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इस वजह से होता है लड़का-लड़की में आकर्षण, ये है अट्रैक्शन की थ्योरी

अट्रैक्शन की थ्योरी

अट्रैक्शन की थ्योरी – पहले के ज़माने में लोग एक ही इंसान से प्‍यार करने में पूरी जिंदगी निकाल देते थे।

लैला-मजनू और हीर-रांझा की कहानी भी कुछ ऐसी ही थी जिन्‍होंने अपने प्‍यार के बदले अपनी जान दे दी लेकिन आज के मॉडर्न ज़माने में ऐसा बहुत कम ही देखने को मिलता है।

आजकल तो लोग कपड़ों की तरह पार्टनर बदलते हैं। किसी को पहली नज़र में देखने ही उसे अपना क्रश बना लेते हैं और फिर कब ये क्रश प्‍यार में बदल जाता है पता ही नहीं चलता। किसी की खूबसूरत आंखें अट्रैक्‍ट करती हैं तो किसी की प्‍यारी बातें। किसी के प्रति आकर्षित होने की कोई उम्र नहीं होती है। ये कभी भी हो सकता है।

हाल ही में हुई एक रिसर्च में सामने आया है कि इंसान उन लोगों की तरफ ज्‍यादा अट्रैक्‍ट होता है जिनके फीचर्स उनके माता-पिता से मिलते-जुलते हों। अट्रैक्शन की थ्योरी के इस रिसर्च के परिणाम यू.के की ग्‍लासगो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा निकाले गए हैं।

अट्रैक्शन की थ्योरी के रिसर्च की मानें तो हेट्रोसेक्‍शुअल पुरुष और लेस्बियन महिलाओं में ऐसी महिलाओं के लिए प्‍यार की भावना पैदा होती है जिनकी आंखों का रंग उनकी मां की आंखों के जैस हो। हेट्रोसेक्‍शुअल महिला और गे पुरुष अपने पिता जैसी आंखों वाले पुरुषों के प्रति आकर्षित रहते हैं।

इस अध्‍ययन में 300 पुरुषों और महिलाओं को शामिल किया गया था। इस रिसर्च के परिणामों को सेक्‍शुअल इन प्रिंटिग थ्‍योरी के साथ भी जोड़कर देखा गया है।

दरअसल, ये एक थ्‍योरी है जिसमें पशुओं की अनेक प्रजातियों पर रिसर्च की गई थी। इस थ्‍योरी के अनुसार पक्षी और जानवर सभी अपने लिए ऐसा साथी चुनते हैं जो उनके माता-पिता जैसा दिखता हो या जिनके आंखों का रंग उनके पैरेंट्स जैसा हो।

अट्रैक्शन की थ्योरी – शोधकर्ताओं की मानें तो हमारे अंदर ऐसे लोगों के लिए प्‍यार की भावना पैदा हो जाती है जिनके फीचर्स हमारे माता-पिता से मिलते हों या आंखों का रंग मिलता हो।