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वॉयस रिकॉर्डर से परीक्षा केंद्रों में नकल रोकेगी यूपी बोर्ड

नकल के मामले

नकल के मामले में उत्तर प्रदेश बहुत ज्यादा बदनाम है।

माना जाता है कि वहीं के परीक्षा में नकल रुकवाना मतलब अपनी जान से हाथ धो बैठना। इसलिए तो पूरे देश में यूपी बोर्ड की हालत बहुत खराब मानी जाती है। वह अलग बात है कि पिछले साल से बिहार ने इस मामले में यूपी बोर्ड को टक्कर दी है। नहीं तो नकल के मामले में आज भी उत्तर प्रदेश शीर्ष पर आता है।

नकल के मामले

परिवार वाले करवाते हैं नकल

प्रदेश में नकल करने के हर साल ऐसे रोज नए तरीके इजाद किए जाते हैं। बच्चों द्वारा नकल करवाने के लिए उनके परिवार वाले भी मदद करते हैं। टीवी में दिखाए जाने वाले खिड़की से नकल करवाने का प्रयास उत्तर प्रदेश के लिए ही है। यहां परीक्षार्थियों के परिवार वाले परीश्रा हॉल के खिड़की से पर्ची फेंकते हैं और परीक्षार्थियों को नकल करवाने में मदद करते हैं।

नकल के मामले

बीजेपी की जा चुकी है सरकार

नकल के मामले रुकवाने के प्रयास में बीजेपी की सरकार एक बार प्रदेश में गिर भी चुकी है। 1997 से 2000 तक प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी। इस कार्यकाल में बीजेपी के तीन मुख्यमंत्री बने थे। अंतिम मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह बने थे और उन्होंने आते ही परीक्षाकेंद्रों में नकल रुकवा दी थी।

अगले ही चुनाव में बेजपी की सरकार हार गई। उसके सोलह साल बाद अब जाकर प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी है। उस समय से अब तक माना जाता है कि ऐसा राजनाथ सिंह की वजह से हुआ है। वे ना नकल बंद करवाते और ना ही वहां सरकार गिरती। तब से कितनी सारी पार्टियों की वहां सरकार बन चुकी है लेकिन फिर भी किसी ने वहां नकल रुकवाने की कोशिश नहीं की।

अब यही बीड़ा उठाया यूपी बोर्ड ने

अब यह बीड़ा यूपी बोर्ड ने उठाया। यूपी बोर्ड ने प्रदेश में नकल बंद करने के लिए तकनीक का सहारा लिया है। क्योंकि नकल करने के कारण यूपी बोर्ड का पूरे देश के सभी बोर्ड के सामने उसे शर्मिंदगी का कारण बनना पड़ता है। इस वजह से ही यूपी बोर्ड ने अब परीक्षा में नकल बंद करने का बीड़ा उठाया है और तकनीक का सहारा लिया है।

नकल के मामले

लगाए जाएंगे वॉयस रिकॉर्डर

यूपी बोर्ड परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी के साथ अब वॉयस रिकॉर्डर भी लगाएगी। अब अगर कोई परीक्षा में बोलकर नकल करता है तो उसकी कानूनी जांच होगी और हो सका तो उनकी कॉपी रद्द कर दी जाएगी। नकल पर प्रभावी रोक लगाने के लिए बोर्ड की ओर से 2019 की परीक्षा में केंद्र निर्धारण का जो प्रस्ताव भेजा गया है। उसमें वॉयस रिकॉर्डर को भी अनिवार्य करने की बात है।

प्रदेश में सरकार बदलने के बाद 2018 की बोर्ड परीक्षा में काफी सख्ती की गई थी। पहले तो परीक्षा केंद्रों का निर्धारण ऑनलाइन हुआ। उसके अलावा नकल रोकने के लिए एसटीएफ को लगाया गया था। उन्हीं स्कूलों को केंद्र बनाया गया जहां सीसीटीवी लगे थे। इसके चलते रिकॉर्ड 10 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं ने परीक्षा छोड़ दी थी।

नकल के मामले

हालांकि, फिर भी नकल पर नकेल नहीं लगाई जा सकी। वो अलग बात है कि पर्चियों और गाइड के जरिये तो नकल नहीं हुई लेकिन वहां बच्चों से पेपर बोल-बोल कर हल करवाया गया। स्कूलों के सीसीटीवी में वॉयस रिकॉर्डर न होने के कारण यह पता करना मुश्किल हो गया कि किसी केंद्र पर बोल-बोलकर नकल करवाई गई या नहीं। इस कारण ही इलाहाबाद की संयुक्त शिक्षा निदेशक माया निरंजन ने 2018 की बोर्ड परीक्षा शुरू होने के बाद मंडल के सभी केंद्रों पर वॉयस रिकॉर्डर लगाने के आदेश दिए थे। अधिकतर केंद्रों ने बिना वॉयस रिकॉर्डर के ही परीक्षा पूरी करा ली।

अगले साल से होगी कड़ाई

बोर्ड अगले साल से कड़ाई करने जा रहा है। सचिव यूपी बोर्ड नीना श्रीवास्तव ने कहा, ‘2019 की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट बोर्ड परीक्षा के लिए केंद्र निर्धारण का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। उसमें सीसीटीवी कैमरे में वॉयस रिकॉर्डर लगे होने की बात है। परीक्षा की शुचिता बनाए रखने के लिए इसकी आवश्यकता महसूस हो रही है।’

नकल के मामले – अब देखना यह है कि यह तरकीब कितनी काम आती है। अच्छा है कि यह तरकीब काम कर जाए। क्योंकि इससे बच्चों का ही भविष्य सुधरेगा।