य ही लगेगी.

तो अब हमारे शास्त्र कहते हैं कि गंगा को धरती पर भागीरथ नाम का एक व्यक्ति लेकर आया था, लेकिन पश्चिम के विद्वान कहते हैं कि नहीं ऐसा नहीं है.

वेदों की रचना पश्चिम में हुई थी और वेद में गंगा का जिक्र नहीं था, बाद में गंगा का जिक्र वेदों में किया गया है.

तो आज हम अपने इस लेख में इसी सच – गंगा की खोज –  को सामने लाने का प्रयास करने वाले हैं.

तो आइये सबसे पहले तो यह जानते हैं कि भागीरथ कौन थे? गंगा की खोज किसने की?

भागीरथ की कहानी

इतिहास की पुस्तक ‘भारतगाथा’, जिसके लेखक सूर्यकान्त बाली हैं, वह बताते हैं कि भागीरथ जी अयोध्या के ही एक राजा थे.

अयोध्या के कई लोगों ने गंगा को धरती पर लाने का प्रयास किया था लेकिन भागीरथ जी इसमें पूरी तरह से सफल हुए थे. भागीरथ अयोध्या के इक्ष्वाकुंशी सम्राट थे.

एक कथा जो गंगा का पूरा इतिहास बताती है

पौराणिक कथाओं के अनुसार गंगा जी भगवान विष्णु के पैरों के नखों से निकली हैं और ब्रह्मा जी के कमंडल में रहती हैं.

स्वर्ग में गंगा मन्दाकिनी के नाम से भी जानी जाती हैं. स्वर्ग से धरती पर मां गंगा को लाने का श्रेय अयोध्या के इक्ष्वाकु वंशीय राजा भगीरथ को दिया जाता है. इन्होंने कपिल मुनि के श्राप से भस्म होकर अपने साठ हजार पूर्वजों की भटकती आत्माओं की मुक्ति के लिए ब्रह्मा जी की घोर तपस्या कर मां गंगा को पृथ्वी पर लाये थे. धरती पर उतरने से पहले गंगा भगवान शिव की जटाओं में समां गईं थीं. भगवान शिव की जटाओं से निकलकर गंगा की अविरल धारा भगीरथ के पीछे-पीछे चलते हुए, बंगाल के गंगा सागर संगम पर स्थित कपिल मुनि के आश्रम में आईं. यहाँ पर कपिल मुनि के श्राप से जलकर भस्म हो चुके भगीरथ के पूर्वजों की साठ हजार राख की ढेरियां ज्यों ही गंगा के पवित्र जल में डूबीं, त्यों ही भूत बनकर भटक रहे भगीरथ के पूर्वजों का उद्धार हुआ और उन्हें प्रेत योनि से छुटकारा मिला था.

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अंग्रेज झूठे कैसे हैं?

अंग्रेज गंगा के भारतीय इतिहास को झूठा बताते हैं. जब यह अंग्रेज ज्ञानी लोग तर्क देते हैं तो आप भी उनके सामने हार मान जाते होंगे. लेकिन अब इस लेख को पढ़ने के बाद आपको सही जवाब देना होगा.

गंगा का नाम ऋग्वेद में मात्र एक ही बार आता है. इमं में गंगे यमुने सरस्वती. इसी तरह से शास्त्र में एक नदी सूक्त है जिसके अन्दर गाथी के पुत्र विश्वामित्र ने नदियों के साथ संवाद किया है और इसमें गंगा का जिक्र नहीं है.

तो इसी को आधार बनाकर पश्चिम के लोग गंगा की भारतीय कहानी को झूठा बताते हैं.

लेकिन अब आप रामायण को तो झूठा नहीं बोल सकते हैं?

जब राम सेतु सच है तो उसी रामायण में यह जिक्र आता है कि भगीरथी ही गंगा की खोज की और गंगा को जमीन पर लाये थे.

विष्णु पुराण के अन्दर एक अध्याय में भागीरथी का नाम लिया है और बोला गया है कि भागीरथी ही गंगा को जमीन पर लाये थे.
बेशक ग्रन्थ पश्चिम में बैठकर लिखे गये हैं, लेकिन नहीं भूलना चाहिए कि वेदों में काफी ऐसी कहानियां हैं जो दक्षिण की हैं या पूर्व की हैं. ऐसा इसलिए है कि संत महात्मा घूमते रहते थे और जो सही लगता था उसको आगे अन्य लोगों तक पहुचाते रहते थे.

महाभारत के अन्दर तो गंगा जी को पूरे एक पात्र रूप में ही पेश किया गया है.

गंगा की जो कहानी हमारे शास्त्र बताते हैं, वह सच है. असल में भागीरथी ने वाकई में गंगा को जमीन पर लाने के लिए विशेष प्रयास किया था. अगर गंगा की यह कहानी झूठी होती तो सभी जगह एक जैसी कहानी होने के चांस कम ही थे.

तो ये कहानी थी गंगा की खोज की – इस तरह से हम बोल सकते हैं कि गंगा का भारतीय इतिहास झूठा है और अंग्रेज हमेशा से ही भारतीय शास्त्रों को नीचा दिखाने का प्रयास करते रहते हैं.