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क्रिकेट का यह जाना-माना खिलाड़ी होगा गिरफ़्तार.

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कुछ दिन पहले बांग्लादेश के ढाका शहर की सड़कों में एक 11वर्षीय बच्ची रोती हुई मिली.

जब आसपास के लोग उसे मदद देने गए तो देखा कि उसके जिस्म में मारपीट से लगी चोट के बहुत निशान हैं. बच्ची की सूजी हुई आँखे उसके साथ हुई ज्यादती बयान कर रही थी.

जब उन्होंने उस बच्ची से उसकी इस हालत के बारे में जब पूछा तो बच्ची के जवाब ने वहाँ खड़े हर एक आदमी को चौंका दिया.

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मह्फूजा अख्तर नाम की उस बच्ची ने बताया कि वह बंगलादेशी क्रिकेटर शहादत हुसैन के घर में काम करती थी. शहादत हुसैन और उसकी पत्नी रित्तो इतनी कम उम्र में उससे घर के सारें काम तो करावातें ही थे साथ ही उसके साथ मारपीट भी करते थे.

क्रिकेट खिलाड़ी और उसकी पत्नी द्वारा बच्ची के साथ की गयी इस हिंसा की ख़बर जैसे बाकि लोगो को पता चली, उन्होंने इस पुरे मामले की जानकारी ढाका पुलिस को दी. ढाका पुलिस तुरंत उस जगह पर पहुच कर उस बच्ची को अपने संरक्षण में ले लिया और सबसे पहले उसे ढाका अस्पताल ले जाकर उसकी चोट का इलाज़ करवाया.

जब मह्फूजा सड़क पर चोटिल हालत में पड़ी थी तब बांग्लादेश के एक स्थानीय चैनल ने उसकी ख़बर लोगों को दिखाई. महफूजा को उस हालत में जब न्यूज़ चैनल में दिखाया गया तो बंगलादेशी क्रिकेट खिलाड़ी शहादत और उसकी पत्नी रित्तो द्वारा उसके साथ की गयी मारपीट साफ नज़र आ रही थी.

पुलिस, मह्फूजा से मिली जानकारी को आधार मानकर जब शहादत हुसैन के घर उन्हें गिरफ्तार करने गयी तब पता चला कि शहादत अपनी पत्नी के साथ पहले ही कही फरार हो चूका हैं. पुलिस ने पुरे मामले को देखते हुए और बच्ची के बयान के तहत बंगलादेशी क्रिकेटर शहादत हुसैन और उनकी पत्नी रित्तो के ख़िलाफ़ बाल उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कर ली हैं और दोनों पति-पत्नी की तलाश में लगी हुई हैं.

क्रिकेटरों द्वारा बाल उत्पीड़न का यह पहला मामला नहीं हैं इससे पहले भारत के पूर्व क्रिकेटर विनोद काम्बली और उनकी पत्नी पर भी उनके घर काम करने वाली नौकरानी के साथ हिंसा और मारपीट करने का मामला सामने आ चूका हैं और इसके बाद बंगलादेश के क्रिकेटर शहादत हुसैन का यह मामला बच्चों के खिलाफ हो रहे शोषण का दूसरा मामला हैं.

शहादत हुसैन बांग्लादेश की ओर से कई वनडे और टेस्ट मैच खेल चुके हैं लेकिन भारत के साथ हुई अभी पिछली क्रिकेट श्रृंखला में चोटिल होने की वजह से नहीं खेल पाए थे. इस पूरी घटना के बाद अब देखना यह हैं कि ढाका पुलिस द्वारा की गयी त्वरित कारवाही कितनी कारगर सिद्ध होती हैं और वह “मह्फूजा को महफूज़” रख पाती हैं या नहीं.