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रामायण में क्यो हुई थी सीता की अग्निपरीक्षा, पुराणों में है जवाब

माता सीता की अग्निपरीक्षा – बचपन से लेकर अभी तक हम सभी ने रामायण से जुड़े कईं किस्से, किवदन्तियां और कहानियां सुनी हैं और देखी हैं। अपने बड़े-बुजुर्गों के मुंह से भी हम बचपन से रामायण से जुड़े प्रसंग सुनते आ रहे हैं।

रामायण में भगवान राम का वनवास जाना, माता सीता और लक्ष्मण का उनके साथ जाना, वहां सीता मां का रावण द्वारा अपहरण और फिर श्री राम का रावण वध कर सीता मां को वापिस अयोध्या लाना, रामायण से जुड़ी इन बातों से हम सभी परिचित हैं।

लेकिन इससे जुड़े कुछ ऐसे सवाल भी हैं जिनके जवाब मुझे लगता है हम सब ढूंढना चाहते हैं जैसे कि माता सीता की अग्निपरीक्षा क्यों हुई और अग्निपरीक्षा में अपनी पवित्रता साबित करने के बाद भी एक धोबी के कहने पर श्रीराम ने उन्हे वनवास क्यो दिया?

माता सीता की अग्निपरीक्षा से जुड़े कईं सवालों के जवाब पद्म पुराण में मिलते हैं। जी हां, अगर पद्म पुराण की कहानियों को आपस में जोड़ा जाए तो पता चलता है कि पद्म पुराण के कुछ कहानियों को आपस में जोड़ा जाए तो यह देखने को मिलता है कि रामायण में एक नहीं, बल्कि दो सीता थी पहली असली सीता और दूसरी माया सीता।

दरअसल, अगर पद्म पुराण में वर्णित जानकारी को सही माना जाए तो माता सीता की अग्निपरीक्षा हुई ही नहीं पड़ी थी और ना ही उन्हे अयोध्या से जाना पड़ा था।

पद्म पुराण के अनुसार, जब रावण माता सीता को हरने आया था उस समय वो असली सीता मां को नहीं, बल्कि माया सीता को अपने साथ ले गया था। सीता मां, देवी लक्ष्मी का अवतार थी और अग्निदेव की उपासना करती थी इसलिए अग्निदेव की कृपा से अपहरण के समय, असली सीता मां सुरक्षित रही थी और माया सीता को रावण अपने साथ ले गया था।

आपको जानकर आश्चर्य होगा लेकिन भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम इन सभी बातों से परिचित थे और ये जानते हुए भी कि जो रावण के पास है, वो असली सीता नहीं है, उन्होने धर्म की स्थापना और अधर्म के नाश के उद्देश्य से लंकापति रावण से युध्द किया और उसका वध किया।

ऐसा कहा जाता है कि जब रावण की कैद से भगवान ने माया सीता को मुक्त करवाया था तब अग्नि परीक्षा के दौरान माया सीता वापिस चली गई थी और असली सीता अवतरित हुई थी जिन्हे रावण छू भी नहीं पाया था।

ब्रह्मपुराण और अन्य पुराणों में भी माता सीता और अयोध्या से जुड़े कईं प्रसंगों का उल्लेख है।

जहां पद्म पुराण में मां सीता के वनवास का कोई ज़िक्र नहीं है तो वहीं वाल्मीकि रामायण के अनुसार, सीता ने अपने वनवास के दौरान वाल्मीकि को रामायण सुनाई थी।

ये है माता सीता की अग्निपरीक्षा की कहानी – अलग पुराणों में अलग प्रसंगों का ज़िक्र है जिसमें से किसमें कितनी सच्चाई है, ये कहना सम्भव नहीं है। इन कहानियों में आपस में कईं विरोधाभास देखने को मिलते हैं। क्या सचमुच राम ने सीता को छोड़ दिया था या क्या सीता की अग्निपरीक्षा हुई थी यहां नहीं, इस संबध में कईं जानकारियां मौजूद हैं, जिनमें से कुछ का संक्षिप्त वर्णन इस लेख में किया गया है।

Deepika Bhatnagar

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