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तैमूरलंग के धोखेबाज़ी, कायरता और पाप की सच्ची कहानी !

तैमूरलंग के पाप की कहानी

तैमूरलंग के पाप की कहानी – 14 शताब्दी के अंतिम चरण में भारत के अंदर राजनैतिक रूप से काफी उथल-पुथल हो रही थी.

तैमूरलंग ने इसी समय अपने 15 साल के पौत्र पीर मुहम्मद को भारत के द्वार क्षेत्रपर पड़ने वाले सभी प्रमुख स्थानों कंधार, काबुल, और गजनी जैसे क्षेत्रों का शासक नियुक्त कर भेज दिया था. तैमूरलंग की भारत में ऐसी-ऐसी कहानियां बताई जाती है कि जैसे यहबड़ा बहादुर योद्धा रहा होगा. असल में तैमूरलंग को भारत इतिहास के कई लेखकों ने सबूतों के आधार पर एक कायर और कपटी योद्धा घोषित किया है.

डा. विजय सोनकर शास्त्री की पुस्तक हिन्दू खटिक जाति के अंदर पेज 121 पर साफ़ लिखा है कि तैमूरलंग की बहादुर योद्धा नहीं था और यह भारत में राज करने नहीं बल्कि अपनेपौत्र की जान बचाने आया था. जिन इतिहासकारों ने भारत के सच्चे इतिहास के साथ छेड़खानी की है उनको कभी भी खुद इतिहास माफ़ नहीं करेगा. 

तैमूरलंग के पाप की कहानी – क्या लिखा है पुस्तक में

पीर मोहम्मद को तैमूरलंग ने भारत पर आक्रमण करने के लिए बोला था. जबकि खुद तैमूरलंग भारत पर आक्रमण करने से डर रहा था. अपने 15 साल के पौत्र से भी तैमूरलंग कोशायद कोई मोहब्बत नहीं थी. सन 1397 में तैमूरी सेना के साथ पीर मोहम्मद ने भारत में प्रवेश किया था. सिंध को पार करके कच्छ को जीतने के लिए इस पीर ने मुल्तान में डेराडाल लिया था. इस समय मुल्तान की रक्षा का कर्तव्य कठ जाति के सारंगदेव पर था.

मुल्तान की रक्षा  में इस समय खटिक जाति के योद्धा लगे हुए थे. आज जिस खटिक जाति को उनका सम्मान नहीं प्राप्त है, इस समय इन्हीं योद्धाओं ने पीर मोहम्मद को घेरकर कईबार हराया था. पीर की विशाल सेना को इन्होनें आगे नहीं बढ़ने दिया था, तब आखिर में अपने पौत्र की जान बचाने के लिए तैमूरलंग भारत आया था.

अपने 92 हजार सैनिकों के साथ मार्च 1398 ई. में समरकंद भारत आया था. सबसे पहले तैमूरलंग ने काबुल पहुचकर अमीर सुलेमान के नेतृत्व में एक सेना पीर मुहम्मद के सहयोगके लिए मुल्तान भेजी. इस सेना को भी कुछ ख़ास हासिल नहीं हुआ था. खटिक योद्धा बड़ा जबरदस्त युद्ध कर रहे थे. इसके बाद रावी के तट पर पीर मुहम्मद और तैमूरलंग कीमुलाकात अक्तूबर 1398 को हुई थी. इसके बाद तैमूरलंग ने दीपालपुर को लूटा था.

कोई इतिहासकार ना जाने क्यों नहीं बताता कि तैमूरलंग ने कई जगह बेगुनाह लोगों को इसलिए मारा था क्योकि वह खटिक योद्धाओं से पीछे हारता हुआ आ रहा था. भटनीर से जबतैमूरलंग ने दिल्ली के लिए कूच किया था तो रास्ते में छापामार युद्ध में कठ-पार्श्वी सैनिकों ने तैमूरलंग को नानी याद दिला दी थी.

इसके बदले तैमूरलंग ने लोनी में लाखों लोगों की निर्मम हत्या की थी और इसमें 75 प्रतिशत बौद्ध, 15 प्रतिशत मुस्लिम और 10 प्रतिशत हिन्दू थे. राजा दलजीत सिंह हिन्दू राजपूतसे तैमूरलंग का युद्ध हुआ और यहाँ तैमूरलंग की हालत खराब हो गयी थी. अपनी जान बचाने के लिए तैमूरलंग को संधि करनी पड़ी थी. लेकिन तैमूरलंग एक कपटी और पापी इंसानथा जिसकी जुबान भी मर्दों वाली नहीं थी. मौका पाकर इसने यह संधि धोखे से तोड़ दी थी.

ये है तैमूरलंग के पाप की कहानी – तो इस तरह से देख सकते हैं तैमूरलंग जिसको भारतीय इतिहास में महान योद्धा बताया गया है असल में वह एक कायर शासक था. तैमूरलंग ने मुस्लिमों को भी मारा है क्योकि वहभारत पर शासन नहीं बल्कि लूट करने आया था और चोर का कोई धर्म-ईमान नहीं होता है.

(अधिक जानकारी के लिए आपको डा. विजय सोनकर शास्त्री की पुस्तक हिन्दू खटिक जाति जल्द से जल्द पढ़ लेनी चाहिए)