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पितर पक्ष में जानियें पितृ दोष के संकेत!

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हिन्दू धर्म में श्राद की व्यवस्था इसलिए की गयी थी, ताकि मनुष्य साल में एक बार अपने पूर्वज और पितरों के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त कर सके.

गणपति के बाद हर साल पितर पक्ष आता हैं, जिसमे हिन्दू रीति रिवाज़ों के अनुसार अपने पितरों का ध्यान कर के तरपन किया जाता हैं और अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए कामना की जाती हैं.

लेकिन फिर भी मान्यताओं के अनुसार किसी न किसी व्यक्ति में पितृ दोष पाया जाता हैं.

कहा जाता हैं कि कुंडली के अनुसार व्यक्तियों में पाए जाने वाले पितृ दोष को दूर करने के लिए पुरे साल भर का यह समय यानि पितृ पक्ष सब से उपयुक्त माना जाता हैं. मान्यता हैं कि माह के इन 16 दिनों में आप के द्वारा किये गए कर्मों के आधार पर ही आप पर लगे पितृ दोष से आप को निजात पाना संभव हो पाता हैं.

धर्म के अनुसार पितरों की मृत्यु तिथि पर ही पितृ तर्पण और श्राद करना चाहियें और यदि अपनी पितरों की मृत्यु तिथि के बारे में जानकारी न हो या किसी कारणवश उस तिथि में श्राद न हो पाया हो तो अमावश्या की तिथि तर्पण और श्राद तो अवश्य करना चाहिए.

हिन्दू धर्म ग्रंथों की मान्यताओं के अनुसार, जो भी व्यक्ति अपने पितरों का तर्पण और श्राद नही करता हैं, उसे अपने जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं. ऐसे व्यक्तियों के यहाँ अक्सर देखा गया हैं कि वह लोग संतान दोष से ग्रसित होते हैं. संतान दोष से तात्पर्य यह हैं कि ऐसे लोगों क घर या तो संताने नही होती हैं या बहुत समय बाद होती हैं और यदि संताने हो भी गयी तो किसी न किसी दोष से ग्रसित होती हैं और कभी कभी तो लम्बे समय तक जीवित भी नही रह पाती हैं.

पितर पक्ष में अपने पितरों का श्राद और तर्पण न करने वाले लोगों के यहाँ अक्सर कोई न कोई समस्या विद्यमान रहती हैं. अक्सर देखा गया हैं कि ऐसे व्यक्तियों के यहाँ धन के आभाव बना रहता हैं या किसी न किसी रूप में उनके धन की हानि होती रहती हैं. यदि कोई व्यक्ति शादी-शुदा हैं, तो उसके दाम्पत्य जीवन में परेशानी लगी रहती हैं और घर परिवार में किसी न किसी वजह से झगड़े होते रहते हैं.

ऐसे माहौल में अशांति के कारण जीवन धुभर हो जाता हैं.

ऐसी भी मान्यता हैं कि यदि कोई व्यक्ति किसी क़ानूनी समस्या में उलझा हैं, तो यह समस्याएं जल्दी उनका पीछा नहीं छोड़ती हैं. उस परिवार का एक न एक सदस्य बीमार पड़ा रहता हैं और यदि उस घर में कोई कन्या हैं तो उसके विवाह में देरी होती रहती हैं या मनचाहा वर नही मिलता और अगर शादी हो भी जाये तो कोई न कोई समस्या लगी रहती हैं.

यदि आप भी इस तरह की समस्याओं से परेशान हैं तो अभी चल रहे पितर पक्ष में अपने पितरो का श्राद एवं तर्पण करे और उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे.