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क्या है व्यापम घोटाला?

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आजकल रोज आप व्यापम घोटाले के बारे में अख़बारों में पढ़ते होंगे.

और न्यूज़ चैनल पर हो-हल्ला सुनते होंगे. पर कईयों को शायद ये नहीं पता होगा की आखिर व्यापम घोटाला है क्या? भीड़ के साथ व्यापम- व्यापम करने से पहले हमें व्यापम के बारे में जान लेना चाहिए.

मध्य प्रदेश के “व्यवसायिक परीक्षा मंडल” को शार्ट फॉर्म में व्यापम कहा जाता है. व्यापम के तहत मध्य प्रदेश में प्री मेडिकल टेस्ट, प्री इंजीनियरिंग टेस्ट और कई सरकारी नौकरियों के लिए परीक्षाएं ली जाती हैं. पिछले कई वर्षों से व्यापम परीक्षा घोटाले में तब्दील हो गया है. इस घोटाले की शुरुआत हुई कॉन्ट्रैक्ट शिक्षक वर्ग 1 और वर्ग 2 की परीक्षा से और साथ ही प्री मेडिकल परीक्षा से. इन परीक्षाओं में ऐसे लोगों को पास किया गया जिनके पास परीक्षा में बैठने तक की योग्यता नहीं थी.

और तो और चाहे पुलिस की नौकरी हो या सरकारी नौकरी, सभी में भर्तियों के दौरान नियमों को ताक पर रखा गया.खासकर 2011 के बाद हुए प्रवेश और नौकरियों में.

इस घोटाले में क्लर्क से लेकर बड़े बड़े मंत्रियों के नाम सामने आ रहे हैं. ये ऐसे लोग हैं, जिन्होंने बड़े पैमाने पर घूस लेकर लोगों को नौकरियां और प्रवेश परीक्षाओं में हाई रैंक दिलाई है.

व्यापम घोटाले की 10 प्रमुख बातें-
1- व्यापम के तहत प्रवेश परीक्षाओं में गड़बड़ियों की शुरुआत 1990 से ही शुरू हो गयी है.
2- पहली ऍफ़आईआर साल 2000 में छतरपुर जिले में दर्ज हुई.
3- 2004 में खंडवा में 7 केस दर्ज किये गए.
4-2009 में पीएमटी परीक्षा में गड़बड़ी के आरोप लगे. जांच के लिए एक कमिटी बनायीं गयी और 100 से ज्यादा गिरफ्तारी हुई.
5- 2012 में एसटीऍफ़ का गठन किया गया, जिसने 2013 में बड़े नामों के होने का जिक्र किया लेकिन खुलासा नहीं किया.
6- सबसे पहला नाम मध्य प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकान्त शर्मा का आया.
7- व्यापम में तैयार चार्जशीट में सिर्फ नेताओं के ही नहीं बल्कि पुलिसकर्मी बिचौलिए, छात्रों और अभिभावकों के नाम भी दर्ज हैं.
8- व्यापन के तहत पास हुए 1020 छात्रों के फॉर्म गायब हैं.
9- नितिन महेंद्र नाम का कर्मचारी बंद कमरे में डाक्यूमेंट्स और रिकॉर्ड में बदलाव करता था.
10- एसटीऍफ़ की माने तो 92,175 छात्रों के डाक्यूमेंट्स में बदलाव किये गए ताकि घूंस देने वालों को हाई रैंक मिल सके

व्यापम के अंतर्गत आवेदन करने वालोन के प्रवेश पत्र जारी तो किये जाते थे. पर ऐसे जारी किये जाते थे जिसमे सारी डिटेल तो छात्र की होती थी , पर फोटो परीक्षा देने वाले परीक्षार्थी की होती है. परीक्षा पूरी होने पर डाटाबेस में जाकर फोटो बदल दी जाती थी. इस परीक्षा को देने के लिए मेधावी छात्रों को 2 से 5 लाख रुपये दिए जाते थे.

इन सब में सबसे मुख्य बात ये है की एडमिट कार्ड का दुबारा मिलान ना हो सके इसलिए कंप्यूटर में डाटा फीड के बाद सारे फॉर्म जला दिए जाते थे.

इंदौर के सुचना अधिकार एक्टिविस्ट आनंद राय ने 2008 में व्यापम घोटाले में गहन जांच की मांग करते हुए पीआईएल दायर की. 2009 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने व्यापम घोटाले में जांच के लिए एस आई टी का गठन किया. और इसकी कमान राज्य के मेडिकल एजुकेशन के जॉइंट डायरेक्टर को सौपी गयी.

व्यापम से जुडी भारी गड़बड़ियाँ-
1- 2007-08 में व्यापम में भारी वित्तीय अनियमिततायें पायी गयी.
2- 2009 में पीएमटी परीक्षा में गड़बड़ी के आरोप लगे और ऍफ़आईआर दर्ज हुई.
3- 2011 में 8 छात्रों को पीएमटी परीक्षा में रंगे हाथों पकड़ लिया गया, जो की 3-4 लाख रुपये लेकर परीक्षा में बैठे थे.इसके बाद ही व्यापम में बायोमेट्रिक के जरिये उँगलियों के निशान मिलाये जाने लगे.

