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स्‍वामी विवेकानंद को बनारस के बंदरों ने दौड़ा दिया था, मजेदार है किस्‍सा

स्‍वामी विवेकानंद से जुड़े किस्से

स्‍वामी विवेकानंद से जुड़े किस्से – आज भी स्‍वामी विवेकानंद द्वारा कही गई बातों से लोग सीख लेते हैं।

आपने भी कहीं ना कहीं या अमूमन सार्वजनिक स्‍थलों पर स्‍वामी विवेकानंद द्वारा कोट्स पढ़े ही होंगें। उनके कोट्स पढ़कर आपको लगता होगा कि स्‍वामी विवेकानंद कितने महान और महापुरुष किस्‍म के व्‍यक्‍ति थे लेकिन आपको बता दें कि उनका जीवन एडवेंचर से भरा हुआ था।

जी हां, हम सभी की तरह उनके जीवन में भी ऐसे कई एडवेंचरस किस्‍से जुड़े हैं जिनके बारे में जानकर हर किसी को हैरानी होगी।

आज हम आपको स्‍वामी विवेकानंद जी के जीवन से जुड़े कुछ ऐसे ही रोचक किस्‍सों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके बारे में जानकर आप भी ये सोचने पर मजूबर हो जाएंगें कि स्‍वामी विवेकानंद तो बड़े शांत और सरल स्‍वभाव के दिखते थे लेकिन उनका जीवन कितना रोमांचक था।

तो चलिए जानते हैं स्‍वामी विवेकानंद से जुड़े किस्से के बारे में।

स्‍वामी विवेकानंद से जुड़े किस्से –

फॉरनर ने दिया शादी का प्रस्‍ताव

स्‍वामी जी के आगे एक विदेशी लड़की ने शादी का प्रस्‍ताव रख दिया था। इसके जवाब में स्‍वामी जी ने कहा कि वो तो सन्‍यासी हैं और उससे शादी नहीं कर सकते हैं।

स्‍वामी जी ने उस महिला से पूछा कि तुम मुझसे शादी क्‍यों करना चाहती हो। तब उस महिला ने उत्तर दिया कि मुझे आपके जैसे पुत्र की कामना है और उसके लिए शादी करना जरूरी है। इस बात पर स्‍वामी जी मुस्‍कुराए और कहा कि आज से आप मेरी मां हैं और मैं आपका सोनू-मोनू। ये लो आपकी मुराद हो गई पूरी।

बनारस के बंदरों ने दौडाया

एक बार स्‍वामी जी बनारस गए थे और वहां पर देवी मां के दर्शन करने मंदिर पहुंचे। मंदिर से लौटते हुए उनके हाथ में प्रसाद था। बस इसी प्रसाद को देखकर बनारस के बंदर उनके पीछे पड़ गए। अब स्‍वामी जी आगे-आगे और बंदर पीछे-पीछे। तब एक बूढे बाबा ने स्‍वामी जी को गली किनारे रोका और कहा कि भागो मत वरना ये बंदर तुम्‍हारा पीछे नहीं छोड़ेंगें। इस वाक्‍ये का जिक्र करते हुए स्‍वामी जी ने कहा था कि डर को दूर करने के लिए उसके ही पीछे भागना शुरु कर दो और उसकी आंखों में घुस जाओ।

स्‍वामी जी के पास एक भाईसाहब आए और उन्‍होंने अपनी व्‍यथ बताते हुए उनसे पूछा कि पूरे संसार में मां को महापूज्‍य क्‍यों कहा गया है। तब स्‍वामी जी ने कहा कि तुम ज़रा सेर भर पत्‍थर लेकर आओ और उसे कपडे में लपेट कर पेट से बांध लो। इसे कल लेकर आना। शाम तक उन भाईसाहब की हिम्‍मत जवाब दे गई। वो शाम को ही स्‍वामी जी के पास पहुंच गए। तब स्‍वामी जी ने बताया कि मां हमे 9 महीने तक अपने पेट में रखती है और इसीलिए वो सबसे ज्‍यादा पूजनीय है।

ये है स्‍वामी विवेकानंद से जुड़े किस्से –  तो दोस्‍तों, स्‍वामी जी के जीवन के इन किस्‍सों को जानने के बाद आप भी यही सोच रहे होंगें कि वो कितने महान और उदार थे। अगर आज के जमाने में कोई ऐसा व्‍यक्‍ति मिल जाए तो लोग उसे भगवान का दर्जा दे देंगें क्‍योंकि अब इतनी सात्विकता और सरलता किसी मनुष्‍य में कहां देखने को मिलती है।