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राजा की मौत का बदला उसकी बेटियों ने लिया ! पिता के हत्यारे को ऐसा सबक सिखाया कि दुबारा जन्म नहीं लेगी उसकी आत्मा

War Between King Tahir And Qasim

भारतीय इतिहास की यह एक अनोखी कहानी है.

इस तरह की अन्य कहानी कहीं भी इतिहास भी आपको नहीं मिलेगी.

यह इकलौती ऐसी कहानी है जिसमें पिता की मौत का बदला उसकी बेटियों ने लिया है.

यह कहानी है राजा दाहिर की. इतिहास ऐसा कहता है कि उसने सालों तक कुछ मुस्लिम लुटेरों को भारत देश में नहीं घुसने दिया था. अगर कुछ किताबों की मानें तो यह आंकड़ा 32 साल का बताया जाता है. जब कई मुस्लिम शासक कोशिश करते रहे कि वह भारत को लूटें लेकिन हर बार राजा दाहिर ने उनको लौटने पर मजबूर कर दिया था.

सन 712 ई. में एक भयंकर युद्ध हुआ था इस युद्ध में छल-कपट से राजा को मार दिया गया था. यहाँ पर राजा दाहिर का इतिहास खत्म हो जाता है. लेकिन जब हम इतिहास के अन्य पन्ने उठाते हैं तो दिखता है कि राजा तो यहाँ खत्म हो जाते हैं किन्तु उनका खून जो उनकी बेटियों में था, वह पिता के हत्यारे से पिता का बदला लेता है.

इस अमर बलिदान को भूल नही पायेंगे आप

जब राजा दाहिर मारे गये तो कासिम ने उनकी दोनों लड़कियों को पुत्री सूरज और परमल दोनों को अपनी दासी बना लिया था. दोनों को दासी बना कर उसने अपने खलीफा को भेंट किया जहाँ पर बड़ी चालाकी से लड़कियों ने एक प्लान रचा .

जब दोनों बहनों को खलीफा के सामने पेश किया गया तो  चतुराई से दोनों बहनों ने खलीफा से कहा कि  “आपके पास भेजने से पहले कासिम ने तो हमारा सतीत्व भंग कर दिया है तो क्या आप जूठन खाना पसंद करेंगे”.

यह सुन खलीफा आग बबूला हो गया और आदेश दिया की बैल की खाल में सिल कर कासिम को मेरे पास लाया जाये. खलीफा इतना नाराज था कि उसने मोहम्मद बिन कासिम को मरवा दिया.

उसकी हत्या के बाद राजा की दोनों बेटियों सूरज और परमल ने एक दुसरे को क़टार मार कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली और दुश्मन की धरती पर दुश्मन से बदला ले लिया.

यह एक पिता की मौत का बदला था जो बेटियों ने अपनी जीवन-लीला समाप्त करते हुए लिया था.

यह एक सच्ची देश भक्ति भी थी जो दोनों बेटियों ने पेश की थी. खुद को बलिदान कर देश के दुश्मन का खात्मा इन दोनों ने किया था.