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जब पुलिस वाले न लिखें एफआरआई तो बोलें ये दो शब्द !

एफआईआर FIR

एफआईआर FIR यानी फर्स्ट इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट किसी भी तरह की आराधिक वारदात होने पर पुलिस में जाकर लिखवाई जाती है.

एफआईआर FIR लिखवाने के बाद ही पुलिस जांच शुरू कर ती है. FIR एक प्रकार का लिखित दस्तावेज होता है जिसे शिकायत मिलने पर पुलिस तैयार करती है. लेकिन कई बार ऐसे मामले सामने आते हैं जब पुलिस FIR लिखने से मना कर देती है. ऐसा करना दरअसल, पुलिस की मनमानी होती है क्योंकि कानून वो FIR लिखने से मना नहीं कर सकती.

यदि आपके साथ कभी ऐसा हो तो क्या करें, चलिए हम बताते हैं

अगर आपके साथ कभी कोई वारदात हो जाए और आप पुलिस स्टेशन शिकायत दर्ज करवाने जाते हैं तो पुलिस वाला यदि FIR दर्ज नहीं करता है, तो डरे नहीं, बल्कि उसके सामने दो लोगों का नाम ले लें, सीनियर अफसर और मजिस्ट्रेट. इन दो शब्दों से आपका काम बन जाएगा. कोग्निजेबल ऑफेंस के लिए पुलिस द्वारा FIR न लिखने पर आप इसकी शिकायत सीनियर अफसर से भी कर सकते हैं.

एफआईआर FIR

इसके बाद भी एफआईआर FIR रजिस्टर न हो तो पीड़ित CRPC के सेक्शन 156 (3) के तहत मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के पास शिकायत कर सकते हैं. मजिस्ट्रेट के कहने पर पुलिस को FIR लिखना ही होगा और न लिखने पर सुप्रीम कोर्ट उनके खिलाफ एक्शन ले सकती है. इसके अलावा पुलिस द्वारा FIR न लिखने पर आप शिकायत ऑनलाइन भी लिखवा सकते हैं. इसके लिए आपको संबंधित एरिया की पुलिस वेबसाइट पर जाकर प्रॉसेस फॉलो करना होगा. दिल्ली में e-FIR एप की मदद से भी FIR दर्ज किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट के आर्डर के अनुसार FIR लिखवाने के एक हफ्ते के अंदर फर्स्ट इन्वेस्टीगेशन कम्पलीट हो जाना चाहिए.

कब लिखवाई जाती है एफआईआर FIR ?

बता दें कि कोग्निजेबल ऑफेंस होने पर ही FIR रजिस्टर करवाई जाती है. कोग्निजेबल ऑफेंस का मतलब एक ऐसा ऑफेंस जिसमें पुलिस को अरेस्ट करने के लिए वारेंट की जरूरत नहीं होती. इस स्थिति में पुलिस आरोपी व्यक्ति को गिरफ्तार करके उससे पूछताछ कर सकती है. पुलिस के पास अधिकार होता है कि वह आरोपी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सके. वहीं, यदि ऑफेंस नॉन कोग्निजेबल है तो इस स्थिति में FIR दर्ज नहीं किया जाता. कोर्ट के दखल के बाद ही इस तरह के FIR दर्ज किये जा सकते हैं. कोर्ट के आर्डर के बिना पुलिस एक्शन नहीं ले सकती.

एफआईआर FIR

कैसे लिखवायें एफआईआर FIR ?

किसी भी विक्टिम के पास हक है कि वह सीधे पुलिस स्टेशन में जाकर मौखिक या लिखित रूप से एफआईआर FIR दर्ज करवा सकता है. पीड़ित व्यक्ति PCR कॉल के जरिये भी FIR रजिस्टर करवा सकता है.

अपराध की जानकारी मिलने पर ड्यूटी ऑफिसर एएसआई को मौके पर भेजते हैं. एएसआई मौके पर पहुंचकर विक्टिम का स्टेटमेंट लेता है और उसे रिकॉर्ड करता है. इस शॉर्ट रिपोर्ट के बेसिस पर पुलिस FIR दर्ज कर सकती है. लेकिन केवल जघन्य अपराधियों के लिए ही यह प्रक्रिया फॉलो की जाती है.

एफआईआर FIR

आपके साथ कभी ऐसा हो या आपके किसी पहचान वाले के साथ ऐसी स्थिति आए तो बिना झिझक के पुलिस वाले को उसके सीनियर और मजिस्ट्रेट से शिकायत की धमकी दे दें.