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शक्तिपीठ(भाग -1): देवी के वो चमत्कारिक मंदिर जहाँ गिरे थे सती के कटे अंग

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दक्ष प्रजापति की पुत्री ने अपने पिता की इच्छा के विरुद्ध शिव से विवाह कर लिया था. एक बार दक्ष ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया जहाँ सती और शिव को नहीं बुलाया गया. पिता प्रेम की वजह से सती यज्ञ में शामिल हुई लेकिन वहां जब शिव का अपमान किया गया तो दुःखी होकर सती ने यज्ञकुंड में कूद कर अपने प्राण त्याग दिए.

जब शिव को सती की मृत्यु की सुचना मिली तो शिव अत्यंत क्रोधित हुए और दक्ष को मारकर उसके यज्ञ आयोजन को भी तहस नहस कर दिया. क्रुद्ध शिव, सती का मृत शरीर लेकर पूरे ब्रह्मांड को नष्ट करने निकल पड़े.

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शिव का क्रोध देखकर देव,दानव,मानव सब दर गए. तब विष्णु ने शिव का क्रोध शांत करने के लिए अपने चक्र से सती के शरीर के टुकड़े कर दिए. सती के शरीर के ये टुकड़े जिस जिस स्थान पर गिरे वो स्थान देवी के शक्तिपीठ कहलाये.

शक्ति पीठ में उपासना करने पर देवी की विशेष कृपा होती है.

देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है. इनमें से अधिकतर भारत में है और कुछ शक्तिपीठ विदेशों में भी है और एक शक्तिपीठ ऐसा भी है जिसका स्थान अज्ञात है.  हर शक्तिपीठ में देवी के साथ साथ भैरव का भी एक रूप प्रतिष्ठित होता है. शक्ति का मतलब देवी का स्वरुप और भैरव का मतलब शिव का अवतार होता है

आइये जानते है शक्तिपीठों के बारे में.

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