कमिटी रिपोर्ट 2011 के आने के बाद सरकार ने उन सभी भर्तियों को ख़ारिज कर दिया जिस पर जांच कमिटी ने सवाल उठाये थे.
2013 में पुलिस सक्रीय हुई और इंदौर के तमाम होटलों में छपे मारे और 20 लोगो को धर दबोचा. इनमे से 17 लोग उत्तरप्रदेश से आये थे जो दूसरों की जगह परीक्षा देने वाले थे. इसके बाद घोटाले की कलई खुलती गयी और पता चला की इस पूरे रैकेट की कमान जगदीश सागर के हाथ में है, जिसे मुंबई से गिरफ्तार किया गया. पुलिस की पूछताछ के बाद जगदीश सागर ने 317 नाम उगले. ये सभी मेडिकल के छात्र थे जिनका करियर बर्बाद होने की कगार पर आ गया.

व्यापम घोटाले में आये बड़े नाम-
1-राज्यपाल राम नरेश यादव –
एसटीएफ ने मध्य प्रदेश के राज्यपाल राम नरेश यादव के खिलाफ भी सबूत जुटाये हैं। उन पर फॉरेस्ट गार्ड रिक्रूटमेंट परीक्षा में फर्जी तरीके से भर्ती कराने के आरोप लगे हैं। वहीं उनके बेटे शैलेश यादव पर शिक्षक भर्ती में घूसखोरी के आरोप लगे, लेकिन कुछ ही दिन बाद उनकी संदिग्ध मौत हो गई।

2-लक्ष्मीकान्त शर्मा ( भाजपा नेता और पूर्व शिक्षा मंत्री)-
इनपर आरोप है की शिक्षकों के भर्ती में गड़बड़ी की और कांस्टेबल की भर्ती में 15 लोगो की सिफारिश की. लक्ष्मीकान्त ने सारे आरोपों को गलत बताते हुए कहा की अगर व्यापम में उनकी इतनी ही पकड़ होती तो खुद की बेटी 2 बार पीएम्टी में फेल कैसे होती?
ओपी शुक्ला. ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी, टेक्निकल एजुकेशन-
व्यापम घोटाले के सामने आते ही ये अंडरग्राउंड हो गए. लेकिन 2 महीने बाद आत्मसमर्पण कर दिया. आरोप है की इन्होने 85 लाख रूपए पीएमटी परीक्षा में कमाए.

3-सुधीर शर्मा, खनन व्यापारी: ओएसडी के रूप में कार्यरत रह चुके हैं। आरोप है कि इन्होंने कॉन्सटेबल भर्ती के दौरान जमकर कमायी की। ये दो बार फरार हो चुके हैं. और दोनों बार आत्मसमर्पण किया है.

4-आरके शिव हरे, आईपीएस अधिकारी : सब इंस्पेक्टर भर्ती में जमकर कमायी की। साथ ही अपनी बेटी और दामाद का मेडिकल कॉलेज में दाखिला करवाया। फरार हुए, लेकिन बाद में आत्मसमर्पण कर दिया।

5-डा. जगदीश सागर: इंदौर के जगदीश ने मेडिकल में प्रवेश करवाये। ये 1990 से बड़ा रैकेट चला रहा था। इस वक्त ये रीयल इस्टेट का बिजनेस करता है।

6-डा. संजीव शिल्पकार : ये जगदीश सागर का जूनियर था। जगदीश से प्रेरित होकर इसने अपना खुद का रैकेट शुरू कर दिया। इसने करोड़ों की कमायी की।

7-रमाकांत द्विवेदी, ज्वाइंट कमिश्नर (रेवेन्यू): इनके घर में 70 करोड़ रुपए कैश, ज्वेलरी आदि बरामद हुए। इन्होंने पीएमटी में दाखिले करवाये।

8-सुधीर राय, संतोष गुप्ता, तरंग शर्मा: यह एक ऐसा गैंग है, जो जगदीश सागर को टक्कर देता था। इसकी जड़ें कर्नाटक और महाराष्ट्र तक फैली हुई थीं।

9-पंकज त्रिवेदी: व्यापम का परीक्षा नियंत्रक, जिसके घर से ढाई करोड़ रुपए नकद बरामद हुए।

11- सीके मिश्रा, व्यापम अधिकारी: ये वो अधिकारी हैं, जो सागर, संतोष गुप्ता और संजीव के लिये काम करता था। एक रोल नंबर पर 50 हजार रुपए लेता था।

12- नितिन मोहिंद्रा, प्रिंसिपल सिस्टम एनालिस्ट, अजय सेन सीनियर सिस्टम एनालिस्ट: ये दोनों बंद कमरे में कंप्यूटर पर बैठकर ओएमआर शीट से खेलते थे.

अगर पुलिस की फाइलें खंगालें तो अब तक 42 लोगों की मौत हो चुकी है, जो कहीं न कहीं व्यापमं से सरोकार रखते थे। इसमें 19 बिचौलिये थे। यानी की जितने भी बड़े लोगो को खुद के फंसने  का डर सता रहा है वो छोटे लोगो की हत्या करवा रहे हैं. इसके अलावा डा. अरुण शर्मा, जो कि व्यापमं घोटाले की जांच कर रहे थे, उनकी मौत भी कई सवाल खड़े करती है। वहीँ आज तक चैनल के पत्रकार अक्षय सिंह की मौत जो की व्यापम कवर कर रहे थे कई सवाल खड़ी करती है. फिलहाल जिस तरह एक के बाद एक मौत हो रही है, उसे देखते हुए साफ है कि घोटालों में लिप्त लोगों को मौत का खौफ जरूर सता रहा होगा।

और आखिर में शिवराज सिंह चौहान ने 7 जुलाई को हाई कोर्ट में व्यापम घोटाले मामले में सीबीआई जांच के लिए अपील की है.