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भारतीय इतिहास का सबसे विनाशकारी युद्ध ! एक बूढ़े किन्तु वीर राजा के शहीद होने की कहानी, एक धोखे से झुक गया था भगवा झंडा

बन्नीहट्टी का युद्ध

तालीकोटा का युद्ध  25 जनवरी, 1565 ई. को लड़ा गया था.

विजयनगर साम्राज्य एवं दक्षिण के राज्यों के बीच हुए इस युद्ध के कारण ही विजयनगर साम्राज्य का पतन हो गया था.

इस युद्ध को ‘राक्षसी तंगड़ी का युद्ध’ और बन्नीहट्टी का युद्ध  के नाम से भी जाना जाता है.  भारतीय इतिहास का यह सबसे विनाशकारी युद्ध बताया गया है. एक बूढ़ा राजा जिसने मरने से पहले अपने महल को मुस्लिम शासक को नहीं सौपा था. यही वजह इस राजा की मौत का कारण बनी और बाद में विजय नगर साम्राज्य को बर्बरता पूर्वक लूट लिया गया था.

राजा रामराय की सेना ने जब दी कड़ी टक्कर

राजा रामराय की सेना में दो लाख सिपाही थे. 300 साल तक कोई भी मुस्लिम शासक विजय नगर पर हमला करने की हिम्मत नहीं दिखा पाया था. राजा रामराय की उम्र 70 के पास पहुँच गयी थी. इनकी दयालुता की खबरें दूर-दूर तक फैली हुई थीं. ऐसी ही एक कहानी के बारें में बताया जाता है कि राजा ने दो अनाथ मुस्लिम बच्चों को पाला था. उनको अपने बेटे की तरह पढ़ाया था. सबसे बड़ी बात यह थी कि इन्होनें इन बच्चों के लिए घर के आँगन में ही मस्जिद का भी निर्माण करवाया था. ताकि यह बच्चे अपने धर्म को समझ और अपना सकें.

एक कहानी जो बुजुर्ग लोग बताते हैं   

जिहाद के नारे के साथ कुछ मुस्लिम राज्यों ने विजय नगर पर हमला कर दिया था. हमला करने वाले राज्यों में अहमदनगर, बीजापुर, गोलकुण्डा और बीदर शामिल थे. इन मुस्लिम राज्यों के सम्मिलित आक्रमण के बावजूद विजयनगर युद्ध जीत चुका था. लेकिन अंतिम समय पर राजा रामराय के गोद लिये दोनो लड़कों ने रामराय पर पीछे से वार कर दिया और इनका कत्ल कर दिया था.

इसके बाद विजयनगर में हत्या, क़त्ल और बलात्कार सब कुछ हुआ था. पूरे राज्य को लूट लिया गया था. लेकिन यह कहानी कितनी सच्ची है यह नहीं बोला जा सकता है.

किन्तु इतिहास की पुस्तकें कहती हैं

लेकिन इतिहास कि किताबें बोलती हैं कि अली आदिलशाह ने कुछ राज्यों के साथ मिलकर विजय नगर पर हमला बोल दिया था.

युद्ध ऐसा भयंकर था कि कई दिनों तक मैदान पर धुल ही धुल नजर आ रही थी. काफी जल्दी ही खबर आने लगी थी कि विजयनगर साम्राज्य की जीत निश्चित हो गयी है. लेकिन युद्ध के अंतिम पलों में तोप का प्रयोग किया गया. यह तोपें मुस्लिम शासकों की थीं. और देखते ही देखते राजा रामराय की सेना शहीद होने लगी. राजा को पकड़ लिया गया और युद्ध भूमि में ही उसका सर कलम कर दिया गया था.

इसके बाद पूरे राज्य को लूटा गया था. यहाँ कत्लेआम किया गया था. महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ था. इस तरह से जो विजय नगर साम्राज्य हिन्दुओं को गर्व करने वाला स्थान था, वहां पर भगवा झंडा झुक जाता है.

इस युद्ध में अगर अन्य हिन्दू राजा, रामराय की मदद करते तो शायद अंजाम कुछ और हो सकता था.

लेकिन हिन्दुओं की यही कमजोरी रही है कि वह एक होकर नहीं लड़ते हैं. इस तरह से विजयनगर साम्राज्य का पतन हुआ और हमने एक वीर योद्धा को खो दिया.

लेकिन आज इतिहास में हम इस वीर हिन्दू राजा की कहानी ना पढ़कर, बस विजयनगर के पतन की कहानी पढ़ते हैं. इससे बड़ी दुर्भाग्य की बात कुछ और नहीं हो सकती है.