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हम सबको माँ के हाथ का खाना सबसे अच्छा क्यों लगता है!

भोजन बनाते वक़्त

भोजन से हमारा जीवन है, क्योकि हम जैसा भोजन करते है वैसी ही हमारी सोच होती है और उस सोच के अनुसार जीवन बनता है.

इस तरह से जब हम अच्छा भोजन करते है, तो हमारा जीवन अच्छा बनता है. लेकिन जब हम निन्म दरज्जे का खाना खाते है, तब हम शरीर, दिमाग, और सोच से कमजोर हो जाते है.

भोजन के प्रकार के साथ भोजन बनने वाले की सोच का प्रभाव भी भोजन पर पड़ता है. इसलिए भोजन बनाते वक्त इस तरह का बुरा या गलत विचार लाना भोजन को दूषित कर देता है.  

आइये जानते  है भोजन बनाते वक़्त किन बातों का ख्याल रखना चाहिए !

1 – क्रोध

भोजन बनाते वक़्त गलती से क्रोध भाव मन में न लायें, क्योंकि भोजन बनाने वाले के मन का भाव भोजन में समाहित होता है, जो भोजन के माध्यम से भोजन करने वाले के शरीर में पहुँचता है और भोजन करने वाले के जीवन को वैसे ही बनाता है.

2 – बुरी सोच

भोजन बनाते वक्त बुरी सोच रखने से भोजन करने वाले में बुरी सोच की उत्पत्ति होती है. इसलिए भोजन बनाते वक्त बुरी सोच न रखे और ना ही कभी दुखी कभी मन से भोजन बनाए. इससे भोजन करने वाले के मन में उदासीनता आती है.

3 – वासना

भोजन बनाते वक्त वासना जैसी भावनाओं के बारे में न सोचे. इस विचार के साथ भोजन बनाने से भोजन करने वाले की मानसिक स्थिति कमजोर होती है और उसका दिमाग पर दुष्प्रभाव पड़ता है.

4 – चिंता

भोजन बनाते वक्त चिंता भाव रखने से भोजन करने वाला इंसान डिप्रेशन व दिमागी कमजोर बनता है. इसलिए भोजन बनाते वक्त ध्यान रखे की आपके मन में किसी तरह की चिंता भाव न हो.

5 – षड्यंत्र                                                                                                       

भोजन बनाते वक़्त षड्यंत्र वाली बात नही  सोचे. इससे भोजन करने वाले की प्रवृति षड्यंत्रकारी और अनैतिक बनती है. इसलिए भोजन हमेशा साफ़ मन से बनाए.

भोजन पर भोजन बनाने वाले का प्रभाव पड़ता है, इसलिए पहले के तपस्वी और ब्राह्मण अपना भोजन स्वयं बनाते थे, ताकि भोजन के मध्यम से उनके दिमाग में कोई गलत चीज  न पहुंचे और सकारात्मक सोच से उनकी सिद्धि पूरी होती रहे.

भोजन बनाते वक़्त प्रेम भाव, सकारात्मक सोच, और अच्छी बाते सोचे. जब माँ खाना बनाती है, तो यही सोच रखती है इसलिए हम सबको  माँ के हाथ का खाना सबसे अच्छा लगता है और माँ के लिए सबसे ज्यादा प्यार भाव रहता है.