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“वे मेरी बीवी का शोषण करते थे”, पाकिस्तान के ईट भट्टी मजदूरों की कहानी

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पाकिस्तान में ईट भट्टी मजदूरों की जो हालत हो रखी है, भगवान कहे किसी भी तरह के आदमी की ना हो.

वक़्त में पीछे जाने के लिए आपको टाइम मशीन की ज़रुरत बिलकुल नहीं है. पकिस्तान के किसी भी ईट भट्टी में जाकर वहाँ का माहौल देख लीजिये. आपको वहाँ का माहौल बखूबी काफी पिछड़ा हुआ नज़र आएगा.

आपको यकीन नहीं होगा कि यहाँ की ईट भट्टियों में आज भी गुलामी ज़ोरों-शोरो में चलती नज़र आती है. यहाँ के मजदूर अपना सालों पुराना कर्ज़ चुकाने के लिए मजबूरी में गुलामी करते हैं.

यहाँ के मजदूरों की हालत इतनी खराब है कि इन्हें 2 वक़्त की रोटी भी ठीक से नसीब नहीं होती!

यहाँ के ईट माफ़िया मजदूरों की बीवियों को उठाकर उनके साथ जोर-ज़बरदस्ती करते हैं और बात यहाँ तक सीमित नहीं रहती.

ये गुंडे अपना गुंडाराज कायम रखने के लिए मजदूरों को जान से मार भी डालते हैं. इन भट्टियों में काम करनेवाले छोटे-छोटे बच्चे, दिन में 16 घंटे कमर तोड़ मेहनत करते हैं. इनका बचपना इनसे ज़बरदस्ती छीन लिया गया है. यहाँ पर बच्चों के होठों की हंसी को उनके हाथों पर पड़े छालों ने बिलकुल तहस-महस करके रख दिया है.

यहाँ के ईट भट्टियों की यह हालत पिछले कई सालों से है लेकिन न जाने क्यों दुनिया की नज़र ऐसी जगहों पर जल्दी नहीं पड़ती.

ये माफिया अपना गुंडाराज सबसे ज़्यादा लाहौर शहर के बाहरी इलाकों में फैलाए हुए हैं.

चलिए, हम समझते हैं कि पकिस्तान एक पिछड़ा देश है. हिन्दुस्तान जैसी उसकी आर्थिक स्थिति नहीं है लेकिन जो बात अंतराष्ट्रीय स्तर पर आपके देश का नाम खराब कर रही है, क्या आपको उस मुद्दे में दखल देनी नहीं चाहिए?

पकिस्तान सरकार सफाई पर सफाई तो दे रही है कि वह इन ईट मजदूरों के लिए बहुत कुछ कर रही है लेकिन यहाँ की तसवीरें देखने पर ऐसा बिलकुल नहीं लगता.

देखिये, हर एक महत्त्वपूर्ण चीज़ जो एक इंसान करता है, वह ना भूतकाल के लिए और ना ही वर्तमान के लिए करता है.  हर एक महत्त्वपूर्ण चीज़ जो एक इंसान करता है, वह उसे भविष्य के लिए करता है.

पकिस्तान सरकार को भी इस बात को समझना चाहिए और भला सब इलज़ाम पकिस्तान सरकार पर उड़ेल कर क्या हासिल होगा?

वहाँ की आम जनता को भी इस बात को समझना चाहिए.

मेरे ख्याल से यही सही समय है कि पकिस्तान सरकार इन ईट माफियों के खिलाफ कोई एक्शन ले.

पकिस्तान सरकार को कम से कम उन छोटे बच्चों के बारे में सोचना चाहिए जो इस देश के और दुनिया के भविष्य के लिए काम करेंगे.