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शनि मंदिर की पुजारी और निकाह करवाने वाली क़ाज़ी – धर्म के ठेकेदारों को चिढ़ाती ये महिलाएं

अभी कुछ दिनों से शनि सिग्नापुर मंदिर में महिलाओं के पूजा करने के मामले पर बवाल हो रहा है.

अब ये बवाल  कितना सही है और कितना बनाया हुआ ये तो पता नहीं. पंडे पुजारियों के अलग तर्क है पूजा ना करने देने के और मह्लिओं के अलग तर्क है तो नेता लोग अपना राग अलग ही आलाप रहे है.

कमाल कि बात ये है की औरतों को मस्जिद में प्रवेश तक ना करने देने वाले लोग भी शनि शिग्नापुर मामले में बड़ी दिलचस्पी ले रहे थे.

चलिए आज आपको ऐसी महिलाओं के बारे में बताते है जो महिलाओं को मंदिर में ना जाने देने वालों और मस्जिद में ना प्रवेश देने वालों के मुहं पर तमाचा है.

शनि मंदिर कि पुजारी है महिला 

राजस्थान कि राजधानी जयपुर में इमली का फाटक नामक स्थान पर शनि देव का 70 साल पुराना एक मंदिर है. इस मंदिर कि आसपास के क्षेत्रों में बहुत मान्यता है. बहुत से लोग यहाँ दर्शन के लिए आते है.

इस मंदिर कि खास बात ये है कि इस मंदिर में महिला पुजारी है. सुगनी देवी नाम कि ये महिला पिछले 13 वर्षों से इस मंदिर कि देखभाल और पूजा का जिम्मा उठाये हुए है.

सुगनी देवी का परिवार पिछले 35 वर्षों से इस मंदिर कि सेवा कर रहा है. उनका कहना है कि ये पहली बार नहीं है कि कोई महिला शनि मंदिर में मुख्य पुजारी कि जिम्मेदारी निभा रही है. उनसे पहले उनकी सास और उनकी नानी भी ये कार्य कर चुकी है.

देखा आपने सुगनी देवी का उदहारण ना तो कोई धर्म का ठेकेदार देता है ना ही कोई महिलाओं को मंदिर में पूजा कि अनुमति कि पैरवी करने वाले.

लगता है उनको इस बात से मतलब भी नहीं है उन्हें मतलब है तो बस कुछ बवाल खड़ा करने से.

पहली महिला क़ाज़ी का किया मुसलमानों ने विरोध 

इस्लाम को बहुत ही कट्टर मज़हब माना जाता है. ऐसा मज़हब जिसमे महिलाओं को ना के बराबर अधिकार है.

ऐसे में यदि ये कहे कि पहली बार दो महिलाओं ने वो मुकाम हासिल किया है जिसकी वजह से पुरुष प्रधान इस्लाम के ठेकेदारों को आग लग गयी है.

ये घटना भी राजस्थान की ही है. राजस्थान कि दो महिलाओं ने भारत की पहली महिला क़ाज़ी होने का गौरव हासिल किया है. इन दोनों से पहले भारत में कभी भी कोई महिला क़ाज़ी नहीं हुई थी.

बेगम और आरा नामक इन दोनों महिलाओं ने क़ाज़ी बनने के लिये  ज़रूरी इम्तिहान पास कर लिया है. अब ये दोनों भी किसी पुरुष क़ाज़ी की तरह निकाह और अन्य इस्लामिक रस्में पूरी करवा सकती है.

इन दोनों का कहना है कि अब वो मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों के लिए ज्यादा अच्छे से लड़ सकती है. उन्होंने ये भी कहा कि स्थानीय लोगों ने उनका बहुत उत्साहवर्धन किया जिसकी वजह से उन्हें ये इम्तिहान पास करने में मदद मिली.

लेकिन इन दोनों के क़ाज़ी बनने से बहुत से लोगों को तकलीफ भी हो रही है. एक प्रधान क़ाज़ी ने तो ये भी कह दिया कि औरत पुरुष से ऊपर नहीं हो सकती इसलिए ये दोनों कभी काज़ी नहीं बन सकती.

अब ये देखना है कि कौन इन दोनों क़ाज़ी के पास आकर अपना निकाह पढ़वाता है और कहता है कि महिला क़ाज़ी हमें कुबूल है.

Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

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