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क्या मुंबई की भिखारी औरतों के DNA Test रोक पाएंगे बच्चों की चोरी?

Women beggars with kids

दिन प्रतिदिन बढ़ते बच्चा चोरी के मामलों से मुंबई हिली हुई है!

आये दिन कोई न कोई बच्चों की चोरी की घटना सामने आती है जिस में नवजात शिशुओं या फिर गोद में खेलने वाले छोटे बच्चों को अगवा किये जाने की रपट लिखवाने आते हैं उन के माँ बाप या अभिभावक!

इस मुसीबत से निबटने का एक तरीका निकाला महाराष्ट्र महिला एवं बाल कल्याण विभाग ने जहां उन्होंने मांग की, कि मुंबई कि सड़कों पर बच्चे को गोद में ले कर भिखारी औरतों के DNA Test करवाने कि मांग कि है. जिस से यह पता चल सके कि जिस बच्चे को गोद में ले कर औरत भीख मांग रही है, वह उस का असली बच्चा है भी के नहीं!

मुंबई पुलिस का कहना है कि ऐसे बच्चे या तो गरीब माँ बाप को बरगला कर उठा लिए जाते हैं या फिर उन्हें रुपये पैसे का लालच दे कर, और कुछ थोड़े बहुत रुपये पकड़ा कर खरीद लिए जाते हैं! बच्चे को उठा कर भीख मांगने वाली महिलाओं की मार्किट अच्छी है क्योंकि बच्चे की वजह से अच्छी भीख मिल जाती है! इस लिए यह बिज़नेस जोरशोर से चल रहा है!

छोटे बच्चों को ज़बरदस्ती चोट पहुंचा कर रुलाया जाता है ताकि उंन्हें रोता देख कर भावुकता में लोग ज़्यादा से ज़्यादा भीख दें और कुछ बड़े बच्चों को ड्रग और नशीली दवाएं दे कर चुप रखा जाता है और नशे की हालत में ही उंन्हें भीख मांगने के ट्रेनिंग दी जाती है और सड़कों पर छोड़ दिया जाता है!

हाल ही में महिला एवं बाल कल्याण विभाग ने मुंबई के मुख्यमंत्री के कार्यालय में एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया जिस में उन्होंने सड़क पर भीख मांग रही औरतों और उन के बच्चों को बाल सुधार गृहों में ल कर उन पर डी एन ए टेस्ट करवाये जाने की मांग की है!

फिलहाल मुंबई में ऐसे 28 सरकार द्वारा चलाये जाने वाले बाल सुधार गृह हैं और 994 ऐसे सेंटर हैं जिन्हें सरकार से सहायता प्राप्त होती है! प्राइवेट कंपनियों द्वारा चलाये जा रहे 89 दुसरे सेंटर भी हैं!

महिला एवं बाल कल्याण विभाग के प्रतिनिधि का कहना है कि सरकार को ऐसी भिखारी औरतों के DNA Test मूवमेंट को अंजाम देने के लिए 2 से 4 करोड़ कि लागत लगानी पड़ सकती है!

लेकिन इस का फायदा यह होगा कि बच्चों कि चोरी पर एक अच्छी खासी रोक लग जायेगी क्योंकि भिखारी औरतों के DNA Test के बाद बच्चों कि तस्वीर एक मिसिंग पर्सन्स वेबसाइट पर दाल दी जायेगी ताकि उन बच्चों के माता पिता अपने बच्चों को पहचान सकें!

अब इस के पक्ष में फैसला आने का इंतज़ार है!

लेकिन क्या इस प्रस्ताव के पास हो जाने से बच्चों को अगवा कर लेने की घटनाओं पर वाक़ई रोक लग जायेगी?

ऐसा पूरे विश्वास के साथ कहना ज़रा मुश्किल लगता है!