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SC/ST कितना सही? कितना गलत?

SC/ST

एक दौर था जब निची जाति और समाज के लोगों को हीन भावना से देखा जाता था और एक दौर आज का है जब जनरल कैटेग्ररी के बच्चों को SC/ST जाति के बच्चें हीन भावनाओं से देखते है।

देखे भी क्यों ना?… जहां आज उनके लिए सीटे रिजर्व है वहां जनरल कैटग्ररी के बच्चे भीख के मौहताज बन चुके है। उनके सीटों का दायरा कुछ ऐसा है जहां उनके साथ उसका बटवारा कोई भी तबका कर सकता है, लेकिन जो सीटे SC/ST कोटे के नाम पर दर्ज है, उनपर किसी अन्य जाति या समाज का कोई हक नहीं।

आखिर कितनी सही? कितनी गलत है? SC/ST

बात आकड़ों की, बात संविधान में दर्ज नियमों और कानूनों की, जिनके सहारे आज SC/ST कोटे की लड़ाई लड़ी जाती है। बात अधिकार से ज्यादा अब सही गलत की हो गई है। बात अधिकारों की हो गई है जिससे अब इन SC/ST, मराठा, पटेल, मुस्लिम आदि लोगों के लगातार हो रहे धरना प्रदर्शन ने अपने अधीन कर लिया है। इनका एक ही मानना है… इन्हे कोटा ना मिले तो धरना, इन्हें एडमिशन ना मिले तो धरना, किसी दलित की मौत हो तो धरना… हर बात पर धरना करो और बात मनवा लो। आज ये इनकी आदत से ज्यादा फितरत बन गई है।

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खुद को कमजोर बताना है इनकी फितरत

SC/ST लोगों की बात की जाये, तो .ये लोग खुद को निर्बल बताते है, लेकिन आज ये कहीं भी अपनी शक्ति का प्रदर्शन करके दंगे-फसांद कर के अपनी मांगों को सरकार से मांगते है। चाहे वह महाराष्ट्र के भीमा कोरे गांव की घटना हो, या फिर SC/ST एक्ट के मूल बदलाव को लेकर भारत बंद करने की वारदात हो… ये किसी मामले में अपना बल दिखाने से नहीं चूकते। फिर भी अपने आप को दुर्बल और कमजोर बताते है।

क्या थी संविधान में दर्ज डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर के प्रावधान

अम्बेडकर के मुताबिक जो शिक्षा आदमी को योग्‍य न बनाए, समानता और नैतिकता न सिखाए,  वह सच्‍ची शिक्षा नहीं है… उनका कहना था कि  सच्‍ची शिक्षा तो समाज में मानवता की रक्षा करती है, जीवन-यापन का सहारा बनती है… समान और अच्छी शिक्षा आदमी को ज्ञान और समानता का पाठ पढाती है व सच्‍ची शिक्षा ही समाज में जीवन का सृजन करती है।… लोकिन क्या आज किसी भी मायने में बाबा साहेब अम्बेडकर के ये बोल SC/ST कैटग्ररी के लोगों से मेल खाते है। तो जवाब होगा- नहीं…

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क्या है SC/ST एक्ट की समयसीमा

सविधान के मुताबिक पहली बार जब यह प्रावधान लागू किया गया तो इसकी सीमा 10 वर्ष थी, इसके बाद इसे कई बार इसमें संसोधन कर इसे 10-10 साल के लिए बढ़ाया जाता रहा। इस प्रवधान में लगातार हर 10 साल बाद हो रहे प्रावधान का कारण था, SC/ST , पटेल, मुस्लिमों, गुज्जरों, जाट आदि लोगों के धरना प्रदर्शन।

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लगातार हो रहे इस संसोधन ने आज साधारण जाति समुदाय के लोगों का शिक्षा स्तर सिमित कर दिया है। जिसके चलते आज कहीं ना कही इस समुदाय के बच्चों में खुद को लेकर सवाल है, कि आखिर क्यों उन्हें अपना स्थान बनाने के लिए दूसरे समुदाय के बच्चों की अपेक्षा अधिक मेहनत करनी पड़ती है। उनका कहना है कि आज जो हालात है उसमें आरक्षण हमारे लिए अभिश्राप बन गया है।

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