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भारतीय जीत के हीरो सुनील छेत्री जल्द ही मेसी को पछाड़ सकते हैं, इन्हें करीब से जान लीजिए

सुनील छेत्री

सुनील छेत्री – फुटबॉल को दुनिया का सबसे ज्यादा खेले जाने वाला स्पोर्ट माना जाता है। इस खेल के दीवानों की संख्या भी अन्य स्पोर्ट्स के मुकाबले कहीं ज्यादा है। 14 जून से दुनिया के सबसे चर्चित और पसंदीदा फुटबॉल टूर्नामेंट ‘फीफा वर्ल्ड कप’ की शुरुआत होने वाली है। इस अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट के लिए रूस को करोड़ों रुपए खर्च कर किसी नई-नवेली दुल्हन की तरह सजाया गया है।

भारत में भी फुटबॉल के फैंस की संख्या लाखों में है। इन फैंस को इंडियन फुटबॉल टीम के इस बड़े टूर्नामेंट में न पहुँच पाने का मलाल हमेशा रहता है। भारतीय टीम के फीफा वर्ल्ड कप में न पहुंच पाने का यह मतलब नहीं है कि फुटबॉल की दुनिया में भारतीय टीम कोई कीर्तिमान रच ही नहीं रही है। फिलहाल भले ही ‘फीफा वर्ल्ड कप’ की ही बातें हो रही है। मगर इन दिनों भारतीय फुटबॉल टीम एक अन्य महत्वपूर्ण टूर्नामेंट ‘इंटरकांटिनेंटल कप’ में अपने प्रदर्शन को लेकर सुर्ख़ियों में है।

भारत ने इंटरकॉन्टिनेंटल कप फुटबॉल टूर्नामेंट के दूसरे मैच में केन्या को 3-0 से हरा फैंस को जश्न मनाने का एक मौक़ा दे दिया है। मैच के हीरो रहे भारतीय कप्तान सुनील छेत्री ने इस मुकाबले में 2 गोल दागे। छेत्री पहले भी कई मौकों में इस तरह का जोरदार खेल दिखा चुके हैं। रोनाल्डो व मेसी को पूजने वाले फुटबॉल प्रेमियों के लिए आज हम सुनील छेत्री की ज़िन्दगी से रूबरू करवाने जा रहे हैं।

छुआ सौ का आंकड़ा

बता दें कि छेत्री के लिए केन्या के खिलाफ खेला गया यह मैच बेहद अहम था। यह इसलिए कि वो भारत की ओर से अपना 100वां मैच खेल रहे थे। वो ऐसा करने वाले दूसरे भारतीय बन गए हैं। उनसे अधिक मैच पूर्व कप्तान व स्ट्राइकर बाइचुंग भूटिया (104) ने ही खेले हैं।

सर्वाधिक गोल के मामले में सुनील छेत्री के नाम है यह रिकॉर्ड

अधिकतर भारतीय फुटबॉल फैंस रोनाल्डो, नेमार या मेसी जैसे खिलाड़ियों को पसंद करते हैं। इसलिए आपको छेत्री के इस अहम रिकॉर्ड के बारे में जरूर जानना चाहिए। केन्या के खिलाफ 2 गोल दागने के बाद छेत्री के खाते में कुल 61 गोल हो गए हैं। इसके साथ ही छेत्री अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सबसे अधिक गोल करने वाले तीसरे एक्टिव खिलाड़ी बन गए हैं। छेत्री से अधिक गोल रोनाल्डो (81) और मेसी (64) के ही हैं। यदि छेत्री जल्द ही मेसी का रिकॉर्ड तोड़ दें तो आपको आश्चर्यचकित नहीं होना चाहिए।

सुनील छेत्री

घर में सब खिलाड़ी

सुनील छेत्री के निजी जीवन की बात करें तो उनका जन्म 3 अगस्त 1984 को आंध्रप्रदेश के सिकंदराबाद में हुआ था।  उनके पिता इंडियन आर्मी के इलेक्ट्रॉनिक्स व मैकेनिकल इंजीनियरिंग सैन्य दल में थे और आर्मी की टीम से खेलते थे।  इतना ही नहीं, सुनील की मां व उनकी दो जुड़वा बहनें नेपाल वीमेन नेशनल टीम के लिए खेला करती थीं।

छोड़ दी पढ़ाई

जब छेत्री 12वीं क्लास में थे, तब उन्हें मलेशिया में होने वाले एशियन स्कूल चैम्पियनशिप 2011 में भारत का प्रतिनिधत्व करने का मौका मिला।इस टूर्नामेंट के लिए उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी। 17 साल की उम्र में सबसे पहले दिल्ली के एक क्लब के लिए खेलने वाले छेत्री अब तक लगभग 10 अलग-अलग क्लब्स के साथ खेल चुके हैं।

सुनील छेत्री

फाइनल में हैट्रिक

2008 तक छेत्री सबकी नज़रों में आ चुके थे। फिर अगस्त में एएफसी चैलेंज कप 2008 फाइनल में उन्होंने हैट्रिक मारकर सबको अपना फैन बना लिया। इस बड़ी जीत के साथ ही इंडिया के एशियाई कप 2011 में जाने के दरवाजे खुल गए थे।

सुनील छेत्री

अंतर्राष्ट्रीय क्लब के लिए खेलने का मौका

कई मौकों पर छेत्री के किसी अंतर्राष्ट्रीय क्लब के साथ जुड़ने की खबरें आती रही हैं। उन्होंने ‘क्वींस पार्क रेंजर्स’ के साथ तीन साल का कॉन्ट्रैक्ट भी साइन कर लिया था। मगर फीफा में भारत की कमजोर रैंकिंग के कारण उन्हें यह मौका नहीं मिल पाया। हालांकि बाद में उन्हें एक अमेरिकन क्लब के साथ खेलने का मौका मिला।

सुनील छेत्री

भारतीय टीम की कप्तानी

अपने फुटबॉल करियर में छेत्री कई रिकार्ड्स बना चुके हैं। 2011 में उन्हें अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया था। 2012 में छेत्री भारतीय टीम के कप्तान बन गए और टीम को नेहरू कप 2012 में जीत भी दिलवाई।

सुनील छेत्री

बैंगलोर एफसी क्लब से मिलाया हाथ

2013 में सुनील छेत्री ने बैंगलोर एफसी क्लब ज्वाइन किया था और वर्तमान में इसी क्लब के लिए खेल रहे हैं। वो रिकॉर्ड चार बार एआईएफएफ प्लेयर ऑफ द ईयर बन चुके हैं।

इसकी है लत

छेत्री खुद बता चुके हैं कि वो प्लेस्टेशन और फीफा एडिक्ट हैं। वे एफसी बर्सिलोना और बॉलीवुड फिल्मों के फैन हैं। उनकी फेवरेट एक्ट्रेस कोंकणा सेन शर्मा हैं।

सुनील छेत्री

भारतीय फुटबॉल टीम के स्ट्राइकर और कप्तान सुनील छेत्री के बारे में ये बातें जानकर आप भी मान गए होंगे कि भारतीय फुटबॉल खिलाड़ी भी कुछ कम नहीं है।