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शक्तिपीठ 1 – देवी के वो चमत्कारिक मंदिर जहाँ गिरे थे सती के कटे अंग

शक्तिपीठ भाग १

शक्तिपीठ भाग १ – जिस प्रकार शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है वैसे ही देवी के शक्ति पीठों का भी है.

अलग अलग धर्म  ग्रंथों के अनुसार देवी के शक्तिपीठों की संख्या अलग अलग बताई गयी है. कहीं १०८ शक्तिपीठ कहे गए है तो कहीं 72. देवी पुराण के अनुसार देवी के शक्तिपीठों की संख्या 51 है.

आइये इस श्रृंखला में जानते है शक्तिपीठ भाग १ की कहानी और देश विदेश में कहाँ कहाँ स्थित है ये शक्तिपीठ.

शक्तिपीठ भाग १ – पहले 10 शक्तिपीठ –

शक्तिपीठों के निर्माण की कहानी…

दक्ष प्रजापति की पुत्री ने अपने पिता की इच्छा के विरुद्ध शिव से विवाह कर लिया था. एक बार दक्ष ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया जहाँ सती और शिव को नहीं बुलाया गया. पिता प्रेम की वजह से सती यज्ञ में शामिल हुई लेकिन वहां जब शिव का अपमान किया गया तो दुःखी होकर सती ने यज्ञकुंड में कूद कर अपने प्राण त्याग दिए.

जब शिव को सती की मृत्यु की सुचना मिली तो शिव अत्यंत क्रोधित हुए और दक्ष को मारकर उसके यज्ञ आयोजन को भी तहस नहस कर दिया. क्रुद्ध शिव, सती का मृत शरीर लेकर पूरे ब्रह्मांड को नष्ट करने निकल पड़े.

shiva-shakti

शिव का क्रोध देखकर देव,दानव,मानव सब दर गए. तब विष्णु ने शिव का क्रोध शांत करने के लिए अपने चक्र से सती के शरीर के टुकड़े कर दिए. सती के शरीर के ये टुकड़े जिस जिस स्थान पर गिरे वो स्थान देवी के शक्तिपीठ कहलाये.

शक्ति पीठ में उपासना करने पर देवी की विशेष कृपा होती है.

देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है. इनमें से अधिकतर भारत में है और कुछ शक्तिपीठ विदेशों में भी है और एक शक्तिपीठ ऐसा भी है जिसका स्थान अज्ञात है.  हर शक्तिपीठ में देवी के साथ साथ भैरव का भी एक रूप प्रतिष्ठित होता है. शक्ति का मतलब देवी का स्वरुप और भैरव का मतलब शिव का अवतार होता है

आइये जानते है शक्तिपीठों के बारे में.

 किरीट शक्तिपीठ
kirit

पश्चिम बंगाल के हुगली नदी के तट लालबाग कोट पर स्थित है।  यहां सती माता का किरीट यानी  मुकुट गिरा था। यहां की शक्ति विमला अथवा भुवनेश्वरी तथा भैरव संवर्त हैं.

कात्यायनी शक्तिपीठ
Maa-Katyayani
ये शक्ति पीठ वृन्दावन में भूतेश्वर में स्थित है. कहा जाता है कि इस स्थान पर देवी के केश गिरे थे .यहां की शक्ति देवी कात्यायनी हैं तथा भैरव भूतेश है
करवीर शक्तिपीठ
karvir
महाराष्ट्र में कोल्हापुर मे स्थित इस शक्तिपीठ के बारे में कहा जाता है कि यहाँ देवी के त्रिनेत्र गिरे थे. यहां की शक्ति महिषासुरमदिनी तथा भैरव क्रोधशिश हैं। यहां महालक्ष्मी का निवास भी  माना जाता है.
श्री पर्वत शक्तिपीठ
ShreeParvat
इस शक्तिपीठ को लेकर विवाद है कुछ विद्वानों का मानना है कि इस पीठ का मूल स्थल लद्दाख है, जबकि कुछ का मानना है कि यह असम के सिलहट में है कहते है कि यहाँ माता की कनपटी गिरी थी. यहां की शक्ति श्री सुन्दरी एवं भैरव सुन्दरानन्द हैं.
विशालाक्षी शक्तिपीठ
vishlakshi
उत्तर प्रदेश में वाराणसी ज़िले के मीरघाट पर स्थित है शक्तिपीठ जहां माता सती के दाहिने कान के मणि गिरे थे. यहां की शक्ति विशालाक्षी तथा भैरव काल भैरव हैं
गोदावरी तट शक्तिपीठ
Maa-Vishweshwari1godawari
आंध्रप्रदेश के कब्बूर में गोदावरी तट पर स्थित है यह शक्तिपीठ, जहां माता का बायां कपोल यानि गाल गिरा था. यहां की शक्ति विश्वेश्वरी या रुक्मणी तथा भैरव दण्डपाणि हैं
शुचीन्द्रम शक्तिपीठ
shuchidram
तमिलनाडु राज्य में भारत के अंतिम कोने कन्याकुमारी के त्रिासागर संगम स्थल पर स्थित है यह शुची शक्तिपीठ, जहां सती के उफध्र्वदन्त गिरे थे. यहां की शक्ति नारायणी तथा भैरव संहार या संकूर हैं.
पंच सागर शक्तिपीठ(अज्ञात शक्ति पीठ )
durga
इस शक्तिपीठ के स्थान के बारे में किसी को पता नहीं है. बहुत बार खोज करने पर भी इस शक्तिपीठ के स्थान के बारे में पता नहीं चल पाया है. धर्मग्रंथों के अनुसार यहां माता का नीचे के दान्त गिरे थे. यहां की शक्ति वाराही तथा भैरव महारुद्र हैं.
ज्वालामुखी शक्तिपीठ
jwlamukhi
हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा में स्थित यह शक्तिपीठ सबसे प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक है. इस शक्तिपीठ में देवी की प्रतिमा की पूजा ना होकर अखंड ज्योति की पूजा होती है. ये वो स्थान है जहाँ सती की जिह्वा गिरी थी. यहां की शक्ति सिद्धिदा व भैरव उन्मत्त हैं.
भैरव पर्वत शक्तिपीठ 
Bhairav
इस शक्तिपीठ के स्थान को लेकर भी अलग अलग जानकारों में मतभेद है . कुछ विद्वान्  गुजरात के गिरिनार के निकट भैरव पर्वत को तो कुछ मध्य प्रदेश के उज्जैन के निकट कक्षिप्रा नदी तट पर वास्तविक शक्तिपीठ मानते हैं. यहाँ माता का उफध्र्व ओष्ठ  अर्थात ऊपरी होठ गिरा था. यहां की शक्ति अवन्ती तथा भैरव लंबकर्ण हैं.
शक्तिपीठ भाग १ – ये थे देवी के पहले दस शक्तिपीठ और उनकी कहानी आने वाले भागों में हम जानेंगे शेष शक्तिपीठों का महात्म्य और उनके स्थान.