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मोदी विरोधी इस महिला की मुश्किलें बढनेवाली है क्योंकि…

तीस्ता सीतलवाड़

बहुत जल्द प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विरोधी तीस्ता सीतलवाड़ की मुश्किले बढ़ने वाली है.

आरोप है कि तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद ने 2002 दंगा पीड़ितों की मदद के नाम पर पैसों की जो उगाही की थी उनका उपयोग उन्होंने अपने निजी फायदे के लिए किया है.

गुजरात पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में यह दावा करते हुए कहा कि उसके पास इस बात के दस्तावेजी प्रमाण हैं कि तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति ने दंगा पीड़ितों के नाम पर देश और विदेशों से अपने एनजीओ को मिले 9.75 करोड़ रुपयों में से 3.85 करोड़ रुपये निजी कार्यों में खर्च किए. जो कि कानूनी रूप से सही नहीं है.

आपको बता दे कि तीस्ता सीतलवाड़ पर इसके पहले भी आरोप लगते रहे हैं कि वे नरेंद्र मोदी के खिलाफ गुजरात दंगों को लेकर विरोधी दलों के इशारे पर एक मुहिम चला रही है.

पहले यह मुहिम नरेंद्र मोदी को बदनाम कर उन्हें भारत का प्रधानमंत्री बनने से रोकना था. इसके लिए उन्होंने मोदी को बदनाम करने के लिए कई प्रयास किए लेकिन अदालत के दरवाजे पर वे सब खारिज हो गए. कहा जाता है कि उस वक्त तीस्ता को कांग्रेस पर्दे के पीछे से मदद कर रही थी. अदालत के आदेशों के बावजूद उनके एनजीओं के खिलाफ आने वाली शिकायतों पर उस समय कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति की जाती थी.

लेकिन अब गुजरात पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में 83 पन्नों के ऐफिडेविट दाखिल कर विस्तार से बताया कि तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद के साथ-साथ उनके ट्रस्टों सेंटर फॉर जस्टिस ऐंड पीस (सीजेपी) और सबरंग ने शिकायतों की जांच के लिए जरूरी दस्तावेज मुहैया कराने में बिल्कुल मदद नहीं की.

यही नहीं ऐफिडेविट में कहा गया है कि जब पुलिस ने गुलबर्ग सोसायटी के दंगा पीड़ितों की उन शिकायतों की जांच के लिए जरूरी दस्तावेज मांगे, जिनमें सीतलवाड़ और उनके पति पर आरोप लगाया गया था कि उनके पास चंदे की राशि जमा हो गई तो दोनों वादे के मुताबिक दंगा पीड़ितों को मदद से मुकर गए.

आपको बता दें कि तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद की अग्रिम जमानत याचिका गुजरात हाई कोर्ट से खारिज होने के बाद दोनों ने पुलिस गिरफ्तारी से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरअवाजा खटखटाया था.

सुप्रीम कोर्ट ने उस वक्त पुलिस को दोनों की गिरफ्तारी से रोक लिया, लेकिन दोनों को जांच के लिए जरूरी दस्तावेज पुलिस को सौंपने का आदेश दिया था.

गुजरात पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि उसने 2007 से 2014 तक सीतलवाड़ और उनके पति के साथ-साथ सीजेपी, सबरंग के बैंक खातों की जांच की. पुलिस के मुताबिक, दोनों एनजीओज को इस दौरान देश और विदेश से कुल 9.75 करोड़ रुपये के दान मिले.

पुलिस का दावा है कि तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति ने दान की इस रकम में से 3.85 करोड़ रुपये का इस्तेमाल व्यक्तिगत खर्चों पर किया. पुलिस ने बताया कि 1 जनवरी 2001 को दोनों ने यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया की मुंबई शाखा में दो अकाउंट्स खुलवाए जिनमें 31 दिसंबर 2002 तक पैसे जमा नहीं किए गए थे. लेकिन, जनवरी 2003 से लेकर दिसंबर 2013 के बीच आनंद ने 96.43 लाख रुपये जबकि सीतलवाड़ ने 1.53 करोड़ रुपये अपने-अपने अकाउंट में जमा कराए.

पुलिस का यह भी आरोप है कि फरवरी 2011 से जुलाई 2012 के बीच मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 1.40 करोड़ रुपये का फंड दिया. दोनों ने इसमें से पैसे निकालकर व्यक्तिगत खर्चों पर इस्तेमाल किए. पुलिस ने कहा कि शुरू में उसे सीजेपी और सबरंग के महज तीन खातों की ही जानकारी मिली थी.

पुलिस के मुताबिक, 23 जनवरी 2014 को जैसे ही तीनों खाते सीज हुए, सीतलवाड़ और उनके पति ने तुरंत सबरंग ट्रस्ट के अन्य दो अकाउंट्स से डिमांड ड्राफ्ट के जरिए एक ही दिन में 24.50 लाख और 11.50 लाख रुपये ट्रांसफर किए.

इन दोनों अकाउंट्स की जानकारी जांचकर्ता को नहीं थी.

पुलिस अब कोर्ट से तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद को कस्टडी में रखकर पूछताछ करने की अनुमति मांग रही है ताकि दोनों ने ट्रस्टों में जमा फंड के बड़े हिस्से का जो गलत इस्तेमाल कर अपने पर्सनल अकाउंट्स में ट्रांसफर किया है उसकी जांच की जा सके.