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26 जनवरी को मुख्य अतिथि बन सकते हैं डॉनल्ड ट्रंप, मोदी सरकार को मिलेगा क्रेडिट!

डॉनल्ड ट्रंप

डॉनल्ड ट्रंप – मोदी सरकार भले ही देश में रोजगार पैदा करने में असफल रही हो, कालेधन को वापस लाने का अपना वादा पूरा न कर पाई हो, मगर विदेश नीति में काफी सफल रही है.

मोदी के ताबड़तोड़ विदेश दौरों की बदौलत दूसरे देशों से भारत के संबंध मज़बूत हुए हैं और देश की छवि भी सुधरी है.

इसी कड़ी में मोदी सरकार अगले साल 26 जनवरी के परेड में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को चीफ गेस्ट बनाने की तैयारी में है और उन्हें इन्विटेशन भी दे दिया गया है.

एक अंग्रेज़ी अखबार की खबर के मुताबिक, भारत ने इस साल अप्रैल में ही डॉनल्ड ट्रंप को चीफ गेस्ट बनाने का न्योता भेजा था, लेकिन अभी अमेरिकी सरकार से इस पर आधिकारिक जवाब का इंतजार है. हालांकि कहा जा रहा है कि डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन इस निमंत्रण पर सकारात्मक तरीके से सोच-विचार कर रहा है. ऐसे में यदि ट्रंप भारत आते हैं तो ये मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि होगी और उनकी विदेश नीति की सफलता भी.

आपको बता दें कि मोदी सरकार हमेशा से ही बाकी देशों से संबंध अच्छे बनाने के प्रयासों में जुटी रही है.

2015 में बराक ओबामा साल रिपब्लिक डे परेड के चीफ गेस्ट थे, लेकिन यदि डॉनल्ड ट्रंप आते हैं तो ये ज़्यादा चर्चा का विषय बनेगा, क्योंकि ट्रंप थोड़े सनकी और मूडी किस्म के ना माने जाते हैं. दुनिया के बाकी देश भी उनके इस व्यवहार से परेशान है. हालांकि ट्रंप का भारत के प्रति रुख दोस्ताना रहा है, लेकिन ट्रेड टैरिफ के मामले में उसका भारत से मतभेद है.

उन्हें ईरान के साथ भारत के करीबी ऊर्जा और ऐतिहासिक रिश्ते मंजूर नहीं है साथ ही रूस के साथ भारत के एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने के प्रस्ताव से भी डॉनल्ड ट्रंप खुश नहीं है, ऐसे में अब ये देखना है कि क्या ट्रंप अब भी भारत से पहले की तरह ही दोस्ती निभाते हैं?

ये कोई पहली बार नहीं है जब मोदी सरकार गणतंत्र दिवस समारोह में किसी विदेशी नेता को निमंत्रण दे रही है. वो हमेशा ही  दुनिया के दिग्गज नेताओं को बुलाती रही है. 2015 में जहां अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा चीफ गेस्ट बने थे, वहीं  2016 में फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रैंकोईस होलैंड, 2017 में अबू धाबी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान और 2018 में आसियान के सभी 10 नेता 26 जनवरी की परेड में चीफ गेस्ट थे.

अब देखना ये है कि क्या 2019 में भी मोदी सरकार की ये परंपरा बनी रहती है या नहीं?