इतिहास

कलियुग नहीं है ये, मेघालयन युग चल रहा है

मेघालयन युग – कहते हैं कि समय किसी के लिए नहीं रूकता। आज जो कुछ भी है वही आपका है क्‍योंकि कल कैसा समय हो, ये कोई नहीं बता सकता। अगर संसार में किसी को सबसे बलवान कहा गया है तो वो है ‘समय’।

जी हां, हम सब समय के हिसाब से ही चलते हैं और इसके विरूद्ध एक पत्ता भी नहीं हिल सकता है।

भारत ही नहीं बल्कि पूरे ब्रह्मांड को अस्‍तित्‍व में आए हुए कई साल बीत गए हैं लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि ये बात हमें कैसे पता कि कई साल बीत चुके हैं, पृथ्‍वी और सूर्य की इतनी उम्र हो चुकी है और बिग बैंग को इतने साल बीत चुके हैं।

हमारी जिंदगी से जुड़ी कुछ छोटी-मोटी चीज़ों का हिसाब रखने के लिए हमने सेकेंड, मिनट, घंटे और दिन बनाए।

मध्‍यम लंबाई के समय का हिसाब रखने के लिए हफ्ता, महीना और साल बनाए और बड़े समय का हिसाब रखने के लिए दशक, सदी, सहस्‍त्राब्‍दी युग बने। हमारी दैनिक दिनचर्या का हिसाब रखने के लिए समय की ये सारी यूनि‍फॉर्म्‍स काफी हैं।

छोटे समय, मध्‍यम और बड़े समय जानने के लिए मेरजमेंट यानि नापना काफी है नापने के लिए घड़ी, कैलेंडर आदि का इस्‍तेमाल किया जाता है लेकिन कुछ बहुत छोटे समय को नापने के लिए कैलकुलेशन यानि गणनाओं का सहारा लेना पड़ता है। तो फिर ऐसे में इतने लंबे समय का हिसाब कैसा रखा गया।

मेघालयन युग –

जब ब्रह्मांड में सूर्य, चंद्रमा, पृथ्‍वी और बिग बैंग आदि अस्‍तित्‍व में आए थे तब घड़ी, और कैलेंडर तो छोडिए खुद इंसान का आविष्‍कार नहीं हुआ था।

यूं कभी कार्बन डेटिंग से, कभी दूर के ग्रहों से पहुंचने वाली रोशनी से, कभी पेड़ों पर बनने वाले छल्‍लों से, कभी अंटार्कटिका में पड़ने वाली बर्फ से, कभी जीवाश्‍मों से तो कभी गुफा के अंदर पाए जाने वाली परतों और चट्टानों से इस विशाल समय की गणना की जाती है।

कई बार एक से ज्‍यादा गणनाओं का इस्‍तेमाल भी होता है।

इसी आधार पर एक गुफा का अध्‍ययन किया गया।

तब उसमें बने हुए दलदल सरीखी चट्टान की परतों से 4200 साल पहले हुए जलवायु परिवर्तन के बारे में पता चला। इसने धरती और यहां की चीज़ों और जीवों पर कई तरह से प्रभाव और उनमें परिवर्तन किया।

उद्देश्‍यों और कारणों की वजह से इन नए वर्षों के ग्रुप को नई एज या नया काल कहा जाता है और इस नए काल का नाम उसी राज्‍य के नाम पर रखा गया जहां पर वो गुफा स्थित थी। आपको बता दें कि ये गुफा भारत के मेघालय में स्थित थी। इस गुफा का नाम मॉमलुह था।

इस गुफा का अध्‍ययन करने के बाद पता चला कि इतिहास में 4,200 साल पहले धरती पर जलवायु परिवर्तन व्‍यापक रूप से हुए थे। इसकी वजह से कई सदियों से सूखे की स्थिति रही थी।

ये हालात इतने खराब थे कि पुरानी एवं प्राचीन सभ्‍यताएं या तो नष्‍ट हो गईं या नष्‍ट होने की कगार पर पहुंच गईं थीं।

मेघालयन युग – आप कुछ भी कर लें लेकिन एक समय पर दो जगह नहीं रह सकते हैं और देश या क्षेत्र के हिसाब से आप कहीं भी रहते हों लेकिन काल या समय के हिसाब से आप मेघालयन एज या मेघालय काल में रहते हैं कलियुग में नहीं।

Parul Rohtagi

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Parul Rohtagi

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