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जब भगवान् विष्णु ने भगवान् शिव को धोखा देकर हासिल किया बद्रीनाथ का स्थान!

matsya avatar of lord vishnu

भगवान विष्णु ने भगवान शिव को धोखा दिया था.

सुनकर आश्चर्य हुआ ना?

आखिर भगवान शिव को धोखा कैसे दे सकते है भगवान् विष्णु?

लेकिन ये बात सच है. वैसे भी भगवान विष्णु की माया के सामने किसी की नहीं चली है. बहुत बार उन्होंने छल करके कार्य को सिद्ध किया है.

आइये आज आपको बताते है भगवान विष्णु द्वारा भगवान् शिव के साथ किये गए छल की कहानी.

यह उस समय की बात है जब भगवान् शिव का निवास स्थान बद्रीनाथ था. आज हम बद्रीनाथ को भगवान विष्णु के स्थान के नाम से जानते है लेकिन पौराणिक काल में यह स्थान भगवान शिव का था.

भगवान् शिव और पार्वती इस स्थान पर रहा करते थे. बद्रीनाथ बहुत ही मनोरम स्थल था. ऊँची ऊँची पर्वत श्रृंखलाएं, हरे भरे जंगल, कल कल बहती नदियाँ और मनोरम झरने.

अगर कहा जाए कि धरती पर स्वर्ग सी अनुभूति देने वाला स्थान कोई था तो वो बद्रीनाथ ही था. शिव और पार्वती इस स्थान पर आनंद मंगल से रहते थे. बद्रीनाथ का जलवायु भी बहुत अच्छा था. भांति भांति के पुष्प, कंदमूल और फल रंग बिरंगे पक्षी और जीव जंतु इस स्थान की शोभा को और भी बढ़ा देते थे.

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एक समय की बात है भगवान विष्णु घूमते हुए बद्रीनाथ पहुँच गए. जब उन्होंने इस मनोरम स्थान को देखा तो वो मंत्रमुग्ध हो गए. लेकिन उन्हें पता चला कि ये स्थान  तो भगवान शिव का निवास स्थान है.

विष्णु इस जगह को छोड़ कर जाना नहीं चाहते थे इसलिए उन्होंने अपनी माया का सहारा लिया.

घने जंगलों में भगवान् विष्णु ने एक नन्हे बालक का रूप लिया और जोर जोर से रोने लगे. जब पार्वती को जंगलों में एक बच्चे का रुदन सुनाई दिया तो पार्वती जंगल से उस नन्हे से बालक को ले आयी.

भगवान् शिव ने जब बालक को देखा तो समझ गए कि ये बालक कोई और नहीं लीलाधर विष्णु है. शिव ने पार्वती को कहा कि इस बालक को बाहर ही छोड़ दो कुछ समय बाद ये अपने आप चला जाएगा.

शिव की बात सुनकर विष्णु को लगा कि यदि पार्वती ने ऐसा कर दिया तो वो कभी भी बद्रीनाथ में निवास नहीं बना सकेंगे. यइ बात सोचकर बालक रुपी विष्णु ने और जोर जोर से रोना शुरू कर दिया.

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बालक को इतना रोता देखा पार्वती ने शिव की कही बात पर ध्यान ना देते हुए उस बालक को घर के अंदर ले आई.

कुछ समय बाद जब शिव और पार्वती भ्रमण के लिए बाहर निकले तो विष्णु ने महल के द्वार अन्दर से बंद कर दिए.

शिव और पार्वती ने लौटकर जब द्वार खोलने को कहा तो विष्णु ने भगवान शिव से कहा कि बद्रीनाथ उन्हें बहुत पसंद आ गया है और अब यही उनका निवास स्थान होगा. शिव और पार्वती का निवास अब से केदारनाथ के हिमाच्छादित पर्वत होंगे.

उस दिन के बाद से ही भगवान विष्णु का निवास स्थान बद्रीनाथ में और भगवान शिव का निवास बर्फीले केदारनाथ में हो गया.