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मुंबई में गर्लफ़्रेंड भी मिलती है और पैसा भी! फिर क्या नहीं मिलता?

मुंबई भारत के सभी शहरों से एकदम अलग है!

यह बात वही लोग समझ सकेंगे जो यहाँ रह चुके और यहाँ के जीवन से वाकिफ़ हैं| बहुत से लोग यहाँ पैसा कमाने आते हैं तो कई सारे लोग अपने सपने पूरे करने! सच कहूँ तो अगर मेहनत से घबराते नहीं हो तो पैसा कमाना सबसे आसान काम है इस शहर में| और जहाँ तक गर्लफ़्रेंड का सवाल है, मुंबई एक ऐसा शहर है जिसकी सोच बाकी देशवासियों से थोड़ी सी आगे चलती है! इसलिए यहाँ इश्क़ होना, प्यार-मोहब्बत के नज़ारे देखने को मिलना बड़ी आम सी बात है!

तो फिर मिलता क्या नहीं है?

मेरे दोस्त वही नहीं मिलता जिसकी वजह से इश्क़-मोहब्बत के नज़ारे आराम से देखने को मिलते हैं!

समझे? चलो मैं बताता हूँ|

वो चीज़ है: जगह!

जी हाँ, जगह की कमी है इस शहर में! रहने के लिए, खाने के लिए, घूमने के लिए, मस्ती करने के लिए यहाँ तक कि कई बार तो साँस लेने के लिए भी जगह कम पड़ जाती है!

कभी लोकल ट्रेन का सफ़र कीजिये और वो भी ऑफ़िस जाने या आने के वक़्त पर और देखिये कैसे आपको भीड़ कुचल के रख देगी सेकंड क्लास के डब्बे में! हर कोई महँगे रेस्टोरेंट में खाना नहीं खा सकता तो सड़क किनारे किसी खाने के स्टॉल पर लोगों का मजमा लगना आम सी बात है|

घूमने जाना हो तो ऐसा लगता है सारा शहर आपको कंपनी देने के लिए सड़कों पर निकल आया है!

तो भैया फिर प्यार करोगे कहाँ?

छोटे-छोटे से माचिस की डिब्बी सरीखे घरों में 10-12 लोग चिपक-चिपक के जीते हैं| इसीलिए मुंबई की बीचेज़, मुंबई के ऑटो-टैक्सी ही बच जाते हैं आशिक़ों को अपनी आशिक़ी को अंजाम देने के लिए! कुछ सस्ते होटल भी हैं वैसे लेकिन पिछले दिनों मुंबई पुलिस ने उन पर भी छापा मार के उनके दरवाज़े हमेशा के लिए बंद कर दिए!

एक तरफ़ यह हाल है और दूसरी तरफ़ मुहीम चला रखी है कि प्यार बाँटते चलो!

अरे यार, सोने-उठने की तो जगह मिलती नहीं, प्यार कहाँ से होगा? और होगा नहीं तो भाई साहब बँटेगा कैसे?

बस इसी जद्दोजेहद में हर मुंबईकर एक बेहतर कल के सपने देखते हुए जिए जा रहा है! इस आशा में दिन कटते हैं कि शायद सोयी सरकार जागेगी, शायद इस शहर का विकास होगा आम आदमी की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए ना कि सिर्फ़ अमीरों की जेबें भरने के लिए! शायद आने वाली पीढ़ी एक ऐसे शहर में साँस ले पाएगी जहाँ प्यार करने के लिए पत्थरों के पीछे छुपना नहीं पड़ेगा या किसी ऑटो-टैक्सी की सवारी नहीं करनी पड़ेगी!

इंसान को इंसान की तरह जीने की आज़ादी जिस दिन मिल गयी, समझ लीजियेगा उस दिन मुंबई, शांघाई तो क्या, दुनिया का सबसे हसीं शहर बन जाएगा!

उम्मीद पर दुनिया क़ायम है, क्यों दोस्तों?

Nitish Bakshi

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Nitish Bakshi

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