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नेताजी सुभाष चंद्र बोस की रोंगटे खड़े कर देनी वाली बातें जो आपसे छुपाई गईं !

नेताजी सुभाष चंद्र बोस

नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी हुई बहुत सी ऐसी बातें हैं जो भारत के लोगों से जानबूझकर छुपाई गईं.

नेताजी से जुड़ी इन बातों को सुनकर न केवल आपके रांगटे खड़े हो जाएंगे बल्कि आपका खून भी खौलने लगेगा.

क्या आपको कभी यह बताया गया कि 1971 की पाकिस्तान वार के हीरों रहे फील्ड मार्शल सैम मानिकशॉ और रॉ के पूर्व मुखिया आरएन फैजाबाद में जिस बाबा से मिलने गए थे वह कौन थे. देश की दो महान हस्तिायां एक बाबा से मिलने उनकी कुटिया में क्यों गए थे इस पर विचार करने की जरूरत है.

फैजाबाद की ट्रेजरी में रखे गुमनामी बाबा के सामान को क्यों आज तक सार्वजनिक नहीं किया गया है. सरकारे इस पर आजतक क्यों पर्दा डाले हुए यह भी सोचने की बात है.

भारत वासियों को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत के बारे हमेशा ही गलत जानकारी दी गई’ क्योंकि ताइवान की सरकार ने साफ कहा है कि 18 अगस्त क्या उसके आस-पास भी इस तरह की कोई दुर्घटना हुई ही नहीं थी.

अगर कांग्रेस और जवाहर लाल नेहरू यह मानते थे कि नेताजी की मौत प्लेन हादसे में हो चुकी है तो फिर आजादी मिलने के 20 वर्षों बाद तक नेताजी के घर की निगरानी क्यों होती थी.

श्याम लाल जैन जोकि नेहरू का स्टेनोग्राफर था उसने खोसला कमीशन के सामने 1970 में खुद इस बात का खुलासा किया था कि उसने नेहरू के कहने पर 1945 में स्टालिन को एक पत्र लिखा था और उसमें नेहरू ने खुद इस बात को स्वीकार किया था कि सुभाष चंद्र बोस स्टालिन की कैद में हैं.

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जांच के लिए वाजपेई सरकार ने मुखर्जी आयोग का गठन किया था. लेकिन मनमोहन सिंह की कांग्रेसी सरकार ने जांच के लिए आयोग के अध्यक्ष मुखर्जी को बार-बार कहने के बावजूद ताइवान और जापान जाने की अनुमति दी थी.

रूस जाने के लिए न्यायमूर्ति मुखर्जी सरकार से अनुमति मांगते रहे, पर किसी न किसी बहाने कांग्रेसी सरकार ने उन्हें जाने ही नहीं दिया. जबकि रूस में नेताजी के जीवन के महत्वपूर्ण सुराग मिलने की पूरी उम्मीद थी

नेताजी की मृत्यु ताइवान में नहीं हुई थी. इतना ही नहीं, ताइवान के किसी अस्पताल में भी जले हुए शव का कोई रिकॉर्ड नहीं है. तो सवाल उठता है कि उनके कथित अंतिम संस्कार के बाद रेंकोजी मंदिर (जापान) में किसकी अस्थियां रखी हुई हैं?

आपको कभी नहीं बताया जाएगा कि नेहरु के कुकर्मो को छुपाने के लिए इंदिरा ने नेताजी से जुडी दो महत्वपूर्ण फाइलें नष्ट करने के आदेश दिए थे.

वहीं सरकारों ने एक विशेष दवाब में नेताजी की मौत से जुड़े दस्तावेजों को देशवासियों से छिपाए रखा है.

आप ही सोचिए अगर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत विमान हादसे में हुई थी तो इस मामले को छिपाने की क्या जरूरत है. नेताजी के दस्तावेजों को खुफिया तरीके से क्यों रखा गया. क्या कोई महात्मा गांधी से जुड़े दस्तावेजों को छिपा सकता है.

दरअसल, सरकारें कभी यह नहीं चाहती थी कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस लोगों के सामने आये और देश को उनकी सच्चाई के बारे में पता चले.