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भूतों द्वारा निर्माण किया गया था यह अद्भूत मंदिर!

भूतों ने मंदिर का निर्माण किया

भारत रहस्यों और रोचक किस्से-कहानियों से भरा हुआ देश है.

यहाँ हमें हर जगह कुछ न कुछ ऐसा देखने, सुनने, और पढ़ने मिलता है जो हैरान कर देता है.

आपने भूतों से जुड़ी अनगिनत कहानियां सुनी होगी, लेकिन आज हम आपको भूतों से जुड़ी  एक ऐसी अनोखी बात बता रहे हैं जिसको जानकार आप हैरान रह जायेंगे.

भूतों की हरकतों के बारे में आपको सबको पता है, लेकिन  क्या आप जानते हैं इन भूतों ने मंदिर का निर्माण किया था!

यह मंदिर केरल और तमिलनाडु से लगभग 6  किमी दूर परमर्थनदम शहर में  स्थित है.

यह मंदिर लगभग  4000 साल प्राचीन  है और  तीन नदियों से घिरा हुआ है. ये तीनों नदियाँ मिलकर एक द्वीप बनाती है, जो वत्तरु नाम से जाना जाता है. यहाँ आदि केशव पेरुमल का मंदिर भी है. इस जगह को थिरूवत्तरु भी कहते है.

यह  मंदिर श्री पेरंबदूर नामक स्थान में है, इसको  ‘भूतपुरी’ भी कहते है. इस जगह पर  संत श्रीरामानुजाचार्य का  जन्म भी हुआ था.

पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन काल में इस जगह पर  भूतों द्वारा  भगवान्  शिव की तपस्या  की जाती थी.

कथाओं और मान्यताओं के अनुसार एक बार शंकर भगवान  तांडव  नृत्य कर रहे थे. उनका यह नृत्य देखकर भूतगणों  ने  हंसना शुरू कर दिया. जिससे क्रोधित होकर भगवान शंकर ने उनको अपने से अलग होने का श्राप दिया. इस बात से दुखी सारे भूत ब्रह्माजी के पास पहुंचे. ब्रह्मा जी ने उन भूतों को वेंक्टेश्वर गिरि के दक्षिण दिशा में स्थित  सत्यव्रत तीर्थ में भगवान  केशवनारायण की आराधना करने की सलाह दी. इन भूतों ने कई  वर्षों तक लगातार तप कर भगवान  केशवनारायण को प्रसन्न किया, जिसके कारण भगवन ने उन्हें अपने दर्शन दिए.

उस कठोर तप के कारण प्रसन्न हुए  भगवान केशवनारायण ने उन भूतों की श्राप मुक्ति के लिए एक सरोवर बनाया जो अनंतसर  नाम से प्रचलित है.  इस सरोवर के पवित्र जल में डुबकी लगाकर सारे  भूतगण उस श्राप से मुक्त हो गए और उनको फिर से भगवान शिव की प्रियता मिली.

श्राप मुक्त होने की ख़ुशी में भूतों ने अपना आभार व्यक्त करने के लिए भगवान विष्णु के लिए यह  मंदिर बनाया.

इस जगह पर भूतों ने तपस्या की इसलिए इस  स्थान को  भूतपुरी  नाम दिया गया.

आप इस अद्भूत जगह के बारे में और जानना चाहते हैं तो एक बार इस जगह की यात्रा करके आइये.