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क्या है कहानी याकूब मेमन की

12 मार्च 1993… बाबरी मस्जिद को गिराए बस चार ही महीने हुए थे.

देश पर हुए घाव पर मलहम भी ना लगा और फिर से साम्प्रदायिकता की तलवार ने कौमी एकता का गला काट दिया. देश की व्यापारिक राजधानी मुंबई, देश के सबसे सुरक्षित शहरों में से एक.

एक एक बाद एक धमाकों से दहल गया ये सपनों का शहर, पहले पहल तो किसी को पता ही नहीं चला की आखिर हुआ क्या है?

और जब पता चला तो बस बची थी कुछ जली अधजली लाशें और खंडहर हुयी इमारतें.

मुंबई धमाकों से पहले मजहब की कोई जगह नहीं थी माफिया में, पर इस घटना के बाद अंडरवर्ल्ड में भी मजहब के नाम पर टुकड़े हो गए.

दाउद इब्राहीम ने पाकिस्तानी एजेंसी के साथ मिलकर इन धमाको को अंजाम दिया इस बात से सबसे ज्यादा नाराज़ हुआ तो वो था दाउद का सिपहसालार छोटा राजन.

पर राजन को ये नहीं पता था कि  D- कम्पनी में उसकी बढती ताकत को रोकने की साजिश रची गयी है, जिसके सूत्रधार थे टाइगर मेमन और छोटा शकील.

टाइगर मेमन और उसका परिवार दाउद का विश्वासपात्र था.

मेमन परिवार का सदस्य ,टाइगर का भाई याकूब मेमन जो की पेशे से एक चार्टेड अकाउंटेंट था, ऐसा क्या किया उसने की टाडा कोर्ट में उसे फांसी की सजा दी गयी और उसकी माफ़ी की अपील राष्ट्रपति तक ने खारिज़ कर दी….

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