ENG | HINDI

शिवसेना के विरोध के बाद नवाज़ुदीन सिद्दीकी को नहीं मारा जायेगा तीर !

नवाजुद्दीन सिद्दीकी

नवाजुद्दीन सिद्दीकी ताड़का का पुत्र और रावण का मामा बनना चाहते थे लेकिन ऐन वक्त पर शिवसेना के विरोध के कारण उनकी मारीच बनने की इच्छा पर पानी फिर गया.

दरअसल, नवाजुद्दीन सिद्दीकी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले की बुढ़ाना तहसील के रहने वाले हैं और इन दिनों प्रदेश में जगह जगह रामलीलाओं का मंचन हो रहा है. बुढ़ाना के चांदनी वाला मंदिर परिसर में भी रामलीला हो रही है. इसमें नवाजुद्दीन रावण के मामा मारीच बनकर सोने के हिरन का रूप धरने वाले थे. इस दौरान उन्हें भगवान राम के हाथों तीर से मारा जाना था. लेकिन शिवसेना ने उनकी इस इच्छा पर ब्रेक लगा दिया है।

फिल्मी पर्दे पर अपने अभिनय का लोहा मनवा चुके नवाजुद्दीन सिद्दीकी की तमन्ना है कि वे इस रामलीला में एक्टिंग कर अपने गृह नगर में भी लोगों का मनोरजंन करे. वह बताते हैं कि उनको बचपन से रामलीला देखने का शौक है. उनकी शुरू से ही इच्छा थी कि वे रामलीला में अभिनय करें.

उनका कहना है कि मेरे अंदर एक्टिंग की जो कला है उसकी नींव रामलीला को देखकर ही पड़ी है. उस वक्त पारीवारिक समस्याओं के कारण चाहकर भी वे अपनी इच्छाओं को पूरा नहीं कर पाए. लेकिन आज उनके जब पास मौका था तब किस्मत एक बार फिर दगा दे गई और बद्किस्मती से वह मौका भी उनके हाथ से चला गया.

बता दें कि बुढ़ाना के चांदनी वाला मंदिर परिसर में इस वक्त जो रामलीला चल रही है उसमें नवाजुद्दीन सिद्दीकी एक ऐसा रोल करना चाहते थे जिसके बाद लोग उन्हें भगवान राम के भक्त के रूप में याद करें. लेकिन आयोजकों को लगा कि नवाजुद्दीन रामलीला में यदि रावण के मामा मारीच का किरदार निभाएंगे तो लोग उसको ज्यादा पसंद करेंगे. वे भी इसके लिए तैयार हो गए. इसके लिए उन्होंने अभ्यास भी किया.

लेकिन ऐन मौके पर स्थानीय शिवसेना के लोगों ने इस पर एतराज जता दिया.

रामलीला पर सियासत के चलते उनके सपने पर ब्रेक लग गया क्योंकि जैसे ही शिवसेना ने उनका विरोध किया तो जिला प्रशासन ने रामलीला आयजकों से उनके अभिनय को रोकने के लिए कहा.

दरअसल, मुजफ्फरनगर दंगों के बाद से यहां हिंदू और मुसलमानों के बीच काफी तनाव है. इसलिए प्रशासन ऐसे किसी भी धार्मिक कार्यक्रम को अनुमति नहीं दे रहा है जिसको लेकर किसी एक समुदाय के लोगों को आपत्ति हो. लेकिन सवाल है कि क्या धर्म-संप्रदाय के नाम पर देश के भीतर कलाकारों को अभिनय करने से रोकना जायज है. वह भी उस समय जब नवाजुद्दीन सिद्दीकी जैसा कलाकार भगवान राम को मर्यादा पुरूषोत्तम बताकर उनके जीवन से खुद को प्रभावित बता चुका है.

बहराल, प्रशासन और रामलीला आयोजकों की अपनी मजबूरियां हो सकती हैं.

लेकिन इस बार न सही तो अगली बार बुढ़ाना के लोगों को ये अवसर जरूर मिलेगा जब वे नवाजुद्दीन सिद्दीकी को रामलीला के मंच पर देखेंगे.