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इन 5 वजहों से हर लड़की सोचती है काश मैं लड़का होती !

जब लड़की सोचती है काश वह लड़का होती

जब लड़की सोचती है काश वह लड़का होती – आज के इस आधुनिक समय में लड़का-लड़की को लेकर लोगों की सोच काफी हद तक बदल चुकी है।

अब मॉडर्न ज़माने में लड़का-लड़की को लेकर भेदभाव नहीं किया जाता लेकिन आज भी कुछ ऐसी बातें हैं जहां लड़का-लड़की मे अंतर किया जाता है। कोई यह नहीं सोचता कि लड़का और लड़की का इस समाज में अपना-अपना एक अलग स्‍थान है, उनकी एक अलग पहचान है।

लड़कों को जितनी आज़ादी और छूट मिली होती है लड़कियों को उतनी फ्रीडम नहीं मिल पाती है। लाइफ में कई बार ऐसी परिस्थितियां आती हैं जब लड़की सोचती है काश वह लड़का होती।

चलिए जानते हैं कि लाइफ में किस तरह की सिचुएशन आने पर लड़कियों के मन में ऐसे विचार आते हैं।

जब लड़की सोचती है काश वह लड़का होती –

1 – घूमने नहीं दिया जाता

कई बार लड़कियां घर से बाहर अपने दोस्तों के साथ घूमने जाना चाहती हैं लेकिन उन्हें घर से इजाज़त नहीं मिलती जबकि दूसरी ओर लड़कों को परमिशन की जरूरत ही नहीं पड़ती। इस वजह से लड़कियां कई बार सोचती हैं कि काश वह लड़का होती तो उन्हें घूमने की आजादी तो मिल जाती।

2 – घर जल्दी पहुंचना

अगर किसी तरह घरवाले लड़की को घर से निकलने की परमिशन दे भी दें तब भी उन पर शाम को जल्‍दी घर लौटने की पाबंदी लगा दी जाती है। ऐसे पलों पर लड़कियां सोचती हैं कि अगर वो लड़का होती तो ऐसी पाबंदियां उन पर नही लगाई जाती।

3 – अपनी बात कहने का मौका न देना

कई अवसरों पर लड़कियों को उनकी बात रखने का मौका नहीं मिलता। यदि वह अपनी बात बोलने की कोशिश भी करें तो उनको बोलने नहीं दिया जाता है। ऐसे ही मौकों पर अकसर लड़कियों के मन में ख्‍याल आता है कि काश वो भी लड़का होती तो उनके साथ ऐसा कभी नहीं होता।

4 – बनती हैं घर की इज्जत

लड़कियों को कई बार समझाया जाता है कि तुम घर की इज्जत हो इसलिए जो भी फैसला लो सोच समझ कर लो। तुम्हारे फैसले से घर की इज्‍जत भी खराब हो सकती है।

5 – पीरियड्स का दर्द

पीरियड्स के दिनों में लड़कियों को काफी दर्द और चिड़चिड़ाहट से गुज़रना पड़ता है जिसके कारण उन्हें कई बार बिना वजह के गुस्सा भी आ जाता है और फिर उनके मन में लड़का होने का ख्याल आता है।

जब लड़की सोचती है काश वह लड़का होती – हर लड़की के मन में लाइफ में कभी न कभी लड़का होने का ख्‍याल जरूर आता है और ऐसा हो भी क्‍यों न हम पुरुष प्रधान समाज में जो रहते हैं।