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देव आनंद के जन्मदिन पर कुछ लम्हे कुछ नगमे देव साब के साथ

88 साल की उम्र तक जिंदादिल… जिंदादिली की मिसाल

जिसकी एक झलक लोगों को दीवाना बना देती थी, एक एक अदा पर आहे भरती थी हसीनाएं.

जो एक बार मिल लेता औ बस दिवाना ही हो जाता था, वो थे देव आनंद.

ताउम्र जिन्होंने जिंदगी से आशिकी निभाई और जिन्दगी भी उनकी महबूबा बनकर रही.

आज देव साब का 91वा जन्मदिन है. आज उन्हें ये दुनिया छोड़े कई साल हो गए पर फिर भी लगता है कि वो यहीं है. उनका सिनेमा, उनके गीत, उनकी जिंदादिली. इसीलिए तो कहते है कि देव मारा नहीं करते वो तो अमर होते है. देव आनंद के बारे में बात करना या उनकी उपलब्धियां बताना सूरज को रोशनी दिखाने जैसा है.

आज उनके जन्मदिन पर आइये जानते है उनके बारे में कुछ जानी अनजानी बातें देव साब की कुछ तस्वीरों और उनकी फिल्मों के कुछ सदाबहार नगमों के साथ.

देव आनंद सही मायनों में भारत के अंतराष्ट्रीय सितारे थे. भारत के बाहर जितनी प्रसिद्धि देव साब को मिली थी उतनी शायद ही किसी को मिली हो. चार्ली चैपलिन से लेकर फ्रैंक काप्रा और डी सिका तक सब उनके मुरीद थे.

कहा जाता है ग्रेगरी पैक अपने ज़माने में दुनिया के सबसे हसीन मर्द थे. पूरी दुनिया की लड़कियां उन पर मरती थी और लड़के उनके जैसा बनने की कोशिश करते थे. लेकिन हमारे देव साब को उनके जैसा बनने की ज़रूरत भी नहीं पड़ी. जो आकर्षण पैक का था वही जलवा देव साब का भी था. तस्वीर में देखिये ग्रेगरी पैक से उन्नीस नहीं इक्कीस ही लगते है देव आनंद.

देव साब ने हर तरह की फ़िल्में की और हर फिल्म एक से बेहतर एक. चाहे वो हम दोनों हो या फिर टैक्सी ड्राईवर.

टैक्सी ड्राईवर से याद आया कि जब वो टैक्सी ड्राईवर की शूटिंग कर रहे थे तो मुंबई में ताज होटल के पास एक विदेशी सैलानी उनकी टैक्सी में आकर बैठ गया और उनको रेड लाइट एरिया चलने को कहा. बाद में उस सैलानी को पता चला कि ये टैक्सी फिल्म शूटिंग की है और टैक्सी ड्राईवर और कोई नहीं खुद देव साब है.

संघर्ष के दिनों की बात है . दो नौजवान एक स्टूडियो में मिले. एक को निर्देशक बनना था और दुसरे को अभिनेता. सिगरेट के दौर से शुरू हुआ बातों का सिलसिला ना जाने कब एक जिंदगी भर की दोस्ती में तब्दील हो गया. बैटन बातों में ही दोनों ने एक दुसरे से वादा किया कि दोनों में से जो भी पहले सफल होगा वो दुसरे की मदद करेगा. आगे जाकर दोनों ने कई बार साथ काम किया और कालजयी फिल्मे दी.

दोस्ती ऐसी की लगता था दो जिस्म एक जान है. वो दोनों संघर्षरत कलाकार थे भारतीय सिनेमा के सबसे बेहतरीन निर्देशक गुरुदत्त और देव आनंद.

देव साब एक फिल्म बनाना चाहते थे. फिल्म शुरू भी हो गयी.

कुछ खटपट के बाद फिल्म के निर्देशक ने काम छोड़ दिया. फिल्म इंडस्ट्री में भी बातें होने लगी कि देव साब अपनी छवि को तोड़कर ऐसी फिल्म क्यों बना रहे है.

कुछ लोगों ने तो इस फिल्म को उनके पतन की शुरुआत भी कह दिया था. फिल्म अधर में थी तभी देव साब के छोटे भाई विजय आनंद गोल्डी ने निर्देशन की बागडोर हाथ में ली. उस समय गोल्डी बहुत युवा थे और करीब करीब अनुभवहीन थे. लेकिन देव साब को उस फिल्म और गोल्डी पर पूरा भरोसा था.

वो फिल्म बनी और ऐसी बनी की तब से लेकर आज तक इस फिल्म को ना सिर्फ देव साब की सर्वश्रेष्ठ फिल्म कहा जाता है बल्कि हिंदी सिनेमा की सबसे उम्दा फिल्मों में से एक माना जाता है. जिस फिल्म को देव साब की गलती माना जा रहा था वो फिल्म थी “गाइड “.

आज जहाँ सितारों में एक दुसरे के साथ गला काट स्पर्धा होती है वहीँ गुजरे ज़माने में सितारों में कोई स्पर्धा नहीं होती थी. उनमे तो अपने सहकलाकारों के साथ गहरी दोस्ती होती थी. देव आनंद,दिलीप कुमार और राज कपूर एक ही दौर के कलाकार थे लेकिन तीनों में गहरी दोस्ती थी.

मैं जिन्दगी का साथ निभाता चला गया, हर फ़िक्र को धुंए में उडाता चला गया.

शायद देव साब की जिंदगी का फलसफा भी यही था. तभी तो जब तक जिए जिंदादिली के साथ. कभी इस बात को नहीं सोचा कि कौन क्या  कहता है. अपने बैनर नवकेतन के तले उन्होंने एक से बढ़कर एक फ़िल्में निर्देशित की. उम्र के साथ साथ सफलता uनसे दूर होती गयी लेकिन देव साब ने फ़िल्में बनाना नहीं छोड़ा. उनका कहना था कि जो फिल्मों से कमाया वो अगर फिल्मों में गँवा भी दिया तो क्या गम.

देव साब जैसे लोग बिरले ही होते है जो बरबादियों का जश्न मानते हुए हर फ़िक्र को धुंए में उड़ाते चले जाते है, और दे जाते है हसीं यादें.

आज देव आनंद साब के जन्मदिन पर हम उनको श्रद्धांजलि नहीं देते हम देव साब को सलाम करते है क्योंकि देव मरा नहीं करते.

सलाम देव साब.

Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

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Yogesh Pareek

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