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कोहिनूर ले जाने वाले नादिर शाह के साथ जाने से क्यों एक भारतीय तवायफ ने कर दिया था इन्कार !

नादिर शाह

नादिर शाह एक ऐसा क्रूर शासक था जिसने भारत को लूटा ही साथ इसकी धरती पर कत्‍लेआम मचा दिया था।

भारत का पश्चिमी पड़ोसी फारसी भाषी जंगी नादिर शाह अत्‍यंत क्रूर, कठोर और रस विहीन था। एक गरीब चरवाहे के बेटे नादिर शाह ने फौज में एक छोटे से मुलाजिम की तरह दाखिला लिया था लेकिन जल्‍द ही वह अपने सैन्‍य कौशल के चलते सेना में एक के बाद एक बड़े ओहदे हासिल करता गया।

नादिर शाह भारत पर हमला ही उसे लूटने के लिए करना चाहता था।

उसने भारतीय रत्‍नों के भंडार के बारे में बहुत सुना था और उसे यह भी इल्‍म था कि मुगलों की दिल्‍ली में रत्‍नों के भंडार का सैलाब है।

यह युग तवायफों का भी था।

इस युग में राजा-महाराजा तवायफों के हुस्‍न के प्रेमजाल में उलझे रहते थे। भारत को लूटने के अलावा नादिर शाह का एक किस्‍सा एक तवायफ से भी जुड़ा है।

कहा जाता है कि नादिर उस समय की मशहूर तवायफ नूर बाई पर इस कदर फिदा था कि उसने उसे फारस जाने का प्रस्‍ताव दिया था। नादिर ने साथ ही यह भी कहा था कि वह अपनी आधी दौलत भी नूर बाई को दे देगा। नूर बाई इस खबर से इस तरह दहशत में आ गई कि उसने तो सीधा बिस्‍तर ही पकड़ लिया। उसने नादिर को कहा कि वह बहुत बीमार है और दिल्‍ली छोड़कर कहीं नहीं जा सकती। बाद में जब उससे पूछा गया कि उसने नादिर के प्रस्‍ताव को क्‍यों ठुकराया तो बताया जाता है कि उसने कहा, ‘अगर मैं नादिर के साथ हमबिस्‍तर हो जाती या उसके साथ फारस चली जाती तो मुझे लगता कि मेरी फूल जैसी योनि भी उसके द्वारा किए गए कत्‍लेआम में भागीदार थी।’

16 मई को दिल्‍ली में विनाशकारी 57 दिन बिताने के बाद नादिर शाह ने दिल्‍ली को अलविदा कह दिया।

अपने साथ मुगलों की आठ पीढियों की अकूत संपत्ति और खजाना भी ले गया। उसका सबसे बड़ा ईनाम तख्‍त-ए-ताउस था जिसमें कोहिनूर और तिमूर माणिक्‍य जड़े हुए थे।