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बदलते वक्त से साथ कुछ इस तरह से बदला है फिल्मों में सेक्स दिखाने का तरीका !

फिल्मों में सेक्स दिखाने का तरीका

पहले हिंदी सिनेमा में प्यार और रोमांटिक दृश्यों को फिल्माने के लिए प्रकृति की खूबसूरती और हरी-भरी वादियों को पर्दे पर दिखाया जाता था.

फिल्मों में रोमांटिक दृश्यों के प्रतीक के तौर पर फूलों और पक्षियों का सहारा लिया जाता था.

लेकिन बदलते वक्त के साथ, फिल्मों में सेक्स सीन्स को दिखाने के तरीके में भी बदलाव आने लगा.

तो आइए आज हम आपको बीते हुए कल और आज के इन हिंदी फिल्मों की तस्वीरों के ज़रिए बताते हैं कि किस तरह से बदला है फिल्मों में सेक्स दिखाने का तरीका.

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फिल्मों में सेक्स दिखाने का तरीका – 

1 – बात करें आज़ादी के पहले  के फिल्मों की तो उस वक्त फिल्मों में उत्तेजक दृश्यों या अंग प्रदर्शन वाले कॉस्ट्यूम पर भी रोक नहीं थी. सेंसर बोर्ड केवल यह देखता था कि फिल्म में अंग्रेजी शासन के खिलाफ कोई बात नहीं हो.

साइलेंट फिल्मों के दौर में जब बॉलीवुड खुद खड़ा होने की कोशिश कर रहा था, उस वक्त ही बोल्ड किसिंग सीन फिल्मों में दस्तक दे चुका था. 1920 की फिल्म ‘A Thrown Of Dice’ में किसिंग सीन फिल्माया गया था.

साल 1933 की फिल्म ‘कर्मा’ में देविका रानी और उनके पति हिमांशु राय का करीब 4 मिनट का लिप लॉक किसिंग सीन दिखाया गया था.

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2 – देश की आज़ादी के बाद से फिल्मों में किस तरह के सीन्स दिखाने चाहिए, इसका फैसला करने का पूरा अधिकार सेंसर बोर्ड को मिला. सेंसर बोर्ड ने 1952 से फिल्मों में बोल्ड सीन्स और किसिंग सीन्स को दिखाने पर पाबंदी लगा दी थी.

सेंसर बोर्ड के इस फैसले के बाद से फिल्मों में रोमांटिक दृश्यों को दिखाने के लिए उनके प्रतीक के तौर पर फूलों को और पक्षियों का सहारा लिया जाने लगा.

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3 – 60 के दशक की फिल्म ‘आवारा’ में नरगिस और राजकपूर एक-दूसरे की आंखों में देखकर अपने प्यार का इज़हार करते दिखे, तो वहीं ‘मुगल-ए-आज़म’ में दिलीप कुमार प्यार से मधुबाला के चेहरे को निहारते हुए नज़र आ रहे हैं.

इन फिल्मों में नायक और नायिकाओं के चेहरे के बदलते भाव से ही दर्शकों को उनके प्यार, इंकार और अंतरंगता का अहसास हो जाता था.

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4 – सेंसर बोर्ड द्वारा बनाए गए नियमों में जल्द ही बदलाव देखने को मिला. इस बदलाव ने 1970 से 90 के दशक की फिल्मों में किसिंग और सेक्स सीन्स को दिखाने की पूरी परिभाषा को बदलकर रख दिया.

बॉबी, राम तेरी गंगा मैली, सत्यम शिवम् सुंदरम् और दयावान जैसी फिल्मों में फिल्म की सेक्स और बोल्ड अभिनेत्रियों ने गरमा-गरम हॉट सीन्स दिए थे.

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5 – साल 2000 से अब तक के फिल्मी सफर में फिल्मों में सेक्स दिखाने का तरीका बदल चूका था. सिनेमा हॉल तक दर्शकों को लाने के लिए कई फिल्मों में हॉट किसिंग सीन, बेड सीन और सेक्स सीन्स का सहारा लिया जाता है.

कई फिल्मों में आपत्तिजनक दृश्य होने के बावजूद सेंसर बोर्ड बिना आपत्ति के उन फिल्मों को हरी झंड़ी दे देता है. देखिए आज के दौर की फिल्म ‘हीरोइन’ और ‘पार्च्ड’ के हॉट सेक्स सीन की तस्वीरें.

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गौरतलब है कि जिस रफ्तार से फिल्मों में सेक्स दिखाने का तरीका बदल रहा है, उसे देखकर ऐसा लगता है कि आनेवाले समय में बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड कमाई करने के लिए फिल्मों में बोल्ड सीन्स दिखाने का और भी नया तरीका इस्तेमाल किया जा सकता है.

और इसके आगे फिल्मों में सेक्स दिखाने का तरीका कैसा होगा इसकी कल्पना करना मुश्किल है !

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बॉलीवुड