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इस दिवाली आप सब से निवेदन है कि कोई “पटा के” न छोड़ें!

happy-diwali

अरे सब से पहले जिनको लग रहा है कि लिखने में स्पेलिंग मिस्टेक हुई है, नहीं यार, कोई ग़लती नहीं है!

पटाखों से दूर रहने को तो सारी दुनिया ही आप से कह रही होगी लेकिन मैं आप से कह रहा हूँ “पटा के” न छोड़ें! यानी इन दिवाली की धूम-धाम में जो नयी दोस्तियाँ होने वाली हैं, जो नए रिश्ते बनने वाले हैं, उनका ज़रा ध्यान रखना!

असल में होता क्या है कि दिवाली मेलों और बाकी की धूम-धाम में कब जाने किस से नैन-मटक्का हो जाता है, कौन से तार किस से मिल जाते हैं! पटाखों के साथ दिल में भी कई सारे बम फटते हैं, फुलझड़ियाँ दिल के रॉकेट सातवें आसमान तक ले जाती हैं और जी करता है दिवाली की चकाचौंध से सारी ज़िन्दगी मचल जाए! लेकिन फिर अगली ही सुबह हम पटा-पटाया रिश्ता, दोस्ती, वगैरह सब भूल जाते हैं!

यारों थोड़ा सब्र करो इस बार, कोई पटा या किसी को पटाया तो कुछ दिन तो दोस्ती को आगे बढ़ाओ, एक-आध साल तो रिश्ता निभाओ! लगे तो सही कि दिवाली के पटाखों में दम था, फुस्स नहीं थे वो! मीठा खाओ, मीठा खिलाओ और साथ में ज़रा मिठास बढ़ाओ! साल में एक बार आता है ये त्यौहार और इन दिनों में बने रिश्ते भी रोज़ नहीं बना करते! घरवालों से भी खुली छूट होती है जिस मर्ज़ी से मिल लो, जिस मर्ज़ी के साथ घूमने जाओ, मिठाईयाँ बाँटने के बहाने प्यार बाँट आओ, कोई नहीं रोकेगा!

जगमगाती ज़िन्दगी की एक ही रात क्यों हो, पूरा साल, या पूरी ज़िन्दगी क्यों नहीं? मोहब्बत पर पड़ी अमावस्या पर दिवाली में इश्क़ की रौशनी लाओ, और ऐसे पटाखों की लड़ी लगाओ जो एक-दो घंटे नहीं, 1-2 साल तो कम से कम बजें! लगे तो सही कि दिवाली मनाई थी!

तो हो जाओ तैयार, पहन लो गज़ब के कपड़े, चेहरे पर रोशन कर दो खुशियों का मौसम और ढूँढ लो अपने लिए कोई! ये मज़ेदार रोज़-रोज़ नहीं आनेवाले बंधू!

दिवाली की ढेर सारी शुभकामनायें! ख़ुशियाँ बांटें, ख़ुशियाँ मनाएँ!