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कोई सिख आपको इसलिए भीख मांगता नहीं मिलेगा क्योंकि

भिखारी मुक्त

आप जब भी सड़क से गुजरते होंगे उस वक्त आपने एक बात पर कभी गौर किया है कि सड़कों और चौराहों पर जो लोग भीख मांग रहे होते हैं उनमें से कितने भिखारी सिख होते हैं.

शायद ही आपको कोई कोई पगड़ी पहने सरकार किसी चौराहे या गली में भीख मांगते हुए दिखाई पड़े.

आपको ताजुब होगा कि देश में बंटवारे से लेकर 84 के सिख दंगों की विभीषिका का दंश झेलने के बाद सिख कौम ने हाथ फैलाकर भीख नहीं मांगी. सिख आपकों ठेला चलाने से लेकर सड़क पर मजदूरी करते हुए तो मिल जाएगा लेकिन कभी भीख मांगते नहीं मिलेगा. इसके पीछे बहुत बड़ा कारण है उनकी घार्मिक शिक्षा और और समाजिक दवाब. सिख धर्म का सिंद्धात ही मेहनत करके खाने और खिलाने में विश्वास करता है. लेकिन मांग कर खाने की इजाजत न तो धर्म देता है और न ही समाज.

यदि कोई सिख किसी मजबूरी या लालच में भीख मांगता है और वह किसी सिख समुदाय के व्यक्ति को मिल जाए तो वह उसे भीख देने के बजाए पहले तो धर्म की बदनामी के लिए भला बुरा कहेगा और अंत में वह उससे भीख मांगना छोड़ने की शर्त पर उसके लायक काम या व्यवसाय का आफर करेगा.

लेकिन उसे भीख नहीं देगा.

जबकि अन्य धर्मों में दान पुण्य के नाम पर भिखारियों को भीख देना बहुत ही शान की बात समझा जाता है. कुछ लोग तो दान पुण्य के नाम पर भिखारियों को इतना सामान और पैसा दे जाते हैं कि उनको पूरे महीने कुछ करने की जरूरत ही नहीं होती. ऐसा करते देख समाज में अन्य कामचोर लोगों में भी काम छोड़कर भीख मांगने की प्रवृति पलती है, जो आगे चलकर न केवल व्यक्ति के लिए बल्कि समाज के लिए भी कलंक साबित होती है.

एक ओर जहां सिख समाज भीख मांगने के स्थान पर व्यक्ति को स्वालंबन की ओर अग्रसर करने करने की बात करता है जबकि अन्य धर्म भिखारियों को भिक्षा की ओर प्रवृत करते हैं.

आपको जानकर हैरानी होगी कि सिख समाज एक ओर जहां भीख नहीं देता है वहां भोजन के जरिए खूब दान पुण्य करता है. एक ओर समाज लंगर के जरिए जहां समाज में बराबरी का भाव लाता है तो वहीं दूसरी ओर भूखे लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था भी करता है. यही कारण है कि आपको सिख धर्म के स्थलों गुरूद्वारों पर भी जो भिखारी मिलेंगे उनमें सिख नहीं मिलेगा. अगर कोई होगा तो वह कोई बहुत मजबूरी में ऐसा कर रहा होगा.

इसलिए समाज को बनाने में धर्म की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और व्यक्ति को बनाने में समाज की भूमिका.

इसलिए आज हमारे देश में भिखारियों की जो बढ़ती तादाद है उससे निपटने के लिए हमें सरकार के स्तर पर प्रयास करने के साथ समाज के स्तर पर भी प्रयास करने होंगे.

समाज को इस भिक्षावृति और इसकी आड़ में चलने वाले गोरखधंधों के प्रति जागरूक कर उसको दया और धर्म के नाम पर भिक्षा देने से रोकना होगा.

देश से भिक्षा को किस प्रकार समाप्त किया जाए और भारत के समाज और सड़कों को किस प्रकार भिखारी मुक्त बनाया जाए, इसको लेकर यंगिस्थान ने अभियान चलाया हुआ है. यंगिस्थान अपने लेखों के माध्यम से अपने पाठकों तक यह संदेश फैलाना चाहता है कि वे भी भिखारी मुक्त भारत बनाने में अपना सकारात्मक सहयोग दे. ताकि हम और आप मिलकर देश को भिखारी मुक्त बना सके और समाज को एक बेहतर दिशा दे सकें.

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अभियान