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कापालिक साधुओं का रहस्य ! पढ़िए आखिर क्यों यह लोग मानव खोपड़ियों में ही खाते-पीते हैं

कापालिक साधुओं का रहस्य

कापालिक साधुओं का रहस्य बहुत ही कम लोग समझ पाए हैं.

कापालिक साधुओं को देखते हैं हमारा दिल तेज से धक-धक करने लगता है और हम भयभीत हो जाते हैं.

लेकिन अगर आप संसार दुनिया में ही व्यस्त हैं तो आप कापालिक साधुओं का रहस्य कभी जान ही नहीं पाओगे. इनकी दुनिया का राज तो वही व्यक्ति जान सकता है तो इनकी दुनिया में रहकर आया हो. वैसे कापालिक साधुओं को पहचानना बहुत ही आसान है. कापालिक साधुओं का रहस्य को जानना मुश्किल है.

अगर आपको कोई साधू इंसान की खोपड़ी में कुछ खाता और पिता हुआ दिखे तो आप समझ जायें कि वह कापालिक साधू ही है. तंत्र शास्त्र के अनुसार कापालिक संप्रदाय के लोग शैव संप्रदाय के अनुयायी होते हैं. क्योंकि ये लोग मानव खोपडिय़ों (कपाल) के माध्यम से खाते-पीते हैं, इसीलिए इन्हें ‘कापालिक’ कहा जाता है.

आइये जानते हैं कापालिक साधुओं की दुनिया के रहस्य-

1.     क्यों प्रयोग करते हैं मानव खोपड़ी

कापालिक लोग मानव खोपड़ी में इसलिये खाते हैं क्योकि एक तो यह पूरी तरह से ईश्वर निर्मित होती है और दूसरी तरफ हमेशा एक मृत व्यक्ति की खोपड़ी रखने से यह ज्ञात रहता है कि हर व्यक्ति को मृत्यु आनी ही है.

वहीँ इस विषय पर शास्त्री प्रवेश जी अपने एक लेख में लिखते हैं कि कापालिक साधू जीवन-मृत्यु को समान समझते हैं. एक सच्चे कापालिक को जीवन से मोह नहीं होता और मृत्यु से कोई भय नहीं होता. वे इसे ईश्वर की इच्छा मानकर स्वीकार करते हैं. कपाल में भोजन-पानी ग्रहण करने का मतलब ये है कि मृत्यु को कभी भूलना नहीं चाहिए. जो मस्तक कभी आदर का पात्र था, एक दिन वह अपना प्रभाव खो देता है. तब मिट्टी के पात्र तथा कपाल में कोई फर्क नहीं रह जाता है.

2.     कापालिक साधुओं की कठोर तपस्या

कापालिक साधू मंत्र साधना का प्रयोग कर आता को परमात्मा से जोड़ते हैं. एक समय में कापालिक साधू भक्ति के मार्ग में सबसे मुश्किल और कठोर तपस्या करने वाले बोले जाते थे. आज भी नेपाल और तिब्बत के पर्वतों पर कई कापालिक साधू सालों से तपस्या करते हुए देखे जा सकते हैं.

एक कापालिक साधू अगर तंत्र साधना में माहिर हो जाता है तो वह इतना शक्तिशाली हो जाता है कि आज भी किसी व्यक्ति को श्रापित और वरदान प्रदान कर सकता है.

3.     भोग विलास को नहीं यहाँ जगह

लेकिन आज जिस तरह से इस मार्ग को भोग-विलास का मार्ग बना दिया गया है वह एक दम गलत है. कापालिक साधू सेक्स जैसे विषय पर कभी नहीं रुकते थे. लेकिन आज हर दिन सेक्स और मदिरापान में कापालिक नामक शब्द को भी दूषित कर दिया गया है.

4.     लोगों की बुराई खुद ले लेते हैं

कापालिक साधुओं के बारे में एक बात बहुत कही जाती है कि अगर आपको कोई असली कापालिक साधू मिल गया और वह आपसे प्रसन्न हो गया थो आपकी सभी बीमारियाँ और दुःख खुद ले लेते हैं. बाद में खुद तपस्या कर इनको खत्म करते हैं. इन साधुओं ने सभी लोगों की बुराई खुद ली हैं और दूसरों को मात्र खुशियाँ दी हैं.

5.     कभी परिवार में वापस नहीं आते

अगर कोई व्यक्ति कापालिक बनने की राह पर निकल लेता है तो वह फिर कभी वापस परिवार की तरफ मुड़कर नहीं देखता है. सांसारिक मोह माया से उसे कोई मतलब नहीं होता है. ना ही फिर कभी अपने लिए धन और ना ही अन्य चीजों को जोड़ता है.

तो अगर अब आपको कोई कहता है कि कापालिक साधू या अघोरी साधू तो मजे करते हैं तो उनको एक सही जवाब जरूर दीजियेगा. क्योकि कापालिक साधू बनना आसान काम नहीं है और ना ही यह लोग फिर भोग व मदिरापान जैसी चीजों में उलझते हैं.

अगर कोई ऐसा करता है तो वह अभी सच्चा साधू नहीं बन पाया है.