सेहत

सेकंड हैण्ड गर्लफ्रेंड ही नहीं अब सेकंड हैण्ड स्मोकिंग भी ले रही है लोगों की जान !

सेकंड हैण्ड स्मोकिंग – एक लड़की जाती है तो दूसरी आपकी लाइफ में एंट्री करती है.

वो लड़की इससे पहले किसी की गर्लफ्रेंड ज़रूर होती है. कभी कभी आपकी लाइफ को वो खूबसूरत बना देती है, लेकिन कई बार ये सेकंड हैण्ड गर्लफ्रेंड आपकी लाइफ को हेल कर देती हैं. सेकंड हैण्ड कोई भी चीज़ हर बार अच्छी नहीं निकलती.

ठीक इसी तरह आजकल सेकंड हैण्ड स्मोकिंग का चलन तो बहुत चला है, लेकिन ये आपको अपना शिकार बना कर मार देती है.

इस सेकंड हैण्ड स्मोकिंग से लोगों की जान जा रही है. आपको पता भी नहीं होगा और आप धीरे-धीरे इसकी आगोश में समां जाएंगे. सेकंड हैण्ड स्मोकिंग हमेशा ही आपके ऊपर अटैक करती है.

आमतौर पर आपने भी देखा होगा की लड़के-लड़कियां ग्रुप में जब स्मोकिंग करते हैं तो वो एक ही सिगरेट का इस्तेमाल करते हैं.

इससे उन्हें उस समय भले ही आनंद आता हो, लेकिन बाद में इसका बुरा असर ही सामने आता है. ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे इंडिया-2017 के अनुसार, वर्ष 2009-2010 से लेकर अब तक सेकंड हैंड स्मोक यानी धूम्रपान कर दूसरों को धुआं पिलाने के मामले सार्वजनिक स्थानों पर 29 फीसदी से घटकर 23 फीसदी रह गए हैं और घरों में ऐसे मामले 52 फीसदी से घटकर 39 फीसदी दर्ज हो गए हैं, जबकि कार्यस्थलों पर इसमें वृद्धि हुई है.

ये जान लेवा साबित हो रही हैं.

इस सर्वे में बताया गया है कि ऑफिस में १० साल पहले से 29.9 फीसदी लोग दूसरों के धूम्रपान से प्रभावित होते थे वहां अब 30.2 फीसदी हो रहे हैं.

इस सर्वेक्षण में बताया गया है कि मीडिया के माध्यम से चलाए जा रहे प्रचार अभियान तंबाकू नियंत्रण नीतियां बनाने और लोगों को धूम्रपान बंद करना सबसे कारगर रहे हैं. सेकेंड हैंड स्मोक से हृदय प्रभावित होता है और इससे धूम्रपान नहीं करने वालों में धूम्रपान से संबंधित रोग का खतरा पैदा होता है.

कार्यस्थलों, सार्वजनिक व अन्य जगहों को धूम्रपान रहित अर्थात धूम्रपान निषेध क्षेत्र बनाने की नीतियों को प्रभावकारी तरीके से लागू करना कारगर उपाय होगा और इससे धूम्रपान नहीं करने वालों को बचाया जा सकता है.

अगर अभी लोग संभल गए तो इससे रोक संभव है.

फैशन में शुरुआत की गई सिगरेट कैसे आपके जीवन को धुंए के अँधेरे में डाल देती है आपको पता भी नहीं चलता.

सेकंड हैंड स्मोक के खतरे का कोई सुरक्षित स्तर नहीं है. हमें उम्मीद है कि सेकंड हैंड स्मोक के खतरों को लेकर लोगों की जानकारी बढ़ाने और उनके धूम्रपान करने वालों के व्यवहार में बदलाव लाने में प्रचार अभियान ज्यादा कारगर साबित होगा.

इतना ही नहीं अब और भी ज़रूरी हो गया है कि लोगों को इसके प्रति जागरूक किया जाए नहीं तो देश का भविष्य खतरे में पड़ सकता है.

बहुत ज़रूरी है कि इसकी रोकथाम स्वयम से शुरू हो.

जबतक आजकल के युवा अपने भीतर ये प्रण नहीं लेंगे तब तक उन्हें इससे कोई और बचा नहीं सकता. आप भी अपनों की इस बुरी लत को दूर कीजिए और देश के साथ कदम से कदम मिलाकर चलिए.

अगर आज आपके अपने इस लत को छोड़ सकेंगे तो कल उज्जवल भविष्य का हिस्सा बन सकेंगे.

Shweta Singh

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Shweta Singh

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