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टाइटैनिक का डूबना और इंग्लैंड का पतन ! दोनों घटनाओं में हैं गहरा संबंध ! आँखें खोल देने वाला सच !

टाइटैनिक

टाइटैनिक का तो नाम आप लोगों ने सुन ही रखा होगा.

टाइटैनिक जो एक जहाज था और दुनिया का सबसे बड़ा और आलिशान जहाज था.

ऐसा कहा जाता था कि यह जहाज कभी डूब नहीं सकता है.

इंग्लैंड के बड़े-बड़े और अमीर लोगों ने इस जहाज पर पैसा लगाया था. इस जहाज का मकसद लोगों की सेवा करना या लोगों को दुनिया की सैर कराना नहीं था बल्कि यह जहाज तो बस ज्यादा से ज्यादा मुनाफा अपने मालिकों को देना चाहता था.

एक तरह से बात की जाये तो इस जहाज पर तब काफी ज्यादा धन इन्वेस्ट किया गया था.

यह धन तब के हिसाब से दुनिया के कई देशों की पूरी अर्थव्यवस्था के बराबर था. लेकिन इस जहाज के डूबने का गम तो सभी को था. किन्तु इसका सबसे बड़ा दुःख इंग्लैंड को था. इंग्लैंड की पूरी अर्थव्यवस्था इस जहाज के डूबने से वह भी डूब गयी थी और यही वो समय था तब इंग्लैंड का परचम भी टाइटैनिक के डूबने पर खत्म होने लगा था.

आज हम आपको टाइटैनिक के तबाह होने और इंग्लैंड के पतन होने की एक ऐसी कहानी आपको बताने वाले हैं जो निश्चित तौर पर आपने कभी नहीं पढ़ी होगी-

टाइटैनिक असल में डूबा कैसे था ?

14 अप्रैल 1912 को दुर्घटना के वक्त टाइटैनिक जहाज तेज गति से चल रहा था और चालक दल हिमखंड को देख नहीं पाया और इसी हिमखंड से टकराकर जहाज दुर्घटनाग्रस्त हो गया था.

दुनिया का सबसे बड़ा जहाज टाइटैनिक 10 अप्रैल 1912 को साउथंपटन से न्यूयॉर्क के लिए अपनी पहली यात्रा पर निकला था लेकिन चालक दल की गलती की वजह से समंदर में समा गया था. टाइटैनिक के ऊपर लिखी हुई एक किताब बताती है कि टाइटैनिक असल में डूबा नहीं था बल्कि डुबाया गया था. कहीं ना कहीं यह एक चाल थी कि इंग्लैंड को बर्बाद कर दिया जाए.

क्योकि जिस वक़्त जहाज की टक्कर हुई थी अगर उसको तब उल्टी दिशा में चलाया जाता तो तब कुछ चार घंटे की दूरी पर खड़े एक अन्य जहाज से संपर्क किया जा सकता था या फिर जहाज को आगे ना ले जाकर उसी जगह भी खड़ा रखते तो तब भी मदद के लिए कुछ दूर खड़ा जहाज आ सकता था.

लेकिन हुआ था कुछ उल्टा

लेकिन जब जहाज की टक्कर हिमखंड से हुई थी उसके बाद भी उसको आगे बढ़ाया गया था. दरअसल टाइटैनिक बनाने वाली कंपनी व्हाइट स्टार लाइन के चेयरमैन ने टक्कर के बाद भी कैप्टन से जहाज को धीमी गति से आगे चलाते रहने की जिद की. करीब दस मिनट तक चलने के बाद जहाज की पेंद में घुस रहे पानी का दबाव बढ़ गया जिसकी वजह से टाइटैनिक जल्दी डूब गया था.

तो क्या इंग्लैंड को बर्बाद किया गया था?

टाइटैनिक जहाज पर सफर करने वाला सबसे अमीर आदमी जॉन जैकब अस्टर IV था जिसके पास 85 मिलियन डॉलर सम्पति थी, लेकिन वो जहाज के साथ ही डूब गया था. जिस दिन टाइटैनिक डूबा था उसको इंग्लैंड का सबसे अशुभ दिन माना जाता है. इस घटना में 1500 लोग मारे गये थे और अधिकतर अमीर व धनाढ्य लोग इंग्लैंड के ही थे. इंग्लैंड के अरबपति जान जैकब के अलावा बेंजामिन गुग्गेनीम और श्रीमती बेलामी भी इस घटना में चली गयी थी. अरबपति के अलावा कई लखपति लोग भी टाइटैनिक में जान गंवा चुके थे.

तो जब इंग्लैंड की अर्थव्यवस्था के इतने महान लोग जब मरे तो एक तरह से इंग्लैंड अनाथ हो गया था. क्योकि यह लोग धन से ही नहीं बल्कि दिमाग से भी इंग्लैंड को मदद कर रहे थे. हजारों लोगों की इन्होनें रोजगार दे रखा था और टाइटैनिक दुर्घटना के बाद हजारों लोग बेरोजगार हुए थे. इंग्लैंड को इस यात्रा से धन प्राप्त होना था और सारा धन एक ही टक्कर में डूब गया था.

साथ ही साथ इस धटना के कुछ ही समय बाद सन 1914 में इंग्लैंड को आयरलैंड के साथ गृहयुद्ध लड़ना पड़ा था और तब तो इंग्लैंड की अर्थव्यवस्था एक दम सड़क पर आ गयी थी.

लेकिन जानकार बताते हैं टाइटैनिक की घटना ने इंग्लैंड की अर्थव्यवस्था को सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाया था.

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