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पाकिस्तान की भीषण बमबारी भी नहीं हिला पायी इस मंदिर की एक भी ईंट! आख़िर ऐसी कौन सी शक्ति है इस ऐतिहासिक मंदिर में?

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जाको राखे साईंया, मार सके ना कोई!

इसका मतलब है कि अगर भगवान का हाथ आप के ऊपर हो तो कोई आपका बाल भी बांका नहीं कर सकता| लेकिन भगवन के ऊपर किसका हाथ हो सकता है? यही तो एक चमत्कार है जो भारत के एक मंदिर में पिछले 60 से देखने में आ रहा है और जिसका जवाब आज तक कोई नहीं ढूँढ पाया!

मैं बात कर रहा हूँ जैसलमेर से क़रीब 130 किलोमीटर दूर भारत-पाक सीमा के पास बने “तनोट माता के मंदिर” की! जी हाँ इस मंदिर की महिमा ऐसी है कि दुश्मन लाख चाहे, लाख कोशिशें कर ले लेकिन मंदिर की ईंट भी ना हिला पाता है! 1200 साले पुराने इस मंदिर ने देश-विदेश में सभी को अपना दीवाना बना रखा है!

सबसे पहले सन 1965 की भारत-पाक लड़ाई की बात करते हैं| इस युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने इस मंदिर पर क़रीब 3000 बम दागे थे लेकिन एक भी इस मंदिर को किसी भी तरह का नुक्सान नहीं पहुँचा पाया! सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि मंदिर के परिसर में 450 बम आके गिरे और एक भी नहीं फटा! यक़ीन कर सकते हैं आप? अब वो बम मंदिर में श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए संग्रहालय में रखे हैं! इस युद्ध के बाद सीमा सुरक्षा बल ने इस मंदिर की देख-रेख का ज़िम्मा अपने सर ले लिया और अपनी एक चौकी भी यहाँ बनवा डाली|

इसके बाद चलते हैं 1971 की लड़ाई की तरफ़! 4 दिसंबर 1971 की रात को तनोट मंदिर के पास ही लोंगेवाला नामक जगह है जहाँ भारत-पाक एक बार लड़ाई के मैदान में आमने-सामने हुए! और शायद माँ का आशीर्वाद ही था जो भारतीय सेना की पंजाब रेजिमेंट और सीमा सुरक्षा बल की एक कंपनी ने मिलकर एक ही रात में पाकिस्तान की पूरी टैंक रेजिमेंट को ध्वस्त कर दिया! इस विजय के बाद मंदिर परिसर में विजय स्तम्भ का निर्माण हुआ जहाँ हर साल 16 दिसंबर को शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है|

माँ की लीला देखिये कि तनोट माता को हिंगलाज माता का ही एक रूप माना जाता है! और हिंगलाज माता का शक्तिपीठ पाकिस्तान के बलूचिस्तान में है! है ना कमाल की बात? ऐसा लगता है जैसे माँ कह रही हों कि लड़ना छोड़ दो, दोनों देशों पर मेरी ही कृपा है, मुझमें विश्वास करो और शान्ति के साथ जियो!

जो मर्ज़ी आप समझ लें, इन चमत्कारों का विज्ञान के पास कोई जवाब नहीं है! शायद इसे ही कहते हैं भगवान की पुष्टि हो जाना कि वो हैं और हम सब से बढ़कर हैं!