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क्या है भाजपा के ‘कमल’ का सफ़र?

BJP Journey Story

संसद और विधानसभाओं में प्रतिनिधित्व के आधार पर देश के दूसरे सबसे बड़े दल भारतीय जनता पार्टी आज केंद्र व देश के कई प्रदेशों में अपनी सरकार सफलतापूर्वक चला रही है.

भाजपा के ‘कमल’ के सफ़र की बात करें तो बिना आरएसएस की बात किए भाजपा की कहानी अधूरी मानी जाएगी. क्योंकि आरएसएस ही भाजपा का आधार स्तंभ माना जाता है. 1925 में नागपुर में हिंदुत्व विचारधारा की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना गैर राजनीतिक दल के रूप में हुई. वहीं, श्यामा प्रसाद मुख़र्जी ने आरएसएस से संबंधित राजनीतिक दल जनसंघ की स्थापना वर्ष 1951 में की थी. 1977 में जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद जनसंघ उसका हिस्सा बन गई. गौरतलब है कि तब जनता पार्टी देश में पहली गैर-कांग्रेसी सरकार बनी थी.

1979 में कुछ आतंरिक विरोधों के चलते सरकार गिर गई और छह अप्रैल, 1980 को पृथक दल के रूप में भाजपा अस्तित्व में आई. इसी के साथ जनसंघ के सहयोगियों के साथ अटल बिहारी वाजपेयी भाजपा के पहले अध्यक्ष बने. आपको जानकार ये हैरानी होगी कि भाजपा के अबतक के इतिहास में अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के बाद एक से अधिक बार पार्टी अध्यक्ष बनने वाले राजनाथ सिंह तीसरे नेता हैं. वहीं, अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी जनसंघ के भी अध्यक्ष रह चुके हैं.

अब अगर बात करें लोकसभा चुनावों में भाजपा के 1984 से लेकर 2009 तक के प्रदर्शन पर तो 1984 में भाजपा को 7.4 प्रतिशत वोट मिले थे और उसे सिर्फ 2 सीटों पर ही विजय प्राप्त हुई. इंदिरा गांधी की हत्या की पृष्ठभूमि में हुए इस आम चुनाव में कांग्रेस ने विरोधियों का सूपड़ा साफ़ कर दिया था लेकिन वोट प्रतिशत के मामले में भाजपा दूसरे स्थान पर रही.

1989 में भाजपा को 11.4 प्रतिशत वोट मिले थे और उसने 86 सीटों पर जीत दर्ज की थी. 1986 में लालकृष्ण आडवाणी भाजपा पार्टी के अध्यक्ष बने. उन्होंने राम जन्म भूमि आंदोलन शुरू किया. 1989 के चुनाव में भाजपा ने जनता दल को बिना शर्त समर्थन देकर कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया था. तब वी.पी. सिंह प्रधानमंत्री बने थे. 25 सितंबर, 1990 को आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक की रथयात्रा शुरू की थी. लालू प्रसाद के आदेश पर बिहार के समस्तीपुर में रथयात्रा को रोककर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. तभी बदले में भाजपा ने केंद्र सरकार से अपना समर्थन वापस लेकर सरकार गिरा दी थी.

 

1991 में पहली बार भाजपा दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर लोकसभा में उभरी. इस चुनाव में भाजपा को 20.8 प्रतिशत वोट मिले थे और 120 सीटें. गौरतलब है कि राजीव गांधी की हत्या की पृष्ठभूमि में हुए इस चुनाव में कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की थी.

20.3 प्रतिशत वोटों और 161 सीटों के साथ 1996 में 11वें लोकसभा चुनाव में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरी. वाजपेयी प्रधानमंत्री बने लेकिन समर्थन नहीं मिलने के कारण 13 दिनों में ही उनकी सरकार गिर गई थी.

1998 में भाजपा को 25.6 प्रतिशत वोट मिले एवं 182 सीटें अर्जित करते हुए भाजपा ने अबतक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन दिखाया. इसी के साथ भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरी. वाजपेयी के नेतृत्व में गठबंधन सरकार का गठन हुआ.

1999 में मुख्य सहयोगियों के समर्थन वापस लेने के बाद भाजपा विश्वास मत नहीं हासिल कर सकी और सरकार गिर गई. फिर हुए आम चुनाव में भाजपा 23.8 प्रतिशत वोट हासिल कर सकी और 182 सीटें पाने में कामयाब हुई. आखिरकार, भाजपा ने अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर सत्ता में वापिसी की. वाजपेयी फिर प्रधानमंत्री बने और इस सरकार द्वारा कार्यकाल पूरा किया गया. इसी के साथ ये अपना कार्यकाल पूरा करने वाली पहली गैर-कांग्रेसी सरकार कहलाई.

2004 के आम चुनावों में भाजपा का ‘भारत उदय’ का नारा नाकाम रहा. उसके बदले कांग्रेस के आम आदमी के नारे को समर्थन मिला. कांग्रेस की सरकार बनी और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने. इस आम चुनाव में भाजपा को 22.2 प्रतिशत वोट मिले और 138 सीटें मिलीं.

2009 में भी 18.8 प्रतिशत वोटों और 116 सीटों के साथ भाजपा पार्टी का निराशाजनक प्रदर्शन जारी रहा. वहीं, कांग्रेस ने अपने पिछले प्रदर्शन को सुधारा और इसी के साथ मनमोहन सिंह दोबारा प्रधानमंत्री बने.

इन सभी उतार-चढ़ावों को पार करके आखिरकार भाजपा नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2014 में हुए आम चुनावों में पूर्ण बहुमत के साथ विजयी हुई और फिलहाल अपने कार्यकाल को पूरा करने वाली है.

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