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इस सिक्ख गुरु ने मुग़ल बादशाह के सामने इस्लाम कुबूल करने से बेहतर समझा सिर कटवाना!

सिक्खों की बहादुरी के किस्से पूरी दुनिया में प्रसिद्द है.

देखा जाए तो सिक्खों से खुद्दार और बहादुर शायद ही कोई होता है.

सिक्ख धर्म की स्थापना गुरु नानक देव जी ने की थी. गुरु नानक से गुरु प्रथा शुरू हुई और सिक्खों के कुल 10 गुरु हुए.

दसवें और आखिरी गुरु गोविन्द सिंह थे. सिक्ख धर्म की स्थापना के बाद से ही मुग़ल सल्तनत और सिक्खों के बीच संघर्ष होते रहे थे.

मुगलों ने सिक्खों के धर्मान्तरण के बहुत से प्रयास किये. तरह तरह के प्रलोभन दिए ना मानने पर अत्याचार किया.

कितने ही सिक्ख गुरु और अनेकों सरदार इस संघर्ष में शहीद हुए.

सिक्खों ने 9 वें गुरु थे गुरु तेग बहादुर.

गुरु तेग बहादुर ने सिक्ख गुरुओं की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए गुरु ग्रन्थ साहिब में अपने छंद जोड़े. गुरु हरगोबिन्द के पुत्र को तेग बहादुर नाम मुगलों के साथ युद्ध में अपनी वीरता दिखाने पर दिया गया था.

गुरु तेग बहादुर औरंगजेब द्वारा कश्मीर और पंजाब में हिन्दुओ के धर्म परिवर्तन के विरोध में थे.

कश्मीर में उन्होंने कई बार मुगल सेना के साथ संघर्ष भी किया. औरंगजेब ने तेग बहादुर को कई बार इस्लाम स्वीकार करने के लिए जोर डाला.

लेकिन गुरु तेग बहादुर ने कभी भी मुग़ल बादशाह की बात नहीं मानी. अंत में औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर और उनके शिष्यों को कैद कर तरह तरह की यातनाएं दी.

तमाम यातनाएं सहकर भी गुरु ने इस्लाम नहीं स्वीकार किया.

गुरु तेग बहादुर को औरंगजेब झुका नहीं सका तो उसने सरे आम उनका सर काट दिया और उनकी लाश को खुले में छोड़ दिया.

मुग़ल सैनिकों को आदेश दिया कि कोई भी तेग बहादुर की लाश को वह से लेकर ना जा सके. लेकिन अंधेरे का फायदा उठाकर गुरु के शिष्य ने चुपके से उनका सिर और शरीर वह से दुसरे स्थान पर पहुंचा दिया.

पंजाब के आनंदपुर साहिब में गुरु का विधिपूर्वक अंतिम संस्कार किया गया.

गुरु तेग बहादुर की याद में आज पुराणी दिल्ली में गुरुद्वारा सीस गंज है. ये वही स्थान है जहाँ औरंगजेब ने तेगबहादुर का सिर कलम करवाया था.

गुरु तेग बहादुर का ये बलिदान इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया. धर्म की रक्षा के लिए गुरु ने अपने प्राणों की भी परवाह नहीं की. औरंगजेब जैसे शक्तिशाली मुग़ल बादशाह के सामने सिर झुकार इस्लाम कुबूल करने से बेहतर उन्होंने अपने शीश को कटाना समझा.

यदि कभी आपका दिल्ली जाना हो तो गुरुद्वारा सीसगंज ज़रूर जाएँ.

आज भी वहां की हवा में गुरु तेगबहादुर के बलिदान की कहानियां मिलती है.

Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

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Yogesh Pareek

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