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भारत की इकलौती रहस्मयी मस्जिद ! मस्जिद ऐसे हैं हिलती जैसे झूले पर हिलता है इंसान

सीदी बशीर मस्जिद

विश्व के विज्ञान और इंजीनियरिंग के लिए गुजरात के अहमदाबाद में स्थित सीदी बशीर मस्जिद एक रहस्य बनी हुई है.

मस्जिद ऐसी है कि वह इस तरह से हिलती है जैसे कि कागज की बनी हो. कोई भी व्यक्ति इसे हिला सकता है. लोग आते हैं और मस्जिद की एक मीनार को हिलाते हैं. ऐसे करते ही मस्जिद की दूसरी मीनार खुद ब खुद हिलने लगती है.

जी हाँ. यह बात एक दम सच है.

आप बेशक यकीन ना करें लेकिन सालों बाद भी कोई नहीं जान पाया है कि ऐसा क्यों होता है?

जब सालों पहले इस बात का पता चला था तो शुरुआत में तो ऐसे लगता था जैसे कि मस्जिद गिरने वाली है. कई इंजीनियर यहाँ आये और उन्होंने इसकी जांच की. लेकिन तब भी मस्जिद में कोई कमी किसी को नहीं नजर आई थी. यहाँ तक कि मीनार की मजबूती को नापा गया तो मजबूती भी पूरी थी.

तब इस बात का खुलासा हुआ था कि मस्जिद का हिलना एक रहस्य है.

यहाँ आने वाले लोग इसे अल्लाह का चमत्कार बताते हैं. सभी को पूरा यकीन है कि मस्जिद को कुछ नहीं होने वाला है. वैसे इस बात का खुलासा तो सन 1947 से पहले ही हो गया था कि मस्जिद ऐसे झूलती है जैसे कि इंसान झूले पर बैठा हो.

जब अंग्रेजों को इस बात का पता चला था

जब अंग्रेजों को इस बात का पता चला था तो उन्होंने इसकी जांच कराने की सोची. ब्रिटिश शासनकाल में इस रहस्य को समझने के लिए ब्रिटेन से इंजीनियर्स बुलाए गए थे. मिनारों के आस-पास खुदाई भी की गई थी लेकिन सारी कोशिशें बेकार ही रहीं. जानकार आश्चर्य होगा कि अनेकों बार भूकंप के झटकों से यहां की जमीन हिली, लेकिन ये मिनारें जस की तस खड़ी रहीं.

कब हुआ था मस्जिद का निर्माण?

इतिहास के जानकारों के अनुसार, मस्जिद का निर्माण 1461-64 में हुआ था. मस्जिद सीदी बशीर की देखरेख में बनी थी. उनका देहांत होने के बाद उन्हें यहां पास में ही दफनाया गया था. उनके नाम से ही मस्जिद का नाम सीदी बशीर मस्जिद हो गया.

क्यों हिलती है मस्जिद

मस्जिद के हिलने का रहस्य बताया जाता है कि इसके निर्माण में ऐसे पत्थरों का प्रयोग किया गया है जो लचीले हैं. वैसे ऐसे पत्थर आज नहीं पाए जाते हैं. किन्तु शायद उस समय इन्हीं लचीले पत्थरों का प्रयोग मस्जिद निर्माण में किया गया है.

सीदी बशीर मस्जिद या हिलते मीनारों की मस्जिद भारत की इकलौती रहस्मयी मस्जिद है.

इसे आप चमत्कार भी बोल सकते हैं. पानी की कटौरी मीनार पर रखने के बाद अगर मीनार हिलाई जाये तो पानी हिलता हुआ साफ़ देखा जा सकता है.